Budget 2025: हेल्थ सर्विसेज इंडस्ट्री बॉडी NATHEALTH ने सरकार से आगामी केंद्रीय बजट में बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए चिकित्सकीय विशेषज्ञों की भारी कमी, कैंसर देखभाल की बढ़ती लागत और अपर्याप्त अस्पताल बुनियादी ढांचे जैसी प्रणालीगत खामियों को दूर करने का आग्रह किया है। अपनी बजट-पूर्व सिफारिशों में NATHEALTH ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2.5 प्रतिशत से अधिक करने की मांग की और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से संचारी तथा गैर-संचारी रोगों के बढ़ते बोझ को दूर करने का अनुरोध किया, जो दीर्घकालिक चुनौतियों से और भी जटिल हो गया है।
NATHEALTH के अध्यक्ष अभय सोई ने बयान में कहा, ‘‘आगामी केन्द्रीय बजट चिकित्सकीय विशेषज्ञों की भारी कमी, कैंसर देखभाल की बढ़ती लागत, और बढ़ती जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त अस्पताल अवसंरचना जैसी प्रणालीगत कमियों को दूर करने का अच्छा अवसर है।’’
मैक्स हेल्थकेयर इंस्टीट्यूट लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सोई ने कहा, ‘‘अस्पताल की क्षमता का विस्तार, व्यवहार्य प्रतिपूर्ति ढांचे, उपचार लागत में कमी, चिकित्सकीय शिक्षा को आगे बढ़ाना न केवल वर्तमान चुनौतियों का समाधान करेगा बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य सेवा नेता के रूप में भारत की स्थिति को भी सुरक्षित करेगा। ये प्रयास सभी के लिए एक स्वस्थ और अधिक टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि भारत का स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र एक निर्णायक चौराहे पर खड़ा है, जो जटिल चुनौतियां तथा परिवर्तनकारी अवसर दोनों प्रस्तुत कर रहा है। एनएटीएएचएलटीएच ने कहा कि कैंसर देखभाल की लागत को कम करने के लिए, एलआईएनएसीएस जैसे ‘ऑन्कोलॉजी’ विकिरण उपकरणों पर सीमा शुल्क को हटाने और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को घटाकर पांच प्रतिशत करने की आवश्यकता है, ताकि वंचित क्षेत्रों में कैंसर उपचार क्षमता का विस्तार किया जा सके।
स्वास्थ्य निकाय ने सरकार से ‘‘स्वास्थ्य सेवा उपकर तथा तंबाकू व चीनी उत्पादों पर प्रस्तावित 35 प्रतिशत जीएसटी से प्राप्त आय को सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को मजबूत करने के लिए आवंटित करने ’’ का भी सुझाव दिया। साथ ही कच्चे माल की लागत को कम करने के लिए सभी स्वास्थ्य संबंधी वस्तुओं व सेवाओं पर एकीकृत पांच प्रतिशत जीएसटी की वकालत की।’’
निकाय ने व्यवहार्य बीमा प्रतिपूर्ति दरों की मांग करते हुए कहा कि सीजीएचएस, पीएमजेएवाई तथा ईसीएचएस जैसी योजनाओं के तहत प्रतिपूर्ति दरों को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के अनुरूप करने से वित्तीय व्यवहार्यता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, क्योंकि कई दरें लगभग एक दशक से अपरिवर्तित बनी हुई हैं।
इसके अलावा, उसने सरकार से भारत में (जीसीसी सहित) अनुसंधान एवं विकास को समर्थन देने तथा चिकित्सकीय-प्रौद्योगिकी नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक कोष की घोषणा करने और मूल्य-आधारित देखभाल के लिए गुणवत्ता से जुड़े मानकीकृत खरीद मानदंडों में बदलाव करने की मांग की। चिकित्सकीय शिक्षा के विस्तार की आवश्यकता पर बल देते हुए एनएटीएचईएएलटीएच ने सरकार नीत निवेश के जरिये एमबीबीएस तथा स्नातकोत्तर चिकित्सकीय सीटों को बढ़ाने का प्रस्ताव दिया, जिसे ऋण व ब्याज अनुदान जैसे वैकल्पिक वित्तपोषण तंत्रों द्वारा समर्थित किया गया।