Investment Tips: भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक उतार-चढ़ाव और चुनौतियों के बावजूद मजबूती से आगे बढ़ रही है। पीएल कैपिटल की वेल्थ मैनेजमेंट ब्रांच पीएल वेल्थ ने इसी बारे में अपनी मार्केट आउटलुक – सितंबर 2025 रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि लंबे समय तक भारतीय शेयर बाजार में उम्मीदें अच्छी बनी रहेंगी।
रिपोर्ट के अनुसार, पहली तिमाही (Q1 FY26) में भारत की जीडीपी 7.8% बढ़ी, जो अनुमान से ज्यादा थी, क्योंकि पहले केवल 6.9% बढ़ने की उम्मीद थी। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर मजबूत रहा, सरकार ने ज्यादा निवेश किया और समय पर टैक्स सुधार किए गए, जिससे अर्थव्यवस्था को सहारा मिला। सितंबर 2025 से लागू हुए जीएसटी सुधार से 0.2–0.3% और बढ़ोतरी की उम्मीद है, जिससे लोगों की खरीददारी बढ़ेगी और महंगाई पर काबू मिलेगा। एसएंडपी ने भारत की सॉवरेन रेटिंग 18 साल बाद बढ़ाकर BBB (stable) कर दी है। जुलाई 2025 में महंगाई 1.55% पर आ गई, जो पिछले 97 महीनों में सबसे कम है, और इससे ब्याज दरों में कटौती का रास्ता खुला है। सर्विस सेक्टर भी मजबूत रहा और अगस्त में सर्विसेज पीएमआई 62.9 तक पहुंच गया, जो पिछले 15 साल में सबसे ज्यादा है।
हालांकि, चुनौतियां भी कम नहीं हैं। अमेरिका ने भारत के कई निर्यात उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगा दिए हैं, जिसका असर टेक्सटाइल, ऑटो कंपोनेंट्स, लेदर, जेम्स और श्रिम्प पर पड़ा है। अगस्त 2025 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 4 अरब डॉलर की निकासी की, जो पिछले सात महीनों में सबसे बड़ी निकासी है। पंजाब में चार दशकों की सबसे भीषण बाढ़ से 1.75 लाख हेक्टेयर फसलें बर्बाद हुई हैं, जिससे ग्रामीण आय पर असर पड़ा है। जुलाई में भारत का व्यापार घाटा 27.4 अरब डॉलर तक बढ़ गया, जो आठ महीने में सबसे ज्यादा है। इसके अलावा, शहरों में लोगों की खरीददारी भी अभी कमजोर बनी हुई है।
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पीएल वेल्थ मैनेजमेंट के सीईओ इंदरबीर सिंह जॉली ने कहा, “भारत की स्ट्रक्चरल ग्रोथ स्टोरी कायम है। रिफॉर्म्स, सरकारी कैपेक्स और कम महंगाई हमारे लिए मजबूत सहारा हैं। हालांकि, ग्लोबल अस्थिरता और अमेरिकी टैरिफ अल्पकालिक चुनौतियां बनी रहेंगी। निवेशकों को इस वोलैटिलिटी में अच्छे शेयर धीरे-धीरे पोर्टफोलियो में शामिल करने चाहिए।”
ब्रोकरेज की ओर से, शॉर्ट टर्म (1–3 महीने) में सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। अमेरिका-निर्भर सेक्टर जैसे फार्मा, ऑटो कंपोनेंट्स और इंडस्ट्रियल्स पर सबसे ज्यादा खतरा है। बड़े शेयरों पर ध्यान केंद्रित करते हुए धीरे-धीरे निवेश करने की सिफारिश की गई है।
मीडियम टर्म (6–12 महीने) में यदि वोलैटिलिटी स्थिर रहती है, तो मिड और स्मॉल कैप्स के साथ घरेलू मांग वाले सेक्टर जैसे कंजम्पशन, इंफ्रास्ट्रक्चर और रिटेल में अवसर उभर सकते हैं।
लंबी अवधि (2–5 साल) के लिए भारत की विकास कहानी मजबूत बनी हुई है और बड़े, भरोसेमंद शेयरों के साथ-साथ चुनिंदा मिड और स्मॉल कैप्स में निवेश के अच्छे मौके मौजूद हैं।
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ब्रोकरेज ने फिक्स्ड इनकम (जैसे सरकारी और मजबूत कंपनी के बॉन्ड) में निवेश के बारे में कहा है कि लंबे समय के लिए यह थोड़ा अच्छा है, लेकिन पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। सरकार के बॉन्ड और स्टेट डेवलपमेंट लोन में सोच-समझ कर निवेश करना चाहिए। छोटे समय वाले मजबूत कंपनी के बॉन्ड को पहले देखें और ज्यादा जोखिम वाले निवेश से बचें। जुलाई से 10 साल के सरकारी बॉन्ड की ब्याज दर 6.51% तक बढ़ गई है।
अगस्त में रुपया कमजोर होकर 87.85 रुपये प्रति डॉलर हो गया। रिजर्व बैंक ने रुपया धीरे-धीरे कमजोर होने की अनुमति दी है ताकि बाजार में संतुलन बना रहे। निकट भविष्य में रुपया 87.5 से 88.5 रुपये प्रति डॉलर के बीच रहने की संभावना है। मध्यम अवधि में यह 86 से 88 रुपये प्रति डॉलर पर स्थिर हो सकता है। अगर अमेरिका के टैरिफ बढ़ते हैं या दुनिया में आर्थिक तनाव बढ़ता है, तो रुपया 90 रुपये प्रति डॉलर तक गिर सकता है।
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इंदरबीर सिंह जॉली ने कहा, “बाजार दुनिया में उतार-चढ़ाव के बावजूद मजबूत बने हुए हैं। छोटे समय की चुनौतियों के बावजूद, जो निवेशक लंबे समय तक निवेश करते हैं, उन्हें इस उतार-चढ़ाव का फायदा उठाकर अच्छे और भरोसेमंद शेयरों में पैसा लगाना चाहिए। इसके साथ ही फिक्स्ड इनकम और कीमती धातुएं भी अभी निवेश के अच्छे मौके देती हैं।”
डिस्क्लेमर: यह खबर ब्रोकरेज की रिपोर्ट के आधार पर है, निवेश संबंधित फैसले लेने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।