महामारी के दो साल बाद फ्लू के मामले अचानक बढ़ गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों द्वारा मास्क नहीं लगाए जाने और इन्फ्लूएंजा के सांभावित उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) इसकी वजह हो सकते हैं।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कहा कि सांस संबंधी मौजूदा बीमारी की प्रमुख वजह H3N2 का उप प्रकार इन्फ्लूएंजा ए है। ICMR ने विस्तृत परामर्श जारी करते हुए कहा, ‘ICMR-DHR ने सभी 30 वायरस शोध एवं डायग्नॉस्टिक लैबोरेटरीज में समग्र श्वसन संबंधित वायरस निगरानी सुविधा स्थापित की है।’
जाने-माने वायरस विशेषज्ञ जैकब जॉन ने कहा कि ये वायरस हमेशा से ही हमारे आसपास रहे थे लेकिन लोगों द्वारा मास्क पहनने की वजह से पिछले दो साल से इसका प्रसार घट गया था। जॉन ने कहा, ‘लोगों की भीड़ और मास्क नहीं पहनने से अब वायरस को फैलने का मौका मिल गया है।’
सभी आयु वर्ग के लोग इसस संकमित हो रहे हैं और चिकित्सकों के पास बड़ी संख्या में सांस संबंधी तकलीफ के साथ बच्चे और बुजुर्ग पहुंच रहे हैं।
सीके बिड़ला हॉस्पिटल में कंसल्टेंट, इंटर्नल मेडिसिन राजीव गुप्ता ने कहा, ‘नवंबर 2022 से फ्ले के मामले 200 फीसदी तक बढ़ गए हैं। हालांकि फरवरी 2023 के मध्य से संक्रमण के मामलों में कमी देखी जा रही है।’
चिकित्सकों का कहना है कि संक्रमण के मामले बढ़ने के पीछे तीन प्रमुख कारण हैं, जिनमें नवंबर से जनवरी के दौरान सर्दी का मौसम, वातावरण में प्रदषण और वायरस संक्रमण का प्रसार बढ़ना शामिल है।
मैक्स हेल्थकेयर में इंटर्नल मेडिसिन के निदेशक रोमिल टिक्कू ने कहा, ‘फ्लू के मामले अक्टूबर-नवंबर से आने शुरू हो गए थे और उसके बाद यह थमा नहीं। शुरुआत में लोगों को गले के खराश की शिकायत हाती है और बाद में खांसी की समस्या शुरू हो जाती है। यकिई तरह के वायरस का संयोजन प्रतीत होता है।’
मौजूदा H3N2 स्वरूप की उत्पत्ति 1968 महामारी के दौरान हुई है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड के दौरान लोगों के बीच वायरस को लेकर जागरूकता बढ़ने से लोग वायरोलॉजी और इसके स्वरूपों के विशिष्ट नामों के बारे में सजग हुए हैं। जैकब ने कहा, ‘ये वायरस लंबे समय से हमारे आसपास हैं और लोग इससे संक्रमित होते रहे हैं। अब वे सांस संबंधी संक्रमण से जुड़े वायरस का नाम जानने लगे हैं।’
कुछ चिकित्सकों का मानना है कि वायरस के स्वरूप में बदलाव हुआ है और टीका का मौजूदा फॉर्मूलेशन इस फ्लू को नियंत्रित करने में कारगर नहीं हो रहा है। उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उम्मीद जताई कि संक्रमण के व्यापक स्तर पर प्रसार को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संठन (WHO) टीके के नए फॉर्मूलेशन ला सकता है।
उद्योग से जुड़े सूत्र ने कहा, ‘WHO ने इन्फ्लूएंजा टीके के लिए वायरस के कुछ स्वरूप को चिह्नित किया है। यह अभी की तुलना में दो साल पहले काफी असरदार था। यह सामान्य फ्लू था लेकिन इसमें लगातार म्यूटेट हो रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि WHO नए स्वरूप को लेकर दिशानिर्देश जारी कर सकता है।’
एक समस्या यह भी है कि लोगों में इन्फ्लूएंजा टीके को लेकर जागरूकता की कमी है। इस तरह के टीके को हर साल लेना होता है।
टिक्कू ने कहा, ‘शिक्षित लोगों के बीच भी इस टीकाकरण के बारे में जानकारी कम है। आप फ्लू सं संक्रमित हो सकते हैं लेकिन इसकी गंभीरता अपेक्षाकृत कम हो सकती है। अक्टूबर-नवंबर में सर्दियां शुरू होते ही इस टीके को लेना सबसे मुफीद समय होता है।’
चिकित्सकों ने कहा कि पिछले साल भी इसी समय कोरोनावायरस का ओमीक्रोन स्वरूप का प्रसार हुआ था, इसलिए सामान्य फ्लू के मामले कम आए थे।