facebookmetapixel
Airtel से लेकर HDFC Bank तक मोतीलाल ओसवाल ने चुने ये 10 तगड़े स्टॉक्स, 24% तक मिल सकता है रिटर्नबाबा रामदेव की FMCG कंपनी दे रही है 2 फ्री शेयर! रिकॉर्ड डेट और पूरी डिटेल यहां देखेंभारत-अमेरिका फिर से व्यापार वार्ता शुरू करने को तैयार, मोदी और ट्रंप की बातचीत जल्दGold-Silver Price Today: रिकॉर्ड हाई के बाद सोने के दाम में गिरावट, चांदी चमकी; जानें आज के ताजा भावApple ‘Awe dropping’ Event: iPhone 17, iPhone Air और Pro Max के साथ नए Watch और AirPods हुए लॉन्चBSE 500 IT कंपनी दे रही है अब तक का सबसे बड़ा डिविडेंड- जान लें रिकॉर्ड डेटVice President Election Result: 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में चुने गए सीपी राधाकृष्णन, बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट मिलेनेपाल में सोशल मीडिया बैन से भड़का युवा आंदोलन, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने दिया इस्तीफापंजाब-हिमाचल बाढ़ त्रासदी: पीएम मोदी ने किया 3,100 करोड़ रुपये की मदद का ऐलाननेपाल में हिंसक प्रदर्शनों के बीच भारत ने नागरिकों को यात्रा से रोका, काठमांडू की दर्जनों उड़ानें रद्द

डेरिवेटिव सेगमेंट पर रहेगा BSE का ध्यान: CEO

Last Updated- May 18, 2023 | 11:36 PM IST
This time we will be able to crack the derivatives segment
BS

ए​शिया का सबसे बड़ा एक्सचेंज BSE डेरिवेटिव सेगमेंट में सफलता पाने में विफल रहा है। संपूर्ण डेरिवेटिव तरलता प्रतिस्पर्धी NSE से जुड़ी हुई है। एक्सचेंज ने नए एमडी (MD) एवं सीईओ (CEO) सुंदररमन राममूर्ति के अधीन सेंसेक्स और बैंकेक्स डेरिवेटिव्स को पुन: पेश कर दायरा बढ़ाने की को​शिश की है। निवेशक आकर्षित करने के लिए एक्सचेंज ने लॉट आकार घटाया है और निपटान चक्र शुक्रवार कर दिया है। समी मोडक के साथ साक्षात्कार में उन्होंने इस बारे में विस्तार से बताया कि एक्सचेंज क्षेत्र में देश को क्यों प्रतिस्पर्धी बने रहने की जरूरत है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

BSE ने डेरिवेटिव सेगमेंट में दबदबा कायम करने के कई प्रयास ​किए। क्या आपको लगता है कि इस बार सफलता हासिल होगी?

मैं पिछले समय के बारे में नहीं बता सकता, लेकिन इस बार हमारी रणनीति कारगर साबित होगी। हमने उन सभी समस्याओं को दूर किया है, जिनसे पिछले समय में BSE के डेरिवेटिव सेगमेंट का विकास बा​धित हुआ। हम कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। निवेशक से लेकर ब्रोकर और सॉफ्टवेयर प्रदाता तथा एल्गो डेवलपरों से जुड़ी सभी समस्याओं को हमने सुलझाने की को​शिश की है। कुछ महीने लगेंगे, पर इस बार हमें सफलता जरूर मिलेगी।

क्या आपने नया उत्पाद पेश करने से पहले हालात और चुनौतियों का अनुमान लगाया था?

यह सवाल हमारे सामने भी आया, लेकिन जब तक आप कोई योजना या उत्पादन पेश नहीं कर देते, तब तक कोई भी आपसे जुड़ने को तैयार नहीं होता। अक्सर आपको यही प्रतिक्रिया मिलती है, ‘उत्पाद नहीं आया है, पहले आपके पास उत्पाद होना चाहिए, फिर हम इस पर विचार करेंगे।’ जब आप कोई उत्पाद लाते हैं, तो लोग यह भी कहेंगे कि आपने बैक-ऐंड पर गहनता से काम करने के बजाय पहले इसे पेश क्यों कर दिया।

क्या BSE को NSE के डेरिवेटिव ​लिक्वीडिटी पूल में सेंध लगाने में मदद मिलेगी?

यह एक सराहनीय पहल है। इसे अलग रास्ते पर चलना है, अलग एक्सपायरी और लॉट आकार है। इससे पेयर ट्रेडिंग जैसी कई रणनीतियों की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। हम NSE की बाजार भागीदारी में सेंध लगाने की को​शिश नहीं कर रहे हैं। इसकी वजह से संपूर्ण लिक्वीडिटी पूल बढ़ेगा, क्योंकि ये उत्पाद स्वाभाविक तौर पर पूरक एवं मददगार हैं।

आपने किसी लिक्वीडिटी इन्हैंस स्कीम (LES) पर ध्यान केंद्रित क्यों नहीं किया है?

यदि सभी समस्याओं को दूर नहीं किया गया तो LES कारगर नहीं होगी। पिछले 11 साल में, LES को BSE द्वारा कई बार आजमया गया था। यह कारगर साबित नहीं हुआ। यदि आप सभी समस्याओं को दूर कर लेते हैं तो मेरा मानना है कि एलईएस स्कीम की जरूरत नहीं होगी। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है। आपको उस बारे में मजबूती से विचार करना चाहिए जो आप करना चाहेंगे और फिर यह कार्य करने में पूरी को​शिश की जानी चाहिए।

रिटेल निवेशकों की दिलचस्पी बाद में घटी है। क्या रिटेल दिलचस्पी का चरम पीछे छूट चुका है?

बाजार में बदलाव और भागीदारी का अंदाजा लगाना कठिन है। ऐसे कई कारण हो सकते हैं कि कुछ समय आपको ज्यादा सक्रिय ग्राहक क्यों मिलते हैं। इसे दीर्घाव​धि नजरिये से देखना जरूरी है। यदि आप ज्यादा समावेशी हैं और बाजार के सभी सेगमेंट पर ध्यान देते हैं तो दीर्घाव​धि में ग्राहकों की संख्या बढ़ेगी।

वन-कंट्री-वन-एक्सचेंज की अवधारणा पर आपका क्या नजरिया है?

सिंगापुर, हांगकांग, आस्ट्रेलिया, द​क्षिण कोरिया और ताइवान जैसे देशों का ही उदाहरण ले लीजिए। इनमें से कई देशों में सिर्फ एक एक्सचेंज है। लेकिन नियामकीय ढांचा और शेयरधारक संरचना अलग है। यदि सिर्फ एक एक्सचेंज हो तो कॉरपोरेट प्रशासन को लेकर मुख्य चिंता होगी। भारत जैसे देश का आकार और विविधता को देखते हुए एक एक्सचेंज पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा साइबर सुरक्षा से जुड़ा जो​खिम भी है।

First Published - May 16, 2023 | 8:45 PM IST

संबंधित पोस्ट