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बढ़ाया कैम्स आरंभिक निर्गम का आकार

Last Updated- December 15, 2022 | 1:54 AM IST

कंप्यूटर ऐज मैनेजमेंट सर्विसेज (कैम्स) के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम का आकार 50 फीसदी बढ़ाया गया है ताकि नैशनल स्टॉक एक्सचेंज को अपनी हिस्सेदारी बेचने में सहूलियत हो। इससे पहले म्युचुअल फंड ट्रांसफर एजेंसी इस आईपीओ के जरिए 1.21 करोड़ शेयर यानी 25 फीसदी हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही थी। अब उसके बजाय कैम्स आईपीओ में 1.82 करोड़ शेयर होंगे यानी उसकी इक्विटी आधार का करीब 36 फीसदी।
इसके अलावा एनएसई की इकाई एनएसई इन्वेस्टमेंट्स नए ढांचे के तहत हिस्सेदारी की बिकवाली करेगी। इससे पहले एनएसई के अलावा एचडीएफसी और वारबर्ग पिनकस की इकाई समेत चार अन्य शेयरधारक अलग-अलग हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रहे थे।
कैम्स आईपीओ का आकार करीब 2,200 करोड़ रुपये का हो सकता है जबकि पहले उसका आकार 1,500 करोड़ रुपये का था। यह इश्यू अगले हफ्ते बाजार में दस्तक दे सकता है।
बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि इश्यू के ढांचे में बदलाव बाजार नियामक सेबी की तरफ से एनएसई को मिले आदेश को पूरा करने के लिए हुआ है। फरवरी में नियामक ने एक पत्र के जरिये एनएसई को एक साल के भीतर कैम्स में अपनी पूरी 37.5 फीसदी बेचने का निर्देश दिया था। यह निर्देश कैम्स की तरफ से सेबी के पास पेशकश दस्तावेज का मसौदा जमा कराए जाने के महज एक महीने के भीतर दिया गया था। अगर कैम्स पहले के ढांचे के साथ आगे बढ़ती तो एनएसई सिर्फ 12.5 फीसदी हिस्सेदारी बेच पाता, वहीं बाकी 25 फीसदी शेयरधारिता सितंबर 2021 तक के लिए लॉक हो जाती। इससे संभावित तौर पर सेबी के निर्देश का उल्लंघन होता। एक सूत्र ने कहा, आईपीओ की योजना भी आगे बढ़े और एनएसई भी सेबी के आदेश का पालन कर ले, इसे सुनिश्चित करने के लिए आईपीओ ढांचे में बदलाव करना पड़ा। बिकवाली करने वाले सभी शेयरधारकों के पास अब नई योजना है। आईपीओ में 36 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के अलावा एक्सचेंंज ने बाकी बची एक फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। कैम्स के पेशकश दस्तावेज के मसौदे में कहा गया है, एनएसई की तरफ से पूरी हिस्सेदारी बेचने और सेबी के निर्देश का अनुपालन करने के लिए एनएसई इन्वेस्टमेंट्स का इरादा शेयर खरीद समझौते के जरिए 38,400 इक्विटी शेयर बेचने और आईपीओ में 1,82,46,600 शेयर बेचने का है। अगर एनएसई इन्वेस्टमेंट्स कंपनी में अपनी पूरी हिस्सेदारी नहीं बेच पाता है तो उसे सेबी के आदेश का अनुपालन करने के लिए वैकल्पिक रास्ता तलाशना होगा, जिसमें लॉक इन से छूट शामिल है।
वारबर्ग पिनकस की इकाई ग्रेट टेरैन पहले इस आईपीओ के जरिए करीब 8 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहती थी। उसने भी आईपीओ में 12.5 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए संस्थागत निवेशकों से शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

First Published - September 16, 2020 | 12:05 AM IST

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