Siemens के शेयरों में आज ऐसी फिसलन आई कि निवेशकों की धड़कनें तेज हो गईं। गुरुवार, 13 फरवरी 2025 को शेयर 3.59% गिरकर ₹5,018.7 तक लुढ़क गया। वजह? कंपनी के कमजोर तिमाही नतीजे। अक्टूबर-दिसंबर 2024 (Q1FY25) में Siemens का प्रदर्शन उम्मीदों से कमजोर रहा, जिससे बाजार में बेचैनी बढ़ गई।
अब जरा इस गिरावट की वजह समझते हैं। Siemens की कुल कमाई 3.3% घटकर ₹3,587.2 करोड़ रह गई। पिछले साल इसी तिमाही में यह ₹3,709.5 करोड़ थी। मुनाफा जरूर 21.5% बढ़कर ₹614.6 करोड़ हो गया, लेकिन ऑपरेटिंग परफॉर्मेंस कमजोर पड़ा। EBITDA (ऑपरेटिंग प्रॉफिट) 11.5% गिरकर ₹401 करोड़ हो गया और मार्जिन भी सिकुड़कर 11.2% पर आ गया। निवेशक यही देखकर बेचैन हो गए।
लेकिन कहानी में ट्विस्ट भी है! कंपनी के नए ऑर्डर 20% बढ़कर ₹4,258 करोड़ हो गए। और सबसे बड़ी बात, Siemens का एनर्जी बिजनेस का डीमर्जर सही ट्रैक पर है।
Siemens के MD सुनील माथुर का कहना है कि कंपनी की स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और मोबिलिटी बिजनेस (जो सरकार के कैपेक्स खर्च से जुड़े हैं) अच्छा कर रहे हैं। लेकिन प्राइवेट सेक्टर के खर्च में सुस्ती और डिजिटल इंडस्ट्री सेगमेंट में गिरावट का असर राजस्व और मुनाफे पर पड़ा है। माथुर को उम्मीद है कि सरकार के नए बजट और बुनियादी ढांचे पर बढ़ते निवेश से कंपनी को फायदा होगा।
अब सवाल ये कि ब्रोकरेज हाउस क्या कह रहे हैं?
Nuvama का कहना है कि Siemens का एनर्जी सेगमेंट शानदार परफॉर्म कर रहा है, लेकिन बाकी सेगमेंट दबाव में हैं। इसलिए उन्होंने शेयर पर ‘Hold’ रेटिंग दी है और टारगेट प्राइस ₹5,875 रखा है। आज कंपनी का शेयर BSE पर 5,115.10 रुपये पर बंद हुआ। इस भाव के लिहाज से ये शेयर लॉन्ग टर्म में 15 फीसदी का रिटर्न दे सकता है।
Motilal Oswal ने भी ‘Neutral’ रेटिंग देते हुए शेयर का टारगेट घटाकर ₹5,750 कर दिया है। इस भाव के लिहाज से ये शेयर लॉन्ग टर्म में 12 फीसदी का रिटर्न दे सकता है। उनका मानना है कि स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल इंडस्ट्री में रिकवरी उम्मीद से धीमी होगी।
UBS ने Siemens के लिए ‘Buy’ रेटिंग बनाए रखी है और शेयर का टारगेट प्राइस ₹8,000 तय किया है। इस भाव के लिहाज से ये शेयर लॉन्ग टर्म में 56 फीसदी का रिटर्न दे सकता है। ब्रोकरेज का कहना है कि कंपनी का एनर्जी सेगमेंट मजबूत बना हुआ है और इसकी ग्रोथ अच्छी बनी रहेगी। हालांकि, एनर्जी से बाहर के कारोबार (Ex-Energy P&L) पर दबाव दिखा, खासकर शॉर्ट-साइकिल प्रोजेक्ट्स में कमजोरी के कारण। लेकिन अच्छी खबर यह है कि मोबिलिटी और इलेक्ट्रिक सेगमेंट में मार्जिन सुधरा है, जिससे इन क्षेत्रों में मजबूती देखी गई है।