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नए परिसंपत्ति वर्ग में और नरमी की मांग, म्युचुअल फंडों की तुलना में निवेश नियमों में छूट का प्रस्ताव

कुछ फंडों की सिफारिशों में क्लोज एंडेड क्रेडिट रिस्क फंड, हाइब्रिड डेट और रीट फंडों के अलावा सेक्टोरल व थी​मेटिक डेट फंडों को शामिल करने का अनुरोध किया गया है।

Last Updated- August 07, 2024 | 9:45 PM IST
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अगर म्युचुअल फंड उद्योग के सुझावों को अंतिम नियमों में जगह मिली तो बाजार नियामक सेबी की तरफ से प्रस्तावित नए परिसंपत्ति वर्ग में विभिन्न तरह की योजनाएं पेश हो सकती हैं। इनमें इक्विटी और डेट श्रेणी में उच्च जोखिम रणनीति वाली योजनाएं शामिल हैं। बाजार नियामक ने नए परिसंपत्ति वर्ग को म्युचुअल फंडों की तुलना में निवेश नियमों में छूट का प्रस्ताव किया है।

सूत्रों ने बताया कि कुछ फंड संकेंद्रण और लचीलेपन से जुड़े नियमों में और छूट चाहते हैं जिससे कि उनको उन प्रतिभूतियों में निवेश का फायदा मिले जो अभी फंडों के दायरे से बाहर हैं। इनमें असूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियां और ऋणपत्र शामिल हैं।

जुलाई में सेबी ने नया परिसंपत्ति वर्ग शुरू करने के लिए चर्चा पत्र जारी किया था जो म्युचुअल फंडों और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज के बीच का होगा। सिर्फ फंड ही नए परिसंपत्ति वर्ग की ऐसी योजनाएं पेश कर सकेंगे जहां निवेशकी न्यूनतम सीमा 10 लाख रुपये होगी। म्युचुअल फंडों के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक फंडों ने अपने उद्योग संगठन को सिफारिशें भेज दी है जो उन्हें एकत्रित कर बाजार नियामक सेबी के पास भेजेगा।

म्युचुअल फंडों की ज्यादा दिलचस्पी डेट में है क्योंकि उद्योग को लगता है कि ज्यादा रिटर्न देने वाली डेट योजनाओं में छिपी हुई मांग निकलेगी। कुछ फंडों की सिफारिशों में क्लोज एंडेड क्रेडिट रिस्क फंड, हाइब्रिड डेट और रीट फंडों के अलावा सेक्टोरल व थी​मेटिक डेट फंडों को शामिल करने का अनुरोध किया गया है। साथ ही कम रेटिंग वाली प्रतिभूतियों में उच्च संकेंद्रण वाले दांव में लचीले रुख की मांग की गई है।

एक फंड अधिकारी ने कहा कि नियामक ने डेट फंडों के लिए सेक्टोरल निवेश की सीमा 25 फीसदी करने का प्रस्ताव किया है। इसे करीब 50 फीसदी किया जाना चाहिए ताकि सेक्टोरल व थी​मेटिक डेट फंडों के लिए गुंजाइश बने। कुछ फंडों ने तो 300 फीसदी तक के लिवरेज की अनुमति की मांग की है।

इक्विटी के लिहाज से प्रस्तावित रणनीतियों में लॉन्ग शॉर्ट फंड, कंसन्ट्रेटेड इक्विटी फंड और ऐक्टिव देसी व अंतरराष्ट्रीय ईटीएफ शामिल हैं। रणनीतियों व निवेश में आजादी के अलावा फंडों ने यह भी सिफारिश की है कि नए परिसंपत्ति वर्ग के लिए पात्रता मानंदडों को कम किया जाए और नियत खर्च अनुपात वाले मॉडल की इजाजत दी जाए। फंडों के लिए अभी स्लैब आधारित व्यवस्था लागू है।

चर्चा पत्र में सेबी ने नए परिसंपत्ति वर्ग का लाइसेंस म्युचुअल फंडों को देने के लिए दो पात्रता मानकों का प्रस्ताव किया है। पहले मानक के तहत फंड हाउस को कम से कम तीन साल पुराना होना चाहिए और उसके पास न्यूनतम 10,000 करोड़ रुपये की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां होनी चाहिए।

वैकल्पिक उपाय के तहत फंड को कम से कम 5,000 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों का प्रबंधन करने वाले 10 वर्षीय अनुभवी मुख्य निवेश अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी। फंड मैनेजर के पास कम से कम 3,000 करोड़ रुपये की एयूएम के प्रबंधन का न्यूनतम 7 साल का अनुभव होना चाहिए।

सभी फंड हालांकि नए परिसंपत्ति वर्ग के लिए उदार नियमों के हक में नहीं हैं। कुछ का मानना है कि निवेशकों के लिए न्यूनतम निवेश सीमा के अलावा रणनीतियों और पाबंदियों की सीमा होनी चाहिए। जोखिम को देखते हुए सिर्फ गंभीर निवेशकों को ही ऐसी योजनाओं से जुड़ना चाहिए। इसका एक रास्ता यह है कि सिर्फ एक्रिडेटेड निवेशकों को ही अनुमति मिले।

First Published - August 7, 2024 | 9:45 PM IST

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