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बेहतर रिटर्न के लिए म्युचुअल फंडों का डेरिवेटिव्स पर दांव

कॉल ऑप्शन किसी शेयर या इंडेक्स को पूर्व निर्धारित मूल्य पर खरीदने का अधिकार है। अगर मूल्य कॉल ऑप्शन के जरिये लॉक की गई कीमत से ऊपर जाता है तो खरीदार को लाभ होता है।

Last Updated- November 07, 2025 | 9:55 PM IST
Mutual funds

सुस्त बाजार में बेहतर रिटर्न के लिए म्युचुअल फंड डेरिवेटिव का इस्तेमाल कर रहे हैं। कई योजनाओं ने अपने परिचालन के हिस्से के रूप में कवर्ड कॉल्स इस्तेमाल करना शुरू किया है। कवर्ड कॉल्स के इस्तेमाल के प्रावधान वाली नई योजनाओं में एसबीआई बिजनेस साइकल फंड, मिरे ऐसेट इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड, कोटक रूरल अपॉरच्युनिटीज फंड और आईसीआईसीआई प्रू कॉन्ग्लोमरेट फंड शामिल हैं। एक मौजूदा योजना मिरे ऐसेट एग्रेसिव हाइब्रिड फंड ने हाल में निवेशकों को सूचित किया है कि वह कवर्ड कॉल ऑप्शन का इस्तेमाल करेगी और इसके लिए अपने फंड में बदलाव करेगी।

कॉल ऑप्शन किसी शेयर या इंडेक्स को पूर्व निर्धारित मूल्य पर खरीदने का अधिकार है। अगर मूल्य कॉल ऑप्शन के जरिये लॉक की गई कीमत से ऊपर जाता है तो खरीदार को लाभ होता है। कॉल ऑप्शन का विक्रेता इसे पूर्व-निर्धारित मूल्य पर डिलिवर कर देता है या सौदे के आधार पर नकद में निपटान कर सकता है। उदाहरण के लिए, एक निवेशक 100 रुपये वाला शेयर को 110 के कॉल पर बेच सकता है और इसके लिए एक छोटा प्रीमियम (मान लीजिए 2 रुपये) ले सकता है। अगर ऑप्शन विक्रेता के पास पहले से ही वह शेयर है जिसके लिए उसने कॉल ऑप्शन बेचे हैं, तो यह रणनीति कवर्ड कॉल कहलाती है। अगर अंडरलाइंग नहीं बढ़ती है तो खरीदार के लिए ऑप्शन बेकार हो जाता है। ऑप्शन विक्रेता अपने शेयरों को खुद के पास रखते हुए थोड़ा लाभ कमा लेता है।

एक विदेशी म्युचुअल फंड के पूर्व फंड मैनेजर ने सुझाव दिया कि एक ऐसेट मैनेजर आमतौर पर इस रणनीति का इस्तेमाल तब करता है जब बाजार के बारे में यह अनुमान होता है कि यह सीमित दायरे में रहेगा या इसमें सीमित बढ़त की संभावना है। उन्होंने कहा, अगर बाजार में भारी तेजी का रुख हो तो आप कॉल राइट नहीं करेंगे।

बीएसई सेंसेक्स एक साल बाद भी सितंबर 2024 के सर्वकालिक उच्चस्तर 85,978.25 से नीचे है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 2010 में म्युचुअल फंडों को ऑप्शंस राइटिंग से प्रतिबंधित कर दिया था। उसने 2019 में कवर्ड कॉल की अनुमति देने के लिए इस प्रावधान को संशोधित किया। एसबीआई म्युचुअल फंड के प्रवक्ता के अनुसार, कवर्ड कॉल का उपयोग जरूरी नहीं कि हाल के दिनों में बाजार में अपेक्षाकृत कमजोर रिटर्न या सीमित उछाल को दर्शाता हो।

उन्होंने कहा, अल्पकालिक बाजार स्थितियों पर प्रतिक्रिया देने के बजाय कवर्ड कॉल्स आय सृजित करने का एक रणनीतिक तरीका बन गए हैं। अगर किसी शेयर की कीमत अपेक्षाकृत स्थिर रहती है तो कवर्ड कॉल थोड़ा अतिरिक्त रिटर्न कमाने में मदद कर सकते है।

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के प्रमुख (निवेश रणनीति) चिंतन हरिया ने कहा, पिछले 12 महीनों में बाजारों में एक दायरे में उतार-चढ़ाव देखा गया है। मजबूत खुदरा इक्विटी निवेश ने भी हाल के दिनों में भारतीय बाजारों में अस्थिरता कम करने में योगदान दिया है।

एक ऐसे फंड पर विचार करते हैं, जो अपनी 5 फीसदी होल्डिंग्स पर कवर्ड कॉल्स राइट करता है यानी कॉल ऑप्शन बेचता है और उस हिस्से पर 2 फीसदी यील्ड कमाता है। इससे निवेशकों के रिटर्न में करीब 10 आधार अंक की बढ़ोतरी हो सकती है। इसका वास्तविक प्रभाव बाजार की स्थितियों, निवेश के स्तर और मौजूदा यील्ड पर निर्भर करता है।

हरिया ने कहा कि कवर्ड कॉल उन हाइब्रिड योजनाओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी हो सकते हैं, जो डेट और इक्विटी दोनों में निवेश करती हैं क्योंकि इन फंडों को अक्सर अपने ऐसेट एलोकेशन को बनाए रखने के लिए मूल्य में वृद्धि वाले इक्विटी को बेचने की आवश्यकता होती है। कवर्ड कॉल राइट करने से उन्हें ऐसा ज्यादा कुशलता से करने की गुंजाइश मिल जाती है।

म्युचुअल फंड्स में कुल डेरिवेटिव निवेश सितंबर 2019 के 0.6 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर सितंबर 2025 तक 2.6 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। इसमें से कुछ म्युचुअल फंडों की बढ़ती प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) को भी दर्शाता है। इन परिसंपत्तियों के प्रतिशत के रूप में डेरिवेटिव पोजीशन का हिस्सा सितंबर 2019 के 2.2 फीसदी की तुलना में सितंबर 2025 में 3.4 फीसदी रहा।

First Published - November 7, 2025 | 9:51 PM IST

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