वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) उद्योग ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से अन्य वित्तीय नियामकों के साथ अंतर-नियामकीय बातचीत की प्रक्रिया सहज बनाने का अनुरोध किया है। इन वित्तीय नियामकों में भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण और पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण शामिल हैं। इंडियन वेंचर ऐंड अल्टरनेट कैपिटल एसोसिएशन ने पिछले सप्ताह सेबी चेयरमैन के साथ बैठक के दौरान उद्योग के प्रमुख पर्यवेक्षक के रूप में बाजार नियामक की भूमिका का हवाला देते हुए उससे यह अनुरोध किया।
सेबी ने नियामकीय सहजता की संभावना तलाशने के लिए उद्योग जगत की कंपनियों और विनियमित संस्थाओं के साथ परामर्श शुरू कर दिया है। चर्चा के तहत प्रमुख सुधारों में पुराने मानदंडों की समीक्षा, मान्यताप्राप्त निवेशकों पर ध्यान केंद्रित करना और कुछ नियमों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना शामिल है।
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कोटक अल्टरनेट ऐसेट मैनेजर्स के प्रबंध निदेशक और आईवीसीए के उपाध्यक्ष श्रीनि श्रीनिवासन ने कहा, ‘घरेलू पूंजी सृजन के लिए, आरबीआई, आईआरडीएआई जैसे सभी नियामकों और बैंकों तथा बीमा कंपनियों जैसी संस्थाओं सहित सभी हितधारकों को आपसी तालमेल बढ़ाना होगा और यह तालमेल अंतर-नियामकीय प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया जा सकता है जहां समय समय पर चर्चा हो सके। यह प्लेटफॉर्म एआईएफ को अपनी आवाज उठाने और विचार साझा करने में मदद करेगा।’
दिसंबर 2023 में रिजर्व बैंक ने के उन बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर प्रतिबंध लगाने से शुरू में चिंता हो गई थीं जो उन एआईएफ में निवेश कर रहे थे जिन्होंने कर्जदार फर्मों में पैसा लगा रखा था। हालांकि बाद में केंद्रीय बैंक ने मार्च 2024 में प्रावधान मानदंडों में ढील दी।
अधिकारियों का मानना है कि इस तरह के प्लेटफॉर्म से घरेलू पूंजी निर्माण में परिचालन संबंधी बाधाओं को दूर करने में मदद मिल सकती है।