फरवरी 2025 में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय शेयर बाजार में जमकर बिकवाली की और कुल ₹34,574 करोड़ की निकासी की। बजाज ब्रोकिंग की रिपोर्ट के मुताबिक, इसकी वजह दुनिया भर में आर्थिक हालात का कमजोर होना, अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ना और मुनाफा कमाना रहा। हालांकि, हर सेक्टर में उनका रवैया अलग रहा।
टेलीकॉम सेक्टर में सबसे ज्यादा निवेश
टेलीकॉम सेक्टर इस महीने सबसे बड़ा फायदा उठाने वाला सेक्टर रहा। FII ने इसमें ₹5,661 करोड़ का निवेश किया। भारती एयरटेल और रिलायंस जियो जैसी कंपनियों में निवेशकों ने भरोसा दिखाया। 5G सेवाओं के विस्तार और बढ़ते ARPU (एवरेज रेवेन्यू पर यूजर) ने निवेशकों का ध्यान खींचा। यह लगातार दूसरा महीना है जब टेलीकॉम सेक्टर में विदेशी निवेश बढ़ा।
ऑटोमोबाइल सेक्टर में बिकवाली
ऑटोमोबाइल सेक्टर से FII ने ₹3,279 करोड़ निकाले। ग्रामीण मांग में कमी और कच्चे माल की लागत बढ़ने के चलते मुनाफावसूली की गई। मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स और बजाज ऑटो जैसी कंपनियों के स्टॉक्स पर दबाव दिखा, खासतौर पर EV और लग्जरी कार सेगमेंट में इसका असर ज्यादा दिखा।
हेल्थकेयर और FMCG सेक्टर में गिरावट
हेल्थकेयर सेक्टर में भी FII ने ₹2,996 करोड़ की बिकवाली की। अमेरिकी FDA के भारतीय दवा कंपनियों पर कड़े नियमों की वजह से निवेशकों ने दवाइयों के स्टॉक्स से दूरी बनाई। सन फार्मा, डॉ. रेड्डीज़ और सिप्ला जैसी कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई। FMCG सेक्टर से भी ₹2,568 करोड़ निकाले गए। गांवों में खरीदारी कम होने और बिक्री धीमी रहने से निवेशकों ने इस सेक्टर से पैसा निकाला। इससे हिंदुस्तान यूनिलीवर, ITC और नेस्ले इंडिया के शेयर गिरे।
फाइनेंशियल और IT सेक्टर पर दबाव
फाइनेंशियल सेक्टर में जनवरी की तरह फरवरी में भी सबसे ज्यादा बिकवाली देखी गई। बैंकों और एनबीएफसी में FII ने अपनी हिस्सेदारी घटाई। इसकी वजह ब्याज दरें बढ़ना और पैसों की कमी की चिंता रही। IT सेक्टर में भी FII ने निवेश कम किया। अमेरिका और यूरोप में टेक खर्च में कमी और कमजोर ग्लोबल डिमांड के चलते निवेशकों ने सतर्क रुख अपनाया।
(यह जानकारी एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI), बजाज ब्रोकिंग, नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) और ब्लूमबर्ग से ली गई है।)