भारत फोर्ज का शेयर कमजोर अल्पावधि विकास परिदृश्य की वजह से पिछले सोमवार और मंगलवार के दो कारोबारी सत्रों में करीब 17 प्रतिशत कमजोर हो गया था। हालांकि शुक्रवार को इसमें 2 प्रतिशत से ज्यादा तेजी दर्ज की गई।
कंपनी प्रबंधन ने संकेत दिया है कि वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही और वित्त वर्ष 2025 में वृद्धि की रफ्तार घरेलू और निर्यात बाजार दोनों में धीमी रहेगी। हालांकि कंपनी व्यवसाय मिश्रण में विविधता लाकर बाजार के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करने की संभावना तलाश रही है। ब्रोकरों ने विभिन्न सेगमेंटों में सुस्ती को देखते हुए अपने आय अनुमान 11 प्रतिशत तक घटा दिए हैं।
प्रबंधन ने संकेत दिया है कि यात्री वाहन (पीवी) निर्यात, औद्योगिक सेगमेंट और रक्षा के लिए मांग मजबूत है लेकिन यूरोप में वाणिज्यिक वाहन (सीवी) खंड में कमजोरी आ रही है जहां तेल एवं गैस वर्टिकल सुस्त बना हुआ है। घरेलू सीवी के लिए बिक्री मध्यावधि में तेज होने का अनुमान है।
कोटक रिसर्च के ऋषि वोरा और प्रवीण पोरेड्डी का कहना है, ‘जहां हमारे नए व्यावसायिक सेगमेंट (डिफेंस, लाइटवेट, इंडस्ट्रियल कास्टिंग, एरोस्पेस) आगामी वर्षों के दौरान कंपनी की वृद्धि को मजबूत बनाएंगे वहीं हम निर्यात बाजार में घरेलू कंपनियों के लिए बढ़ती प्रतिस्पर्धा और कुछ खास सेगमेंटों में विद्युतीकरण के जोखिम की वजह से कंपनी के मुख्य व्यवसाय के लिए सीमित वृद्धि के अवसर देख रहे हैं।’
ब्रोकरेज ने कम राजस्व वृद्धि के अमुमानों, यूरोपीय संघ के व्यवसाय में कम मुनाफे और ऊंची वित्तीय लागत की आशंका को देखते हुए वित्त वर्ष 2023-2026 के लिए अपने प्रति शेयर आय अनुमान 1 से 11 प्रतिशत तक घटा दिए हैं।
ब्रोकरेज ने अपनी बिकवाली रेटिंग बरकरार रखी है, क्योंकि उसका मानना है कि व्यवसायों की चक्रीय प्रवृत्ति को देखते मूल्यांकन महंगे हैं। जहां अल्पावधि परिदृश्य सुस्त है, वहीं कंपनी के दिसंबर नतीजों ने दलाल पथ को निराश नहीं किया। घरेलू राजस्व में 36 प्रतिशत की वृद्धि के साथ कंपनी का मुख्य राजस्व 16 प्रतिशत बढ़ा।
रक्षा क्षेत्र का राजस्व वृद्धि में मुख्य योगदान रहा जबकि तेल एवं गैस क्षेत्र के राजस्व में गिरावट आई। परिचालन मुनाफा 31 प्रतिशत तक बढ़ा जबकि मार्जिन 320 आधार अंक सुधरकर 28.5 प्रतिशत हो गया जिसके ब्रोकरों ने 27 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। यह वृद्धि कच्चे माल की कम लागत और लागत नियंत्रण उपायों की मदद से संभव हुई।
मोतीलाल ओसवाल रिसर्च ने वित्त वर्ष 2024/वित्त वर्ष 2025 के लिए अपने आय अनुमान 6 से 7 प्रतिशत तक घटा दिए हैं। वाहन निर्यात में कमजोर मांग को ध्यान में रखते हुए ये अनुमान घटाए गए हैं। हालांकि ब्रोकरेज फर्म ने अपनी खरीदारी रेटिंग बरकरार रखी है।
ब्रोकरेज के अंबर शुक्ला और अनिकेत देसाई का कहना है, ‘अल्पावधि परिदृश्य सतर्क है वहीं भारत फोर्ज में उद्योग के मुकाबले अपना प्रदर्शन मजबूत बनाए रखने के लिए कई दीर्घावधि विकास संभावनाएं बकरार हैं।’
जेएम फाइनैंशियल रिसर्च ने भी दीर्घावधि वृद्धि को ध्यान में रखते हुए अपनी ‘खरीदारी’ रेटिंग बरकरार रखी है। हालांकि उसने भी वित्त वर्ष 2025 के आय अनुमान 2 प्रतिशत तक घटा दिए हैं।