राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने हाल में अपने एक फैसले में कहा है कि अगर दुर्घटना के समय बीमित वाहन के ड्राइवर के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था तो बीमा संबंधी दावे को कानूनी तौर पर अस्वीकार किया जा सकता है।
इस मामले में शिकायतकर्ता का वाहन पॉलिसी अवधि के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। उसके लिए नैशनल इंश्योरेंस कंपनी द्वारा बीमा किया गया था। दुर्घटना में वाहन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया और ड्राइवर की मृत्यु हो गई। मगर बीमाकर्ता ने यह कहते हुए दावे को खारिज कर दिया कि ड्राइवर के लाइसेंस की वैधता अवधि खत्म हो गई थी।
मध्य प्रदेश के गुना जिला आयोग ने बीमाकर्ता को 75 फीसदी दावे की रकम का भुगतान करने का निर्देश दिया। मगर राज्य आयोग ने इस आदेश को पलट दिया। एनसीडीआरसी ने राज्य आयोग के निर्णय को बरकरार रखते हुए कहा कि वैध लाइसेंस का न होना पॉलिसी शर्तों का उल्लंघन है।
इन वजहों से खारिज होते हैं दावे
लाइसेंस का एक्सपायर होना: लाइसेंस नवीनीकरण के लिए 30 दिन का ग्रेस पीरियड दिया जाता है। मगर 2019 के मोटर वाहन अधिनियम में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि एक्सपायर लाइसेंस के साथ वाहन चलाने की अनुमति नहीं है भले ही आपका लाइसेंस नवीनीकरण के लिए लंबित क्यों न हो। डिजिट इंश्योरेंस के प्रमुख (मोटर दावे) नारायण राव ने कहा, ‘ड्राइवर को अपने लाइसेंस की वैधता अवधि खत्म होने के तुरंत बाद उसका नवीनीकरण करवाना चाहिए और प्रक्रिया पूरी होने तक वाहन चलाने से बचना चाहिए। एक्सपायर लाइसेंस से जुड़े दुर्घटना मामलों में बीमाकर्ता आम तौर पर कवरेज से इनकार करते हैं।’
लाइसेंस वाहन श्रेणी से अवश्य मेल खाना चाहिए: बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के प्रमुख (मोटर डिस्ट्रीब्यूशन)
शुभाशिष मजूमदार ने कहा, ‘हल्के मोटर वाहन लाइसेंस वाला कोई व्यक्ति कानूनी तौर पर ट्रक या बस नहीं चला सकता। गलत लाइसेंस श्रेणी के साथ ड्राइविंग करने पर आपका दावा अमान्य हो सकता है।’
पॉलिसी और आरसी का बेमेल होना: बीमा पॉलिसी और पंजीकरण प्रमाणपत्र (आरसी) एक ही नाम पर होने चाहिए। मजूमदार ने कहा, ‘अगर आरसी और बीमा में तालमेल नहीं है तो बीमाकर्ता दावे को अस्वीकार कर सकता है।’
जानकारी देने में देरी: जानकारी देने में देरी होने से दावों पर असर पड़ता है या नहीं, इस मामले में अलग-अलग राय दी जाती है। राव ने कहा, ‘दुर्घटना की जानकारी देने के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं की गई है। मगर बीमाकर्ता देरी के कारणों के बारे में पूछ सकते हैं और उसी के अनुसार दावे की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकते हैं।’ राव बीमाकर्ता को जल्द से जल्द सूचित करने का सुझाव देते हैं।
पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के उप निदेशक (कार नवीनीकरण, ग्राहक अनुभव एवं दावे) संदीप सराफ का मानना है कि जानकारी देने में देरी किए जाने से मंजूरी प्रभावित हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘बीमाकर्ता को 24 से 48 घंटों के भीतर सूचित कर देना चाहिए। कुछ मामलों में 7 दिनों तक का समय दिया जा सकता है लेकिन जल्द सूचित करना बेहतर रहेगा।’
नशे में गाड़ी चलाना: अगर दुर्घटना के समय ड्राइवर शराब या ड्रग्स के नशे में था तो आम तौर पर दावे खारिज कर दिए जाते हैं। मजूमदार ने कहा, ‘अगर ड्राइवर नशे में है तो बीमाकर्ता द्वारा दावे को अस्वीकार किए जाने की आशंका अधिक होती है।’
वाहन में मॉडिफिकेशन: वाहन के प्रदर्शन, सुरक्षा अथवा मूल्य को प्रभावित करने वाले मॉडिफिकेशन का खुलासा किया जाना चाहिए। सराफ ने कहा, ‘बीमाकर्ता को मॉडिफिकेशन के बारे में सूचित न किए जाने पर दावा खारिज हो सकता है या सीमित कवरेज मिलेगा। अगर बीमाकर्ता को सूचित नहीं किया गया तो मॉडिफिकेशन वाले भागों को कवर नहीं किया जा सकता है।’
राव ने कहा कि अगर दावा अनधिकृत मॉडिफिकेशन से संबंधित है तो उसे खारिज किए जाने की आशंका अधिक होती है।
अनधिकृत उपयोग: निजी वाहन का व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए उपयोग करना भी नियम का उल्लंघन माना जाता है। राव ने कहा, ‘इस तरह का उपयोग पॉलिसी के तहत उपयोग की सीमा नियमों का उल्लंघन करता है। ऐसे में बीमाकर्ता दावे को खारिज कर सकते हैं।’ सराफ ने कहा कि पहले से मौजूद नुकसान के लिए दावा किए जाने पर भी उसे खारिज किया जा सकता है।
गलतियों से बचें
सुनिश्चित करें कि बीमा पॉलिसी खरीद के समय सभी आवश्यक दस्तावेज सही तरीके से प्रस्तुत किए गए हैं। सराफ ने कहा, ‘पूरी जानकारी ईमानदारी से बताएं, पॉलिसी की शर्तों को समझें और सही नो-क्लेम बोनस एवं बीमित रकम की घोषणा करें।’