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Coalition governments: क्या गठबंधन सरकारें बाज़ार के लिए बुरी होती हैं? जानें क्या कहते हैं आंकड़े

यूबीएस के विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा के नेतृत्व वाले कमजोर गठबंधन में भी सुधारों की रफ्तार लगभग समान रहने की संभावना है

Last Updated- June 04, 2024 | 5:56 PM IST
Editorial: Some unnatural aspects of the decline in the stock market शेयर बाजार में आई गिरावट के कुछ अस्वाभाविक पहलू

विश्लेषकों का कहना है कि गठबंधन सरकार जरूरी नहीं कि शेयर बाजार के लिए खराब हो, लेकिन सरकार को अपने कार्यकाल के लिए एक स्पष्ट कार्ययोजना बनानी चाहिए। विश्लेषकों का कहना है कि भले ही सरकार बदलने या कमजोर गठबंधन बनने से बाजार की धारणा पर तेज असर पड़ेगा, लेकिन यह याद रखना जरूरी है कि भारत में कई अच्छी चीजें हो रही हैं जो सरकार से स्वतंत्र हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि इन अच्छी चीजों में युवाओं की अच्छी संख्या (demographics), शिक्षित लोगों का बड़ा वर्ग, भारत का विशाल घरेलू बाजार, पिछले सुधारों का कुल प्रभाव और साथ ही वैश्विक स्तर पर हो रहे बदलाव जैसे सप्लाई चेन में बदलाव और डिजिटलीकरण का तेजी से बढ़ना शामिल है।

इसका मतलब यह नहीं है कि सरकार की नीतियों के बदलाव का कोई असर नहीं होगा, लेकिन इतना जरूर है कि हमें लंबे समय के आकलन में बहुत ज्यादा निराश या उत्साहित नहीं होना चाहिए। (MUFG, जो जापान की एक रिसर्च कंपनी है, के विश्लेषकों ने ये बातें कहीं।)

यूबीएस के विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा के नेतृत्व वाले कमजोर गठबंधन में भी सुधारों की रफ्तार लगभग समान रहने की संभावना है, लेकिन कुछ कड़े फैसले जैसे विनिवेश (सरकारी संपत्ति बेचना), जमीन अधिग्रहण कानून और समान नागरिक संहिता को आगे बढ़ाने में देरी हो सकती है या इन्हें टाला जा सकता है। हालांकि, ऐसे हालात में निवेशकों को सरकारी खर्च (fiscal discipline) को लेकर थोड़ी राहत मिल सकती है।

वहीं दूसरी तरफ, अगर INDIA गुट कमजोर गठबंधन सरकार बनाता है, तो आर्थिक नीतियों का रुख काफी हद तक एक जैसा ही रहेगा, लेकिन बाजार को सरकारी खर्च और कम निर्णायक सरकार को लेकर चिंता हो सकती है, जिससे आपूर्ति पक्ष (supply-side) के सुधारों को लागू करने में देरी हो सकती है।

विश्लेषकों ने हाल ही के एक नोट में कहा कि “आश्चर्यजनक राजनीतिक परिणाम के कारण कमजोर कारोबारी माहौल बनने से निजी कंपनियों के पूंजीगत व्यय (capex) रिकवरी में भी देरी हो सकती है।”

गठबंधन सरकार (coalition government) क्या है?

गठबंधन सरकार (coalition government) तब बनती है जब विभिन्न राजनीतिक दल सत्ता में हिस्सेदारी करने के लिए एक समझौता करते हैं और उनमें से किसी एक नेता को सरकार का प्रमुख चुना जाता है। आमतौर पर, ऐसी गठबंधन सरकारें तब बनती हैं, जब कोई भी एक पार्टी सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत हासिल करने में असमर्थ होती है।

गठबंधन सरकारें कितने प्रकार की होती हैं?

बहुमत से अधिक वाली गठबंधन सरकार (Surplus Majority Coalition Government): इस तरह की सरकार में कोई एक पार्टी संसद में सीटों का पूर्ण बहुमत हासिल करने से ज्यादा सीटें जीत लेती है, लेकिन फिर भी सरकार चलाने के लिए अन्य दलों के साथ गठबंधन करती है।

अल्पसंख्यक गठबंधन सरकार (Minority Coalition Government): इस तरह की सरकार में गठबंधन करने वाले सभी दल मिलकर भी संसद में सीटों का बहुमत हासिल नहीं कर पाते हैं।

भारत में गठबंधन सरकारों का इतिहास (History of Coalition Governments in India):

भारत में पहली गठबंधन सरकार 1977 में बनी थी, जिसमें मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने। 1980 और 1990 के दशक में भारत में कई गठबंधन सरकारें बनीं। इन दशकों में वीपी सिंह, चंद्र शेखर, इंद्र कुमार गुजराल और एचडी देवेगौड़ा अलग-अलग समय में भारत के प्रधानमंत्री रहे।

गठबंधन सरकारों के कार्यकाल में शेयर बाजार का प्रदर्शन (Stock Market Performance under Coalition Governments)

यह जरूरी नहीं है कि गठबंधन सरकारें शेयर बाजार के लिए खराब हों। PMIndia.gov.in के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 1989 से अक्टूबर 1990 के बीच वीपी सिंह के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के कार्यकाल में सेंसेक्स 95.6 प्रतिशत बढ़ा था।

भारतीय शेयर बाजार का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन एक गठबंधन सरकार के शासन में हुआ था, जिसका नेतृत्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने किया था। उन्होंने 22 मई, 2004 से 22 मई, 2009 के बीच संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन -1 (UPA -1) का नेतृत्व किया। इस दौरान सेंसेक्स में 179.9 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई, जैसा कि PMIndia.gov.in के आंकड़ों से पता चलता है।

First Published - June 4, 2024 | 5:49 PM IST

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