नारायण हेल्थ के संस्थापक और चेयरमैन देवी प्रसाद शेट्टी | फाइल फोटो
नारायण हेल्थ ने ब्रिटेन के प्रैक्टिस प्लस ग्रुप का अधिग्रहण किया है। यह उसकी वैश्विक महत्त्वाकांक्षाओं में रणनीतिक बदलाव का प्रतीक है। कंपनी की निगाह ब्रिटेन के निजी स्वास्थ्य सेवा तंत्र में तकनीक और परिचालन दक्षता को जोड़ने के अवसरों पर है। संस्थापक और चेयरमैन देवी प्रसाद शेट्टी ने अनीका चटर्जी के साथ वीडियो बातचीत में बताया कि अगले वर्ष के दौरान अस्पताल श्रृंखला अपने अंतरराष्ट्रीय विकास के अगले दौर का खाका बनाने से पहले स्थानीय बाजार के बदलते पहलुओं को समझने पर ध्यान केंद्रित करेगी। संपादित अंश …
इस अधिग्रहण का क्या कारण था?
ब्रिटेन में प्रैक्टिस प्लस ग्रुप हॉस्पिटल्स का अधिग्रहण नारायण हेल्थ के लिए बहुत ही रणनीतिक और स्वाभाविक कदम है। ब्रिटेन ने बहुत ही दमदार अवसर प्रस्तुत किया है। वहां की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली भारी दबाव का सामना कर रही है और बड़ी संख्या में मरीज सर्जरी के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसलिए यह एकदम सही लगा।
यह अधिग्रहण हमें परिपक्व बाजार में प्रवेश करने और यह प्रदर्शित करने का तत्काल मंच देता है कि नारायण हेल्थ का अधिक-वॉल्यूम, किफायती, तकनीक-सक्षम स्वास्थ्य सेवा मॉडल वैश्विक स्तर पर कारगर हो सकता है। यह हमें भौगोलिक रूप से विविधता लाने और अपने कारोबार में मजूबती विकसित करने का अवसर प्रदान करता है।
क्या आपकी ब्रिटेन के मौजूदा 12 स्पेशलिस्ट सर्जिकल केंद्रों से आगे विस्तार की योजना है?
हमें इस परिदृश्य को पूरी तरह समझने में कम से कम एक वर्ष लगेगा। हम यह जानना चाहते हैं कि अगले छह महीने से एक वर्ष में मौजूदा चुनौतियां और अवसर क्या हैं और फिर हम विकास के अगले चरण के लिए अपनी योजनाएं बनाएंगे। हमारा मानना है कि इंग्लैंड में निजी स्वास्थ्य सेवा की अपार संभावनाएं हैं। आज राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) प्रमुख प्रदाता बनी हुई है और 6.5 करोड़ से अधिक की आबादी के साथ निजी उद्यमियों के लिए ऐसे अस्पताल स्थापित करने की स्पष्ट आवश्यकता है जो एनएचएस के साथ प्रतिस्पर्धा करने के बजाय उसके मददगार बनें। हमारा प्रतिस्पर्धा का कोई इरादा नहीं है, हमारा उद्देश्य उनकी प्रतीक्षा सूची को पूरी करने में मदद करना है, जो काफी बड़ी है। यह उन प्रमुख अवसरों में से एक है, जो हम देख रहे हैं।
नारायण हेल्थ को इस अधिग्रहण से किस तरह के तालमेल की उम्मीद है और ऐसा कब तक होगा?
हमारे पास 12 अस्पताल हैं। ये मुख्य रूप से राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा की जरूरतों को पूरा करते हैं। हमारा मानना है कि तकनीक स्वास्थ्य सेवा डिलिवरी के हर पहलू में हलचल मचा देगी। हमारा मानना है कि तकनीक को बड़े स्तर पर अपनाने से, खास तौर पर डॉक्टरों की सहायता के लिए किसी इंटरफेस के रूप में एआई को अपनाने से हम अस्पतालों के अंदर मरीज अनुभव में काफी बदलाव कर सकते हैं। इससे दक्षता बढ़ेगी, चिकित्सा खामियां रुकेंगी और लागत कम होगी।
आप ब्रिटेन में मरीजों के लिए स्वास्थ्य सेवा की पहुंच और सामर्थ्य में सुधार की क्या योजना बना रहे हैं?
वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवा में सबसे बड़ी समस्या बुनियादी ढांचे के उपयोग में दक्षता की कमी है। इसी बुनियादी ढांचे के साथ हम इलाज पाने वाले मरीजों की संख्या, प्रक्रियाओं और कई अन्य क्षेत्रों के लिहाज से उत्पादकता में उल्लेखनीय सुधार कर सकते हैं। किसी बेहतर संगठन के जरिये बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है। हमारा मानना है कि मौजूदा अस्पतालों की उत्पादकता बढ़ाने की वास्तविक संभावना है। बेशक हमें इसका वास्तविक प्रभाव तभी पता चलेगा, जब हम इसे आजमाएंगे, लेकिन कुल मिलाकर इसमें सुधार की गुंजाइश ज़रूर है।
आप भारतीय स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को ध्यान में रखकर और अपना दृष्टिकोण एनएचएस मानकों के अनुरूप रखकर ब्रिटेन के नियामक ढांचे के साथ किस तरह तालमेल की योजना बना रहे हैं?
किस्मत से ब्रिटेन के नियम निजी अस्पतालों के प्रति बेहद अनुकूल हैं। वे वास्तव में निजी अस्पताल समूहों के साथ सहयोग करना चाहते हैं। सरकार मानती है कि वह अकेले सभी स्वास्थ्य सेवा आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकती। नियम बहुत निष्पक्ष हैं। इसलिए हमारा मानना है कि नियामकों के साथ काम करते समय हमें किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। ये अस्पताल पहले से ही पूरी तरह क्रियाशील हैं और इससे अच्छी तरह परिचित हैं।