सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए नैशनल पॉलिसी फॉर रेयर डिजीज 2021 (National Policy for Rare Diseases) के तहत आने वाली सभी दुर्लभ बीमारियों के उपचार के काम आने वाली व्यक्तिगत इस्तेमाल की आयातित दवाओं और ‘विशेष उपचार के मकसद के लिए खाद्य’ को बुनियादी सीमा शुल्क से मुक्त करने का फैसला किया है। इससे असाध्य और दुर्लभ बीमारियों का उपचार करा रहे मरीजों को लाभ होगा। इसके साथ ही सरकार ने कैंसर की दवा Pembrolizumab (Keytruda) को भी बुनियादी सीमा शुल्क से मुक्त कर दिया है।
सामान्यतया दवाओं पर 10 प्रतिशत बुनियादी सीमा शुल्क लगता है। वहीं कुछ जीवन रक्षक दवाओं और टीकों पर छूट के साथ 5 प्रतिशत कर लगता है, या उन्हें पूरी तरह से शुल्क मुक्त रखा जाता है।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर औऱ सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने छूट की अनुमति की अधिसूचना जारी की है, जो 30 मार्च से प्रभावी हो गया है।
वित्त मंत्रालय ने विज्ञप्ति में कहा है कि छूट की पात्रता के लिए आयातक को केंद्र या राज्य के निदेशक, स्वास्थ्य सेवा, जिला चिकित्साधिकारी या जिले के सिविल सर्जन का प्रमाणपत्र लगाना होगा।
इसमें कहा गया है कि स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी या डकेने मस्कुलर डायस्ट्रॉफी के उपचार के लिए चिह्नित दवाओं के लिए पहले ही छूट दी गई है, वहीं सरकार को अन्य दुर्लभ बीमारियों के उपचार के काम आने वाली दवाओं पर सीमा शुल्क में छूट की मांग के आवेदन मिल रहे थे।
इसमें कहा गया है, ‘इन बीमारियों के उपचार में काम आने वाली दवाएं या विशेष खाद्य महंगे हैं और इनके आयात की जरूरत पड़ती है।
अनुमान लगाया गया है कि 10 किलो वजन वाले बच्चे की कुछ दुर्लभ बीमारियों के इलाज का वार्षिक खर्च 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक हो सकता है। इस तरह के उपचार आजीवन चलते हैं और दवा की खुराक व लागत उम्र व वजन के साथ बढ़ती है। इस छूट से लागत में पर्याप्त बचत होगी और रोगियों को राहत मिल सकेगी।’
जीएसटी परिषद ने सितंबर 2021 की बैठक में कुछ जीवन रक्षक दवाओं पर कर की दर घटा दी थी।
व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए आयात करने पर स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी के उपचार में काम आने वाली जीवन रक्षक दवा जोलजेंस्मा और विल्टेप्सो को जीएसटी मुक्त किया गया था। उस समय केयट्रुडा पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दी गई थी।
अपनी बेटी के लिए दवा आयात कर रहे युवा जोड़े की चुनौती
कांग्रेस के तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने एक युवा जोड़े की कहानी 28 मार्च को ट्विटर पर साझा की थी, जिन्होंने एक दवा पर शुल्क कम किए जाने के लिए उनसे संपर्क साधा था।
यह जोड़ा अपनी बेटी के लिए दवा का आयात करता था, जो कैंसर से पीड़ित है और वे बहुत ज्यादा कर भुगतान करने में सक्षम नहीं थे।
थरूर ने 28 मार्च को ट्विटर पर लिखा था, ‘उन्होंने दवा के लिए धन जुटाने की हर संभव कवायद की। उधार लिया, अपने बचत का इस्तेमाल किया। क्राउड फंडिंग का सहारा लिया। लेकिन जब उन्होंने दवा आयात की तो उन्हें जीएसटी भुगतान के लिए और 7 लाख रुपये चाहिए थे, जो उनके पास नहीं थे। जब उन्होंने मुझसे संपर्क किया तो मैंने 15 मार्च को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर उन्हें मानवीय आधार पर जीएसटी से छूट देने के लिए मदद मांगी। जब कोई उत्तर नहीं मिला तो उन्होंने रविवार (26 मार्च) को फिर मुझसे संपर्क किया। इंजेक्शन मुंबई हवाई अड्डे पर अटका था, लेकिन जीएसटी भुगतान के बिना सीमा शुल्क विभाग इसे जारी नहीं कर रहा था। इस बार मैंने श्रीमती सीतारमण को सीधे फोन किया। मैंने उनसे कहा कि बच्चे की जिंदगी आपके अधिकार के तत्काल इस्तेमाल पर निर्भर है, क्योंकि वह दवा खराब हो सकती है। सीमा शुल्क के कब्जे में पड़ी दवा एक्सपायर हो जाएगी। उन्होंने इस मामले में सहानुभूति दिखाई। उन्होंने मेरा पत्र नहीं देखा था, इसलिए मैंने दोबारा भेज दिया।’
थरूर ने कहा, ‘आधे घंटे के भीतर उनकी निजी सचिव शरण्या भूटिया ने मुझे यह बताने के लिए फोन किया कि उन्होंने अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के अध्यक्ष से बात की है। 10 मिनट के भीतर अध्यक्ष विवेक जौहरी ने मुझे और दस्तावेज देने को कहा। आज शाम 7 बजे तक छूट दे दी गई।’
इस छूट के साथ कुछ मरीजों को जीवन रक्षक दवाओं के आयात में आने वाले खर्च पर कुछ बचत हो सकेगी।