भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने वैकल्पिक निवेश फंड (AIF) उद्योग में गलत जानकारी देकर की जाने वाली बिक्री को रोकने के लिए अपने सदस्यों को प्रशिक्षित किया है। पूंजी बाजार नियामक ने सेवा प्रदाताओं को डायरेक्ट प्लान पेश करने और कमीशन वितरण के लिए ट्रेल मॉडल पर अमल अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखा है।
बाजार नियामक सेबी अपफ्रंट कमीशन यानी अग्रिम कमीशन को पहले ही खत्म कर चुका है और उसने म्युचुअल फंडों (MF) के लिए डायरेक्ट प्लान पेश किए। पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा उद्योग के लिए भी अपफ्रंट कमीशन पर रोक लगाई गई। उद्योग के कारोबारियों का कहना है कि एआईएफ उद्योग के लिए नया प्रस्ताव समान कारोबार अवसर मुहैया कराएगा और वितरकों के लिए संभावित आर्बिट्राज अवसरों को समाप्त करेगा। मौजूदा समय में, एआईएफ वितरण के लिए अपफ्रंट कमीशन कुल राशि का 5 प्रतिशत तक है। तुलनात्मक तौर पर, एमएफ वितरकों को चुकाया जाने वाला कमीशन इसका महज एक
हिस्सा है।
सेबी ने शुक्रवार को सार्वजनिक टिप्पणियां आमंत्रित करने के लिए जारी एक चर्चा पत्र में कहा, ‘खासकर अन्य योजनाओं के लिए ट्रेल कमीशन के विपरीत इतना ज्यादा अपफ्रंट कमीशन, एआईएफ योजनाओं की भ्रामक जानकारी देकर बिक्री की आशंका बढ़ाता है।’नियामक ने कमीशन के ट्रेल मॉडल को अपनाने का प्रस्ताव रखा है। प्रस्तावित मानकों के तहत, एआईएफ की सभी श्रेणियों के निवेशकों से परीक्षण के आधार पर वितरण शुल्क वसूला जाएगा। हालांकि कैटेगरी-1 और 2 के एआईएफों को कुछ ज्यादा शुल्क लगाने का अनुमति होगी। यह पहले वर्ष में चुकाए गए अग्रिम शुल्क की मौजूदा वैल्यू के एक-तिहाई पर बना रह सकता है।
नियामक के लिए चिंता का विषय कुल राशि पर अपफ्रंट कमीशन शुल्क है जो वितरकों द्वारा निवेशकों पर लगाया जाता है। मनीफ्रंट के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी मोहित गंग का कहना है, ‘भले ही निवेश एक बार में नहीं किया गया हो, लेकिन कुल राशि पर पूरा कमीशन मौजूदा समय में अग्रिम तौर पर चुकाया जाता है, क्योंकि वितरक अब इस व्यवस्था को पसंद करते हैं।’
यह भी पढ़ें: Adani Group के शेयरों में हो रही गिरावट एक सामान्य प्रक्रिया: शेखावत
एक ताजा कार्यक्रम में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण गोपालकृष्णन ने कहा, ‘इस क्षेत्र में कई तरह की समस्याएं हैं जिनमें मूल्यांकन और गलत जानकारी देकर की जाने वाली बिक्री की चुनौतियां मुख्य रूप से शामिल हैं, जिससे एआईएफ उद्योग के लिए विकास की रफ्तार धीमी पड़ सकती है।’ इसके अलावा, सेबी ने निवेशकों, खासकर वित्तीय सलाहकारों के जरिये निवेश करने वालों के लिए कई शुल्क ढांचों की व्यवस्था से दूर होने का प्रस्ताव रखा है। इन निवेशकों से दोहरे शुल्क वसूले जा रहे थे – परामर्श शुल्क या पोर्टफोलियो प्रबंधन शुल्क के तौर पर, और एआईएफ वितरण शुल्क के रूप में।
डीएसके लीगल में पार्टनर हेमांग पारेख का कहना है, ‘यदि निवेशकों को गलत जानकारी देकर बिक्री की जाती है और उनके हितों के साथ समझौता होता है तो सेबी को निवेशक हित सुरक्षित बनाने के लिए ऐसी गतिविधियों को विनियमित करने का अधिकार है।’