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BS Blueprint: आत्मनिर्भर भारत के लिए रक्षा खरीद में तेजी और IPR पूरी तरह भारत में, रक्षा सचिव सिंह ने कहा

The Blueprint Discourse: रक्षा सचिव सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता और घरेलू उत्पादन बढ़ाना सर्वोच्च प्राथमिकता है

Last Updated- September 20, 2025 | 12:46 PM IST
Defence Secy Singh
बिज़नेस स्टैंडर्ड के ब्लूप्रिंट डिस्कोर्स में रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह

The Blueprint Discourse: भारत के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशानुसार रक्षा खरीद प्रक्रिया को तेज करना और रक्षा उपकरणों में आत्मनिर्भरता बढ़ाना सरकार की प्राथमिकता बनी हुई है।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी प्राथमिकताएँ अपरिवर्तित

द ब्लूप्रिंट डिस्कोर्स में बिज़नेस स्टैंडर्ड के एडिटोरियल डायरेक्टर ए.के. भट्टाचार्य के साथ बातचीत में सिंह ने कहा कि “विश्वभर की घटनाएं आत्मनिर्भरता की दिशा को सही साबित करती हैं, और हम इस दिशा में और तेजी से काम करेंगे। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी हमारी प्राथमिकताएँ बदल नहीं गई हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि उनके दृष्टिकोण में रक्षा मंत्रालय केवल एक क्षेत्र – रक्षा उद्योग – तक सीमित है, जबकि पहले वे DPIT सचिव के रूप में पूरे औद्योगिक क्षेत्र को देखते थे।

आत्मनिर्भरता एक क्रमिक प्रक्रिया

सिंह ने कहा कि पूरी तरह आत्मनिर्भर बनने की प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है। “हमें हर तकनीक और क्षेत्र की तैयारी को देखकर व्यावहारिक निर्णय लेने होंगे। कुछ क्षेत्रों में सीमित टेक्नोलॉजी ट्रांसफर या नियंत्रित आयात की आवश्यकता भी हो सकती है।” उन्होंने तोप, बख्तरबंद वाहन, लंबी दूरी की मिसाइलें और मल्टी-बैरल रॉकेट लांचर जैसे क्षेत्रों में भारत की उच्च आत्मनिर्भरता को भी रेखांकित किया।

पूरा IPR भारत में होना लक्ष्य

सिंह ने स्पष्ट किया कि “सच्ची आत्मनिर्भरता तब होगी जब डिजाइन और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (IPR) पूरी तरह भारत में हों। कुछ घटकों के लिए बाहर से मदद लेनी पड़ सकती है, लेकिन डिजाइन और IPR देश के भीतर ही रहना चाहिए।” उन्होंने मारुति और एप्पल जैसे उदाहरण दिए, जहां समय के साथ लोकलाइजेशन बढ़ता है।

आयात पर निर्भरता घटाना

सिंह ने कहा कि आत्मनिर्भरता के लिए आपूर्ति श्रृंखला और आयात पर निर्भरता को भी देखना जरूरी है। प्रधानमंत्री ने लगातार आयात घटाने और रणनीतिक स्वायत्तता बढ़ाने पर जोर दिया है। रक्षा उद्योग में सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र की भागीदारी महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले साल रक्षा पूंजीगत खर्च का 88% घरेलू आपूर्तिकर्ताओं को गया, जो लक्ष्य 75% से अधिक है।

निजी क्षेत्र की भागीदारी और DRDO सुधार

सिंह ने कहा कि निजी कंपनियों के लिए तकनीक तक पहुंच आसान है। DRDO अपनी तकनीक मुफ्त लाइसेंस के तहत देती है, जिसे निजी क्षेत्र इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने सुझाव दिया कि भविष्य में DRDO तकनीक के लिए थोड़ी रॉयल्टी ले सकता है। इसके अलावा, 16 केंद्रीय PSUs और DRDO को तेज़ तकनीकी विकास और निजी क्षेत्र के लिए परीक्षण सुविधाओं तक पहुंच देने के लिए संरचनात्मक सुधारों पर भी विचार हो रहा है।

रक्षा रणनीति के प्रमुख क्षेत्र
सिंह ने भारत की रक्षा रणनीति के तीन मुख्य लक्ष्य बताए: पश्चिमी देशों के मुकाबले अत्यधिक असामान्यता, उत्तरी पड़ोसियों के खिलाफ निवारक क्षमता, और भारतीय महासागर में प्रभुत्व। उन्होंने बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था 10% की नाममात्र वृद्धि दर से बढ़ रही है, इसलिए रक्षा बजट की वास्तविक बढ़ोतरी अर्थव्यवस्था के विकास के साथ हो रही है।

आवश्यक खनिजों की कमी दूर करने के कदम

सिंह ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय ने कुछ खनिजों को रणनीतिक संपत्ति घोषित कर पर्यावरण प्रक्रिया को तेज किया है, जिससे सार्वजनिक परामर्श की आवश्यकता कम होगी।

First Published - September 20, 2025 | 12:37 PM IST

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