अदाणी समूह (Adani Group) की कंपनियों ने अमेरिकी एजेंसियों की जांच से जुड़े खुलासे के संबंध में शेयर बाजारों की ओर से मांगे गए स्पष्टीकरण का जवाब दिया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को एक्सचेंजों को सौंपे संक्षिप्त जवाब में अदाणी की कंपनियों ने दावा किया कि लिस्टिंग ऑब्लिगेशन ऐंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट (एलओडीआर) नियमन के तहत अमेरिकी एजेंसियों की जांच के बारे में खुलासा करना अनिवार्य नहीं था क्योंकि मामला अदालत में विचाराधीन था और किसी भी आरोप की पुष्टि नहीं की गई थी।
अमेरिकी अभियोजकों ने बताया था कि मार्च 2023 में फेडरल एजेंटों ने सागर अदाणी को तलाशी वारंट जारी किया था और जांच में शामिल अपराधों, व्यक्तियों और संस्थाओं की पहचान करने के लिए एक ग्रैंड जूरी समन दिया गया था। इसमें आरोप लगाया गया कि अदाणी ने निजी संचार के तहत मीडिया, निवेशकों, भारतीय शेयर बाजारों और वित्तीय संस्थानों को अमेरिकी जांच के बारे में भारतीय ऊर्जा कंपनी को जानकारी के बारे में भ्रामक बयान दिए।
प्रथम स्तरीय नियामक माने जाने वाले स्टॉक एक्सचेंजों ने इन आरोपों पर स्पष्टीकरण मांगा था कि समूह ने भ्रामक बयान दिए और अमेरिकी जांच एजेंसियों की तलाशी के बारे में समय पर खुलासा नहीं किया। अदाणी समूह और दोनों स्टॉक एक्सचेंजों से इस संबंध में जानकारी के लिए भेजे गए का जवाब नहीं मिला।
सूत्रों ने कहा कि बाजार नियामक सेबी ने एक्सचेंजों को स्पष्टीकरण मांगने का निर्देश दिया था। हालांकि इस मामले में समूह के खिलाफ बाजार नियामक की तरफ से कोई औपचारिक जांच शुरू नहीं की गई है। अदाणी समूह ने अमेरिकी अभियोजिकों के आरोपों से इनकार किया है।
सीएलएपी के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर तुषार अग्रवाल ने कहा कि महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा न करना अच्छे कॉरपोरेट प्रशासन के स्थापित मानदंडों के खिलाफ है। जहां तक तलाशी और जांच के खुलासे के चरण का सवाल है, ऐसा कोई विशिष्ट नियमन नहीं है जो कॉरपोरेट को आरोप स्थापित होने के बाद ही खुलासा करने की अनुमति देता हो।
अग्रवाल ने कहा कि नियमों के मुताबिक सूचीबद्ध कंपनी की जानकारी में आते ही महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा किया जाना चाहिए। हालांकि अदाणी समूह इस का बचाव करेगा कि अमेरिकी अभियोजन पक्ष की तलाशी और जांच खुलासा की जाने वाली महत्वपूर्ण जानकारी का हिस्सा नहीं थी। मगर यह सेबी को तय करना है कि वारंट और लंबित जांच महत्वपूर्ण जानकारी थी या नहीं।
दिल्ली उच्च न्यायालय की वकील मेघा शर्मा ने कहा कि किसी मामले को तब महत्वपूर्ण माना जा सकता है जब इसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण वित्तीय देनदारियां, प्रतिष्ठा को नुकसान या कंपनी के संचालन या वित्तीय स्थिति पर पर्याप्त प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना हो। कुछ अन्य कानूनी कंपनियों ने कहा कि विचाराधीन मामलों या कानूनी प्रवर्तन कार्रवाइयों से संबंधित मामलों का खुलासा कब किया जाए, ऐसे मामलों को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है।
विधिशास्त्र, एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर आशीष दीप वर्मा का मानना है कि समय से पहले खुलासा करने से बाजार में अनावश्यक घबराहट या सटोरिया व्यवहार का खतरा हो सकता है जो नुकसानदायक हो सकता है।
वर्मा ने कहा कि यह स्पष्ट है कि जल्दी खुलासा करने से बाजार में अस्थिरता आ सकती है और अगर निवेशक या हितधारक बहुत जल्दी प्रतिक्रिया देते हैं तो कंपनी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि खुलासे उचित समय पर और मुकदमेबाजी या मुकदमेबाजी के सुपरिभाषित चरण में किए जाएं, जब कंपनियों के पास खुलासा करने के लिए ठोस जानकारी हो।
अदाणी समूह (Adani Group) ने बुधवार को रिश्वतखोरी के आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) के अभियोग में पांच मामलों की सूची है। इनमें से किसी में भी रिश्वतखोरी या न्याय में बाधा डालने के संबंध में गौतम अदाणी, सागर अदाणी या विनीत जैन का नाम नहीं है। इससे पहले, अदाणी समूह के सीएफओ ने कहा था कि समूह की सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों में से कोई भी किसी गलत काम के लिए अभियोग या आरोप के अधीन नहीं थी।