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कांग्रेस में बदलाव की प्रक्रिया पर काम शुरू

Last Updated- December 15, 2022 | 3:01 AM IST

सोमवार को कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की हंगामेदार बैठक के बाद अब नए उपाध्यक्षों, महासचिवों और प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व में व्यापक बदलाव के जरिये पार्टी को एक नया रूप दिया जाएगा। कांग्रेस के 23 नेताओं ने एक पत्र लिखकर शीर्ष नेतृत्व को सक्रियता बढ़ाने की बात कही थी जिसके बाद सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाई गई थी। हालांकि इस पूरी कवायद से पार्टी पर गांधी परिवार की पकड़ और मजबूत हुई।
पार्टी के शीर्ष नेताओं ने कहा कि इस वृहद बदलाव की रूपरेखा अभी तैयार नहीं है लेकिन अगले 10 दिनों में इसकी घोषणा हो जानी चाहिए। कांग्रेस पार्टी के संविधान में उपाध्यक्ष पद के लिए कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में यह केवल पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा सोमवार की बैठक में दिए गए एक सुझाव का विस्तार हो सकता है कि एक समिति अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष को तब तक मदद और सलाह दे जब तक कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) नए अध्यक्ष का चयन या चुनाव नहीं कर लेती।
नई नियुक्तियों में राहुल गांधी के नजरिये वाले नए कांग्रेस की झलक मिलने की उम्मीद है। केरल के सांसद और लोकसभा में राहुल के साथ बैठने वाले के सी वेणुगोपाल पार्टी संगठन में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
राहुल के विचारों के अनुरूप बात करने वालों में कांग्रेस की महिला इकाई की प्रमुख सुष्मिता देव, पार्टी की पहले की बैठक में वरिष्ठ नेताओं को निशाना बनाने वाले राजीव सातव, तमिलनाडु के विरुधुनगर से लोकसभा सांसद मणिकम टैगोर, सामाजिक समानता से जुड़े  विचारों के लिए राहुल के भरोसेमंद माने जाने वाले के राजू, भंवर जितेंद्र सिंह  और मधु याक्षी गौड़ उन लोगों में से हैं जिन्हें संगठनात्मक जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। इस प्रक्रिया की शुरुआत अविनाश पांडेय की जगह अजय माकन को राजस्थान का प्रभारी महासचिव बनाने के साथ ही शुरू हो गई। हाल में राजस्थान सियासी संकट के दौर से गुजर रहा था।
ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी पार्टी मामलों पर अपना रुख जाहिर नहीं कर रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में उन्होंने बिहार के पार्टी कार्यकर्ताओं को वीडियो कॉन्फें्रस के जरिये संबोधित किया था जिसमें बिहार के प्रभारी महासचिव एस एस गोहिल और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने हिस्सा लिया था। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा, ‘शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मोर्चे पर प्रदेश सरकार की नाकामी को उजागर करें और इन मुद्दों को लोगों के बीच उठाएं। राज्य सरकार कोविड-19 महामारी और बाढ़ की स्थितियों से प्रभावी ढंग से निपटने में विफल रही है। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार प्रवासी कामगारों को वापस लेने में आनाकानी कर रही थी। राज्य सरकार भ्रष्टाचार के मोर्चे पर अपनी तारीफ में जुटी हुई है। अब मुख्यमंत्री इन मुद्दों पर बात नहीं करते।’ उन्होंने गोहिल और झा को यह भी निर्देश दिया कि वे पता करें कि पार्टी को कितनी सीटों और निर्वाचन क्षेत्रों में उतरना चाहिए। सभी व्यावहारिक मकसदों के लिए राहुल पार्टी कार्यकर्ताओं से संपर्क साध रहे हैं।
हालांकि एक गैर गांधी अध्यक्ष (पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के नाम और लोकसभा में विपक्ष के पूर्व नेता मल्लिकार्जुन खडग़े के नाम को लेकर चर्चा) को लेकर कुछ चर्चा हुई थी लेकिन ज्यादातर नेताओं को लगता है कि यह कोई यथार्थवादी व्यवस्था नहीं है। वे हाल ही में एक घटना का हवाला देते हुए बताते हैं कि कैसे राहुल के सहयोगियों ने प्रियंका गांधी वाड्रा के उन विचारों को खारिज कर दिया कि एक गैर-गांधी पार्टी का अध्यक्ष हो सकता है जैसा कि एक पुस्तक में बताया गया है लेकिन यह एक साल से अधिक समय पहले, एक अलग समय और संदर्भ में दिया गया विचार था जो अब मान्य नहीं है।
नई व्यवस्था की तैयारी में जुटे कई नेता अब अपने पदों का जायजा भी ले रहे हैं। पूर्व मंत्री और पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले वीरप्पा मोइली ने कहा, ‘हमने सोनिया गांधी के नेतृत्व पर कभी सवाल नहीं उठाया। हम उनके त्याग को समझते हैं। वह शुरुआत में किसी पद को लेने से हिचक रही थीं लेकिन उन्होंने अपनी जिंदगी कांग्रेस पार्टी को दे दी। कोई भी उनके प्रति कृतघ्न नहीं हो सकता है। हम अब भी उन्हें अपनी मां की तरह मानते हैं ताकि वह पार्टी और राष्ट्र का मार्गदर्शन करें। वह सम्मान उन्हें मिलता रहेगा। लेकिन इसके साथ ही पार्टी का कायाकल्प करने की भी जरूरत है। उनको भेजे गए पत्र का मुख्य विषय भी हर स्तर पर कांग्रेस का कायाकल्प करने से जुड़ा है। इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें अध्यक्ष नहीं होना चाहिए। उनके अंतरिम अध्यक्ष बनने का फिर से स्वागत है। हम सब उनसे प्यार करते हैं।’

First Published - August 25, 2020 | 11:05 PM IST

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