भारतीय बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा (बीएफएसआई) क्षेत्र का निफ्टी-50 सूचकांक में दबदबा तेजी से मजबूत हुआ है। सूचकांक में बीएफएसआई का भारांक वित्त वर्ष 2004 में 14.6 फीसदी था, वहीं अप्रैल 2025 में यह बढ़कर 37.9 प्रतिशत पर पहुंच गया। निफ्टी सूचकांक में इस क्षेत्र का दबदबा दो दशकों में बाजार पूंजीकरण में 50 गुना बढ़ने की वजह से मजबूत हुआ है। बीएफएसआई का बाजार पूंजीकरण 2005 में सिर्फ 1.8 लाख करोड़ रुपये की तुलना में तेजी से बढ़कर 2025 में 91 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। हालांकि बैंक इस क्षेत्र की रीढ़ बने हुए हैं, लेकिन कुल बीएफएसआई बाजार पूंजीकरण में उनकी हिस्सेदारी 2005 के 85 प्रतिशत से घटकर 57 प्रतिशत रह गई है, जिसका श्रेय डिजिटलीकरण और नवाचार से प्रेरित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी), फिनटेक फर्मों और बीमा कंपनियों को जाता है।
एचडीएफसी बैंक (वित्त वर्ष 2004 के 1.7 फीसदी से 2025 में भारांक बढ़कर 13.3 फीसदी हो गया) और आईसीआईसीआई बैंक (वित्त वर्ष 2018 के 4.6 फीसदी से बढ़कर 9.1 फीसदी) जैसे प्राइवेट बैंकों का भारांक में बड़ा योगदान है। इस बीच, पीएसयू बैंकों की भागीदारी वित्त वर्ष 2004 के 6 फीसदी से कमजोर पड़कर 2.8 फीसदी रह गई तथा 50 शेयरों वाले सूचकांक में केवल भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ही बचा है।फिनटेक सेगमेंट जहां एक दशक पहले लगभग अस्तित्व में नहीं था, अब 12 लाख करोड़ रुपये (सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध दोनों) का हो गया है।
एचडीएफसी-एचडीएफसी बैंक विलय के कारण वित्त वर्ष 2020 में 10.3 प्रतिशत के ऊंचे स्तर से भारांक में 2025 में 4.8 प्रतिशत गिरावट के बावजूद, एनबीएफसी का सूचकांक में काफी मजबूत है, जिसका श्रेय बजाज फाइनैंस और बजाज फिनसर्व को जाता है। बीमा क्षेत्र निफ्टी में लगभग 1.4 प्रतिशत का योगदान देता है। एचडीएफसी एएमसी जैसी ऐसेट मैनेजमेंट कंपनियों (एएमसी) के उदय से निफ्टी इंडेक्स में बीएफएसआई फर्मों की उपस्थिति में और विविधता आने की उम्मीद है। कोविड के बाद, निफ्टी-50 सूचकांक में बीएफसआई की आय भागीदारी वित्त वर्ष 2010 के 16 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 33 फीसदी हो गई।