अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बुधवार को दरों में 50 आधार अंक तक की कटौती की। ये दरें 5.25-5.5 प्रतिशत से घटाकर 4.75-5 प्रतिशत की गई हैं। वर्ष 2020 के बाद यह पहली कटौती है। ब्याज दरों में यह कटौती नवंबर 2024 में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले और अमेरिका में रोजगार बाजार से जुड़ी चिंताओं के बीच की गई है।
इस कदम के बाद विश्लेषकों को उम्मीद है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक अब अपनी ब्याज दरों में कटौती की दिशा में धीमी गति से आगे बढ़ेगा, आंकड़ों पर निर्भर रहेगा और 5 नवंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के नतीजों पर भी नजर रखेगा। यहां फेड के इस कदम पर प्रमुख ब्रोकरेज की राय पेश की जा रही है।
बैठक का बयान भी हमारी अपेक्षा से कम नरम था। हमें नवंबर और दिसंबर में 25 आधार अंक कटौती की उम्मीद है। नए निर्णय से ज्यादा कठोर रुख अपनाने का जोखिम बढ़ा है। फेड ने श्रम बाजार की कमजोरी के प्रति ज्यादा संवेदनशीलता का संकेत दिया है।
दरों के बाजार ने फेड की कार्रवाई और संबंधित संदेश की नरम से तटस्थ के तौर पर व्याख्या की है। यह कार्रवाई दर्शाती है कि फेड स्पष्ट रूप से नीतिगत दर और बैलेंस शीट में होने वाले बदलावों को स्वतंत्र रूप से देखता है। बुधवार के कदम से फेड के लिए विश्वसनीयता की समस्या पैदा हुई है क्योंकि पहले अनुमान 25 आधार अंकों की कटौती का था और दर स्थिरता के दौरान आंकड़े मामूली रूप से आक्रामक थे। हमारा मानना है कि फेड को चौथी तिमाही में 50 आधार अंक की कटौती के लिए मजबूर होना पड़ सकता है तथा इस वर्ष 75 आधार अंक की और कटौती कर सकता है।
बिना किसी ठोस आंकड़े या पूर्वानुमान के 50 आधार अंक की कटौती करके फेड पूर्व और संभवतः अगले राष्ट्रपति ट्रंप पर ताना मार रहा है। अगले साल इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। अकेली असहमति जताने वाली मिशेल बोमन के फेड की अगली अध्यक्ष बनने की संभावना बढ़ गई है।
भविष्य के लिहाज से अगर यह वास्तव में पुनर्संयोजन था और 50 नया 25 नहीं बन गया है, तो भी हम नवंबर, दिसंबर और जनवरी में होने वाली तीन आगामी बैठकों में से प्रत्येक में 25-25 आधार अंक दर कटौती की उम्मीद करते हैं। जनवरी के बाद ज्यादा मात्रा में दर कटौती अगले प्रशासन की आर्थिक नीतियों पर निर्भर करेगी।
अमेरिकी फेड ने बाजार की बदलती उम्मीदों को ध्यान में रखते हुए 50 आधार अंक की बड़ी कटौती के साथ दर कटौती का चक्र शुरू किया है। मुद्रास्फीति अस्थायी है और दरें लंबे समय तक ऊंची रहेंगी, फेड ने बाजार की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए लंबा सफर तय किया है। यह दर कटौती कमजोर डॉलर और कम दरों के साथ उभरते बाजार में पूंजी प्रवाह को बढ़ाएगी।
फेड की 50 आधार अंक की बड़ी कटौती से इक्विटी बाजारों के ऊपर की ओर बढ़ने के साथ मजबूत होने की संभावना है। आगे चलकर फेड से और भी दर कटौती की उम्मीद है। 2024 के अंत तक दरें 4.4 प्रतिशत और 2025 के अंत तक 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। फेड के इस कदम से भारत में भी दर कटौती का रास्ता साफ होगा। पिछले दो महीनों के दौरान उपभोक्ता मुद्रास्फीति आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे आने से दरों में कटौती करने में मदद मिलेगी।