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पीक मार्जिन पर यथास्थिति बनाए रखने पर एएनएमआई का जोर

Last Updated- December 12, 2022 | 7:42 AM IST

ब्रोकरों की संस्था एसोसिएशन ऑफ नैशनल एक्सचेंजेस मेंबर्स ऑफ इंडिया (एएनएमआई) ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से अनुरोध किया है कि पीक मार्जिन नियमों पर यथास्थिति बकरार रखी जाए, क्योंकि मौजूदा व्यवस्था के तहत किसी तरह की चूक के मामले दर्ज नहीं किए गए। सेबी ने पहले चरण में (1 दिसंबर से) डेरिवेटिव्स में संभव लेवरेज को चार गुना तक सीमित किया और यदि ब्लॉक मार्जिन शेयरों या एफऐंडओ में एसपीएएन+एक्सपोजर के लिए कारोबार वैल्यू (वीएआर+ईएलएम) के न्यूनतम 20 प्रतिशत के 25 प्रतिशत से कम हो तो जुर्माना लागू है। 1 मार्च से, यदि ब्लॉक मार्जिन न्यूनतम जरूरी मार्जिन के 30 प्रतिशत से कम हुआ तो जुर्माना लागू होगा।
यदि ब्रोकर इंट्राडे पोजीशन के लिए मार्जिन में विफल रहता है तो पीक मार्जिन के नियम में शॉर्ट-मार्जिन जुर्माना (0.5-5 प्रतिशत से) लागू है। एएनएमआई ने कहा है, ‘मौजूदा 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किए जाने से सदस्यों और उनके ग्राहकों का व्यवसाय प्रभावित होगा, खासकर उस स्थिति में जब मौजूदा मानक इंट्राडे सौदों और उतार-चढ़ाव से पैदा हुए जोखिमों का प्रबंधन करने में पर्याप्त रूप से सक्षम हों।’
एएनएमआई ने सेबी के साथ वर्चुअल मीटिंग का भी अनुरोध किया है। रिटेल डेरिवेटिव्स कारोबार में 20-30 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है, क्योंकि पी मार्जिन नियमों का दूसरा चरण 1 मार्च से शुरू हो रहा है। एफऐंडओ सेगमेंट (एक्सपायरी दिनों पर ऑप्शन राइटरों के लिए) में खुदरा भागीदारी इन मानकों की वजह से पहले से ही प्रभावित हुई है, क्योंकि ये मानक 1 दिसंबर से प्रभावी हो चुके हैं।

First Published - February 26, 2021 | 11:44 PM IST

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