भारत पेट्रोलियम (बीपीसीएल) का शेयर एक बार फिर से निवेशकों का ध्यान आकर्षित कर रहा है। सरकार की विनिवेश प्रक्रिया में तेजी आने से इस शेयर का आकर्षण बढ़ा है। रिफाइनिंग एवं तेल रिटेलिंग दिग्गज बीपीसीएल में सरकारी की हिस्सेदारी के लिए संभावित बोलीदाताओं के शुरुआती सवालों के प्रति निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) द्वारा प्रतिक्रिया दिखाए जाने के बाद इस शेयर में शुक्रवार को 12 प्रतिशत की तेजी आई। विनिवेश घटनाक्रम से पता चलता है कि निजीकरण की प्रक्रिया बरकरार है।
हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि अभिरुचि पत्र (ईओआई) सौंपने के लिए 31 जुलाई की तारीख को बढ़ाया जा सकता है, लेकिन बाजार अब यह मानकर चल रहा है कि सरकार वित्त वर्ष 2021 तक विनिवेश प्रक्रिया को पूरा कर लेगी।
बीपीसीएल के विनिवेश से निवेशकों के लिए वैल्यू एकत्रित करने में मदद मिलेगी, जो इस शेयर के लिए बड़े बदलावों में से एक है। कंपनी का शेयर फिर से अच्छी तेजी दर्ज कर सकता है क्योंकि विनिवेश प्रक्रिया पर काम चल रहा है।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि गैस परिसंपत्तियों समेत बीपीसीएल के सभी व्यवसाय विनिवेश सौदे का हिस्सा होंगे। विश्लेषकों का कहना है कि परिसंपत्ति कीमत मूल्यांकन के नजरिये से सरकार का यह स्पष्टीकरण सकारात्मक है।
बड़े रिटेल नेटवर्क (रिटेल पेट्रोलियम उत्पाद व्यवसाय में करीब 20 प्रतिशत भागीदारी), शानदार रिफाइनिंग क्षमताओं और हाइड्रोकार्बन अन्वेषण एवं उत्पादन (ईऐंडपी) परिसंपत्तियों के साथ बीपीसीएल तेजी से बढ़ रहे भारतीय तेल बाजार में संभावनाएं तलाश रहीं वैश्विक कंपनियों के लिए एक अच्छा अवसर है।
अब बड़ी उपलब्धि वास्तविक ईओआई होगा जिससे संभावित बोलीदाताओं के बारे में स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। हालांकि परिसंपत्ति कीमत मूल्यांकन बाद में होगा, लेकिन सौदे के हिस्से के तौर पर अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम दोनों तरह की परिसंपत्तियों को ध्यान में रखकर विश्लेषकों ने बीपीसीएल की प्रति शेयर वैल्यू 550 रुपये पर अनुमानित की है। इस शेयर ने विनिवेश प्रक्रिया में विलंब होने से पहले नवंबर 2019 में इसी तरह का स्तर दर्ज किया था।
एक विदेशी ब्रोकरेज फर्म के विश्लेषक ने कहा कि 500 रुपये का उनका कीमत लक्ष्य मल्टीपल पर अधिग्रहण प्रीमियम पर आधारित है, लेकिन यह परिसंपत्ति आधारित मूल्यांकन नहीं है, जिस पर किसी संभावित खरीदार को विचार करना होगा। दीर्घावधि संभावनाओं के साथ खरीदार इन परिसंपत्तियों को ज्यादा रकम चुकाएगा।
विश्लेषकों का मानना है कि सऊदी अरामको, रोजनेफ्ट, एक्सनमोबिल, एडीएनओसी जैसे बड़े नामों के साथ साथ रिलायंस इंडस्ट्रीज भी अब इस अधिग्रहण के लिए दावेदार के तौर पर उभर सकती है, क्योंकि वह अब कर्ज-मुक्त हो गई है।
एमके रिसर्च के विश्लेषकों का कहना है कि सरकार की 53 प्रतिशत हिस्सेदारी और 26 प्रतिशत के लिए ओपन ऑफर के साथ 550 रुपये प्रति शेयर के भाव पर 94,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। विश्लेषकों का कहना है कि यदि बीपी इसमें हिस्सा (आरआईएल की भागीदार के तौर पर) लेती है तो आरआईएल के लिए वैल्यू 50,000 करोड़ रुपये से कम हो सकती है। दूसरी तरफ, यदि आरआईएल अकेले इसके लिए बोली लगाती है और विजेता के तौर सफल रहती है तो उसे अरामको के लिए तेल-रसायन व्यवसाय की राह ऊंचे मूल्यांकन के साथ पुन: तैयार करनी पड़ सकती है।
हालांकि रिलायंस सिक्योरिटीज के योगेश पाटिल जैसे कुछ विश्लेषकों को आरआईएल द्वारा बोली लगाए जाने की संभावना नहीं है, क्योंकि वह अब जियो और रिटेल व्यवसायों पर ज्यादा ध्यान दे रही है।
