कार्पोरेट जगत के नतीजे आने का मौसम शुरू हो गया है और मंगलवार को इंफोसिस के नतीजों के बाद ये और जोर पकड़ लेगा।
ये नतीजे कुछ हद तक बाजार की दिशा भी तय करेंगे। हालांकि जानकारों के मुताबिक पिछले साल की आखिरी तिमाही के नतीजे इससे पहले की तिमाहियों के नतीजों जैसे शानदार होने के आसार कम ही है।
जहां तक कंपनियों के शुध्द मुनाफे का सवाल है दिसंबर 2007 को खत्म हुई तीसरी तिमाही में इसमें कुल 22.2 फीसदी की बढ़त (2006-07 की तीसरी तिमाही की तुलना में)देखने को मिली थी। लेकिन चौथी तिमाही में ये बढ़त घटकर 18.2 फीसदी ही रहने के आसार है, हालांकि इसमें तेल कंपनियों के आंकडों को नहीं शामिल किया गया है।
पिछले साल की आखिरी तिमाही के संभावित नतीजों (प्रिव्यू )पर जारी प्रभुदास लीलाधर की रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दौरान कंपनियों की कमाई में बहुत ज्यादा असर नहीं दिखेगा और इसकी बढ़त 25.9 फीसदी से घटकर 25.7 फीसदी रहने का अनुमान है। जहां तक ईबीआईटीडीए मार्जिन की बात है इसमें सालाना आधार पर 0.60 फीसदी का इजाफा देखा जा सकता है। लेकिन ये इजाफा रियल एस्टेट सेक्टर के प्रदर्शन के वजह से ज्यादा दिख रहा है।
अगर रियलिटी के आंकडों को इसमें शामिल न करें तो इसमें भी 0.12 फीसदी की गिरावट रह सकती है।उम्मीद के विपरीत डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में 1.8 फीसदी की तेजी और येन की मजबूती से कई कंपनियों को आखिरी तिमाही में विदेशी मुद्रा के डेरिवेटिव्स कारोबार में नुकसान हो सकता है जो उनके नॉन ऑपरेटिव इनकम पर खासा असर डालेगा।
रिपोर्ट के मुताबिक रियल एस्टेट, फार्मा, टेलिम्युनिकेशंस, कंस्ट्रक्शन और शिप बिल्डिंग सेक्टरों के आंकड़े अच्छे आ सकते हैं। रियल एस्टेट की अर्निंग्स में इजाफा खासकर उनके लैंड बैंक की बढ़ती कीमत की वजह से हो सकता है। लेकिन इस तिमाही में सबसे खराब आंकड़े सीमेंट, ऑटो पुर्जे और एनबीएफसी सेक्टर से आ सकते हैं, इसके अलावा आश्चर्यजनक रूप से मीडिया और कैपिटल गुड्स सेक्टरों का प्रदर्शन भी कमजोर रहने के आसार हैं।
आने वाले नतीजों से शेयर बाजार भी कुछ आशंकित दिखा है, शुरुआती तीन तिमाहियों में जहां बाजार 55.2 फीसदी चढ़ गया वहीं आखिरी तिमाही में इसमें 22.9 फीसदी की गिरावट आ गई। घरेलू बाजार की गिरावट भी बाकी उभरते बाजारों की गिरावट से ज्यादा रही है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी वजह यही रही कि शुरुआती तीन तिमाहियों में घरेलू बाजार की वैल्युएशंस काफी बढ़ गई थी।
पिछले एक महीने में ही सेंसेक्स का ईपीएस 2008-09 के लिए 956 से घटकर 943 पर आ गया है जबकि 2010 का ईपीएस 1120 रु. (यानी 17.2 फीसदी की ग्रोथ)आंका जा रहा है। बाजार के 0.8-1.0 के प्रॉफिट अर्निंग ग्रोथ (पीईजी) रेशियो को देखते हुए बाजार 14,600-18,900 के स्तर के बीच रहने की उम्मीद है, और इस लिहाज से इसका मीडियन 16,760 अंक का निकलता है जो मौजूदा स्तर से 9 फीसदी ज्यादा है।
रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे बाजार में पोर्टफोलियो में अच्छा मिक्स होना चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक कंस्ट्रक्शन, कैपिटल गुड्स, कंज्यूमर, टेलिकम्युनिकेशंस, निजी बैंक और नैचुरल रिसोर्सेस के सेक्टरों में अच्छी गुंजाइश है और ये आउटपर्फामर हो सकते हैं जबकि रियल एस्टेट और सीमेन्ट सेक्टर अंडरपर्फामर हो सकते हैं और टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल, मीडिया और फाइनेंशियल सेक्टर न्यूट्रल बने रहने के आसार हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे में जिन लार्ज कैप स्टॉक्स का मिक्स होना चाहिए उनमें रिलायंस कम्युनिकेशन, जयप्रकाश इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, जिंदल स्टील, सत्यम, एचयूएल, पुंज लॉयड, क्रॉम्पटन ग्रीव्स एल ऐंड टी, बीएचईएल और आईडीएफसी शामिल हैं।
मिडकैप में आईवीआरसीएल बॉम्बे रेयान, ज्योति स्ट्रक्चर्स, वोल्टास, टयूलिप, एक्सिस बैंक, भारती शिपयार्ड एआईए इंजी., राजेश एक्सपोर्ट और टीवी18-जीबीएन के शेयरों का मिक्स सबसे बेहतर रह सकता है।