म्युचुअल फंडों ने जुलाई-सितंबर की तिमाही में 66.2 लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों का प्रबंधन किया। इस तरह से जून तिमाही के मुकाबले उनकी एयूएम में 12.3 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई। कम से कम पांच साल में म्युचुअल फंडों की परिसंपत्तियों में किसी तिमाही में यह सबसे ऊंची वृद्धि है।
अप्रैल-जून की अवधि में औसत तिमाही प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) 59 लाख करोड़ रुपये रही थीं। विशेषज्ञों के मुताबिक एयूएम में तीव्र बढ़ोतरी इक्विटी बाजारों में तेजी और इक्विटी योजनाओं को मिले रिकॉर्ड निवेश को दर्शाती है।
प्रमुख बेंचमार्क सूचकांकों निफ्टी-50 और सेंसेक्स ने सितंबर में समाप्त तिमाही में करीब 7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की। तेजी के बीच निवेशकों ने जुलाई और अगस्त में ऐक्टिव इक्विटी योजनाओं में करीब 75,000 करोड़ रुपये निवेश किया। साथ ही निवेश को नए फंड ऑफर से भी सहारा मिला।
एसबीआई म्युचुअल फंड के डिप्टी एमडी और जॉइंट सीईओ डीपी सिंह ने कहा कि म्युचुअल फंडों की इक्विटी होल्डिंग में मार्क टु मार्केट लाभ अहम कारक रहा है। एसआईपी के जरिये बढ़ते निवेश ने भी एयूएम को आगे बढ़ाने में योगदान दिया है। पिछले तिमाही में डेट फंडों में निवेश भी बेहतर रहा है क्योंकि ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद से इनमें निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ाई।
टाटा एएमसी के प्रमुख (संस्थागत क्लाइंट, बैंकिंग, ऑल्टरनेट इन्वेस्टमेंट और प्रॉडक्ट स्ट्रैटिजी) आनंद वरदराजन ने कहा कि एयूएम में वृद्धि मुख्य रूप से इक्विटी बाजार के प्रदर्शन के कारण है। पिछली तिमाही इस मामले में शानदार थी और अहम सूचकांकों ने लाभ के साथ तिमाही की समाप्ति की। इससे इक्विटी और हाइब्रिड योजनाओं का मार्क टु मार्केट लाभ मजबूत रहा। इसके अलावा इक्विटी योजनाओं में भी खासा निवेश आया।
एसआईपी में निवेश लगातार नई ऊंचाई पर पहुंच रहा है। अगस्त मे यह 23,547 करोड़ रुपये रहा, जो जुलाई में 23,332 करोड़ रुपये था। उद्योग निकाय एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया यानी एम्फी के आंकड़ों के अनुसार ज्यादातर एसआईपी निवेश इक्विटी योजनाओं में जाता है। डेट फंडों ने जुलाई-अगस्त की अवधि में शुद्ध रूप से 1.6 लाख करोड़ रुपये का निवेश हासिल किया।
बड़े फंड हाउस का योगदान एयूएम वृद्धि में सबसे ज्यादा रहा जिसकी वजह आधार प्रभाव है। सबसे बड़े फंड हाउस एसबीआई ने दूसरी तिमाही में 11 लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों का प्रबंधन किया जो पहली तिमाही के औसत एयूएम से 1.1 लाख करोड़ रुपये ज्यादा है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल की औसत एयूएम 90,000 करोड़ रुपये बढ़कर 8.4 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गईं। तीसरे सबसे बड़े फंड एचडीएफसी की परिसंपत्तियां भी इतनी ही बढ़कर 5.5 लाख करोड़ रुपये हो गईं। प्रतिशत के लिहाज से निप्पॉन इंडिया ने पांच अग्रणी फंडों में सबसे तेज वृद्धि दर्ज की और उसका औसत एयूएम 13.5 फीसदी बढ़ा।
म्युचुअल फंडों को मिले मजबूत और सतत निवेश से वे बाजार के लिए अहम मददगार के तौर पर उभरे हैं। इक्विटी बाजार में फंडों का निवेश पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ा है। वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में यह वित्त वर्ष 2024 में किए गए कुल निवेश के बराबर यानी 2 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है। कैलेंडर वर्ष 2024 में अब तक शुद्ध इक्विटी खरीद रिकॉर्ड 2.8 लाख करोड़ रुपये की रही है। म्युचुअल फंड लगातार 17 महीने से शुद्ध खरीदार बने हुए हैं। पिछले 14 महीने से उनका निवेश 10,000 करोड़ रुपये प्रति माह से ज्यादा रहा है।