सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों ने आम बजट 2025-26 में आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजय) के लिए आवंटन आवंटन में वृद्धि का स्वागत किया है और साथ ही इस बात पर चिंता जताई है कि क्या यह धनराशि इस योजना के तहत बढ़ रहे लाभार्थियों की संख्या को दायरे में लेने के लिए पर्याप्त होगी।
वित्त वर्ष 2025-26 के बजट अनुमान में पीएमजय के लिए 9,406 करोड़ रुपये की राशि का आवंटन किया गया है, जो वित्त वर्ष 25 के बजट अनुमान में आंवटित 7,300 करोड़ रुपये की राशि की तुलना में 28.8 प्रतिशत अधिक है। अलबत्ता यह वृद्धि इस योजना में और ज्यादा समूहों और राज्यों को शामिल करने के अनुरूप की गई है।
शनिवार को अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री सीतारमण ने आने वाले वर्षों में पीएमजय योजना में लगभग एक करोड़ गिग श्रमिकों को शामिल करने की भी ऐलान किया है।
आयुष्मान भारत के पूर्व मुख्य कार्य अधिकारी इंदु भूषण ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हालांकि मंशा अच्छी है, लेकिन गिग श्रमिकों को परिभाषित करने के लिहाज से कार्यान्वयन संबंधी चुनौतियां रहेंगी क्योंकि उनके पास तैयार डेटाबेस नहीं है। उन्होंने कहा कि आज कोई व्यक्ति गिग श्रमिक हो सकता है और कल उसे नियमित नौकरी मिल सकती है। प्रबंधन इसकी पुष्टि कैसे करेगा और किस प्रक्रिया का पालन किया जाएगा, इस संबंध में सवाल बने हुए हैं। देखना होगा कि कार्यान्वयन संबंधी इन चुनौतियों का समाधान कैसे किया जाएगा।
इस बात की भी चिंता बनी हुई है कि यह रकम नए लाभार्थियों के लिए पर्याप्त है या नहीं।
अकेले साल 2024 में ही 37 लाख आशा और आंगनवाड़ी कर्मचारियों और उनके परिवारों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा लाभ के लिए इस योजना का विस्तार किया गया था और साल के अंत में सरकार ने 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के लगभग 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को शामिल करने का ऐलान किया।
इस योजना के तहत तकरीबन 67.8 लाख और परिवारों को इस योजना में शामिल करते हुए इस साल ओडिशा पीएमजय योजना में शामिल होने वाला 34वां राज्य या संघ शासित प्रदेश बन गया।