लोकसभा ने सोमवार को निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी। इसमें मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता पहचान कार्ड और सूची को आधार कार्ड से जोडऩे का प्रस्ताव किया गया है। हालांकि इस दौरान सभी विपक्षी दलों ने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। ऐसा करने वालों में बहुजन समाज पार्टी जैसे मित्रवत माने जाने वाले दल भी शामिल थे। तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस तथा माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी जैसे धुर राजनीतिक विरोधी भी विधेयक के विरुद्ध एकजुट नजर आए। इस दौरान कुछ सांसदों ने तख्तियां लहरा कर नवंबर में शीतकालीन सत्र की शुरुआत से प्रधानमंत्री की सदन में अनुपस्थिति का मुद्दा भी उठाया।
विधेयक के जरिये आधार नंबर को निर्वाचन सूचियों से जोड़ा जाना है। विपक्षी सदस्यों ने कहा कि यह विधेयक नागरिकों के बुनियादी अधिकारों का हनन करता है। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि विधेयक सर्वोच्च न्यायालय के आधार से संबंधित निर्णय का भी उल्लंघन करता है। उन्होंने मांग की कि इसे सदन की स्थायी समिति के समक्ष भेजा जाना चाहिए। कांग्रेस नेताओं मनीष तिवारी और अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह विधेयक सदन की विधिक क्षमता के बाहर है। उन्होंने कहा कि पुत्तास्वामी बनाम भारत सरकार के प्रसिद्ध मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि आधार अधिनियम यह इजाजत नहीं देता कि आधार नंबर को निर्वाचन सूचियों से जोड़ा जाए।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को चुनाव सुधारों से जुड़े इस विधेयक के मसौदे को अपनी मंजूरी दी थी। इस विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता कार्ड और सूची को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा। विधेयक के मुताबिक, चुनाव संबंधी कानून को सैन्य मतदाताओं के लिए लैंगिक निरपेक्ष बनाया जाएगा। वर्तमान चुनावी कानून के प्रावधानों के तहत, किसी भी सैन्यकर्मी की पत्नी को सैन्य मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की पात्रता है लेकिन महिला सैन्यकर्मी का पति इसका पात्र नहीं है। प्रस्तावित विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने पर स्थितियां बदल जाएंगी।
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि निर्वाचन सुधार एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। केंद्र सरकार समय-समय पर विभिन्न क्षेत्रों से चुनाव सुधार के प्रस्ताव प्राप्त कर रही है जिसमें भारत का निर्वाचन आयोग भी शामिल है। निर्वाचन आयोग के प्रस्तावों के आधार पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के उपबंधों में संशोधन करने का प्रस्ताव है। इसी के अनुरूप, निर्वाचन विधि संशोधन विधेयक 2021 प्रस्तावित किया गया है। इसमें प्रस्ताव किया गया है कि एक ही व्यक्ति के विभिन्न स्थानों पर बहु नामांकन की बुराई को नियंत्रित करने के लिए आधार प्रणाली के साथ निर्वाचक नामावली डेटा को संबंद्ध करने के उद्देश्य से लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 23 का संशोधन करने का उपबंध किया गया है। इसके साथ ही निर्वाचक नामावलियों को तैयार करने या उनकी पुनरीक्षण करने के संबंध में कट ऑफ तारीखों के रूप में किसी कैलेंडर वर्ष में 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर को शामिल करने के लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 14 के खंड (ख) का संशोधन करने की बात कही गई है। विधेयक के दस्तावेज के अनुसार, कानूनों को लिंग निरपेक्ष बनाने के लिए ‘पत्नी’ शब्द को पति या पत्नी से प्रतिस्थापित करने के लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 20 तथा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 60 का संशोधन करने का प्रावधान किया गया है।
