केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में कौशल के आधारभूत ढांचे में सुधार के लिए औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) की 60,000 करोड़ रुपये की उन्नयन योजना को बुधवार को मंजूरी दे दी। यह योजना 1,000 सरकारी आईटीआई पर केंद्रित है। इस क्रम में उद्योग से जुड़े ट्रेड्स का पुनरुद्धार कर समझौते किए जाएंगे।
इस योजना की घोषणा केंद्रीय बजट 2024-25 में की गई थी और इसकी अवधि पांच वर्ष होगी। इस योजना के तहत 60,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें केंद्र 30,000 करो़ड़ रुपये, राज्य 20,000 करोड़ रुपये और उद्योग 10,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगा। इसमें 50 प्रतिशत तक का सहऋण एशिया विकास बैंक और विश्व बैंक के सहयोग से समान स्तर पर उपलब्ध कराया जाएगा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद सरकारी बयान में बताया गया, ‘बीते समय में विभिन्न योजनाओं के तहत प्रदान की वित्तीय सहायता आईटीआई के पूर्ण उन्नयन लक्ष्य को हासिल करने में अपर्याप्त थीं। यह विशेष तौर पर आधारभूत ढांचे को दुरुस्त रखने की जरूरत, क्षमता विस्तार, पूंजी सघन व नए दौर के कारोबार की बढ़ती निवेश जरूरतों को पूरा करने में अपूर्ण थीं। इससे उबरने के लिए इस प्रस्तावित योजना में जरूरत आधारित प्रावधान किए जाने की आवश्यकता है। इस क्रम में प्रत्येक संस्थान में चुनिंदा आधारभूत ढांचे, क्षमता और ट्रेड संबंधित जरूरत के लिए धन आसानी से आबंटित किया जाएगा।’
इसके अलावा मंत्रिमंडल ने कौशल उत्कृष्टता के पांच राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना की स्वीकृति दी और इनकी स्थापना पांच राष्ट्रीय कौशल संस्थानों (एनएसटीआई) में भुवनेश्वर, चेन्नई, हैदराबाद, कानपुर और लुधियाना में होगी। इस सिलसिले में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में अपने बजट भाषण में घोषणा की थी।
देश में पहले एनएसटीआई की घोषणा 1963 में हुई थी। अभी देश में 33 ऐसे संस्थान है। एनएसटीआई में मुख्य तौर पर प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण दिया जाता है।
आईटीआई उन्नयन योजना का लक्ष्य इन पाठ्यक्रमों के जरिये 20 लाख युवाओं के कौशल का विकास करना है। इससे उद्योगों में मानव पूंजी की आवश्यकता को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस योजना का ध्येय स्थानीय श्रम बल आपूर्ति और उद्योग की मांग के बीच सामंजस्य सुनिश्चित करना है। इस क्रम में एमएसएमई सहित उद्योगों को सुविधाएं मुहैया करवाना है ताकि उन्हें रोजगार के लिए तैयार श्रमिक मिलें।
बयान में कहा गया, ‘आधारभूत ढांचा, पाठ्यक्रम की प्रासंगिकता, रोजगारपरकता और व्यावसायिक प्रशिक्षण से लंबे समय से जुड़ी दीर्घावधि चुनौतियों का समाधान किया जाएगा। इस योजना का ध्येय राष्ट्र की वैश्विक विनिर्माता और नवाचार की महाशक्ति बनने की दिशा में कुशल मानवश्रम की जरूरतों को आगे बढ़कर पूरा करना है।’