नैशनल फाइनैंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (एनएफआरए) ने उन उधारियों पर ब्याज की वसूली नहीं करने के खिलाफ कंपनियों और ऑडिटरों को चेताया है जिन्हें बैंकों द्वारा एनपीए घोषित कर दिया गया हो या जिसके लिए कंपनी एकमुश्त समाधान पर विचार कर रही हो।
एनएफआरए ने कहा है, ‘ऋण देने वाले बैंकों द्वारा किसी कंपनी की उधारी को सिर्फ एनपीए की श्रेणी में डालने से कर्जदार कंपनी को ब्याज या मूल राशि की अदायगी से जुड़ी देनदारी से राहत नहीं मिल जाती।’
विकास डब्ल्यूएसपी लिमिटेड में ऑडिटर द्वारा पेशेवर अव्यवहार की सुनवाई के दौरान एनएफआरए ने इस मुद्दे पर अपनी राय पेश की। प्राधिकरण ने कई अन्य कंपनियों के संबंध में भी इसी तरह का उल्लंघन पाया था।
एनएफआरए द्वारा जारी एक सर्कुलर में कहा गया है, ‘उधारी की अधिकृत लागत की गणना करते वक्त ब्याज प्राप्ति को नजरअंदाज करना प्रभावी ब्याज दर व्यवस्था और प्रभावी ब्याज दर सिद्धांतों का उल्लंघन था।’
वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण ने कहा कि बैंक अपने खातों में एनपीए के तौर पर वर्गीकृत परिसंपत्तियों पर ब्याज आय की पहचान बंद करें। हालांकि उसने कहा कि आरबीआई के दिशा-निर्देशों में अभी भी बैकों को एनपीए पर प्राप्त ब्याज का रिकॉर्ड बरकरार रखने की जरूरत है।
एनएफआरए ने कहा है कि इससे पता चलता है कि बैंकों ने कर्जदारों को उधारी पर ब्याज चुकाने के लिए उनकी सांविधिक देनदारी से कानूनी तौर पर मुक्त नहीं किया है। एनएफआरए ने कहा है, ‘ऑडिटरों को ऑडिट करते वक्त इस सर्कुलर का सख्ती से पालन करने की जरूरत है।’
