facebookmetapixel
इंडसइंड बैंक में 9.5% तक हिस्सेदारी खरीदेगा HDFC Bank, रिजर्व बैंक से मिली मंजूरीICICI Pru AMC IPO: अप्लाई करने का आखिरी मौका, अब तक कितना हुआ सब्सक्राइब; GMP क्या दे रहा इशारा ?क्या ₹3 लाख प्रति किलो पहुंचेगी चांदी? एक्सपर्ट्स ने बताया- निवेशकों को क्या सावधानी बरतनी चाहिएGold silver price today: सोने-चांदी की कीमतों में गिरावट, MCX पर देखें आज का भावडॉनल्ड ट्रंप ने BBC पर 40,000 करोड़ रुपये का मानहानि मुकदमा दायर कियाबायोकॉन ने नीदरलैंड में उतारी मोटोपे और डायबिटीज के इलाज की दवाजियोस्टार को मिला नया सीएफओ, जानिए कौन हैं जीआर अरुण कुमारकाम के बाद भी काम? ‘राइट टू डिसकनेक्ट बिल’ ने छेड़ी नई बहसलिशस ने रचा इतिहास, पहली बार 100 करोड़ रुपये का मासिक कारोबारविदेशी पढ़ाई की राह बदली: भारतीय छात्र अब दुबई को दे रहे हैं तरजीह

नेताओं पर टीके से घटेगी हिचक

Last Updated- December 12, 2022 | 8:46 AM IST

देश में शुरू हुए दुनिया के सबसे बड़े कोविड-19 टीकाकरण अभियान के तीन हफ्ते बाद देश की आबादी का एक प्रमुख हिस्सा टीका लगवाने में हिचक रहा है। हालांकि, एक कम्युनिटी सोशल मीडिया मंच, लोकल सर्कल्स के एक हाल के सर्वेक्षण से पता चलता है कि देश में टीके को लेकर हिचकिचाहट की दर एक महीने के भीतर 16 फीसदी तक कम हुई है और अब 42 फीसदी भारतीय टीका लगवाने के इच्छुक हैं। अगर केंद्र और राज्य सरकार में शामिल सांसद और विधायक खुद को टीका लगवाते हैं तो करीब 65 फीसदी लोग टीका लगवाने की इच्छा जता सकते हैं। दिलचस्प बात यह है कि 39 फीसदी नागरिक कोविड-19 टीका लेने में हिचक रहे हैं लेकिन अगर केंद्र और राज्य सरकार (सांसद और विधायक) के वरिष्ठ नेता टीके लगवाते हैं तब ज्यादा लोग टीके लगवाएंगे।
कई देशों में नेताओं ने टीके लगवाएं हैं। मिसाल के तौर पर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन और उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने मॉडर्ना के टीके लगवाए। ब्रिटेन में भी महारानी इलिजाबेथ द्वितीय और प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने टीके लगवाए। भारत में विपक्षी दलों के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों ने सरकार से आग्रह किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रमुख नेताओं को कोविशील्ड या कोवैक्सीन लगवानी चाहिए जिससे नागरिकों के बीच डर कम होगा और भरोसा बढ़ेगा।
लोकल सर्कल्स ने अपने सर्वेक्षण में कहा कि 39 फीसदी लोगों ने कहा कि अगर सांसदों और विधायकों के साथ केंद्र और राज्य सरकार में शामिल वरिष्ठ नेता टीके लगवाने हैं तो इससे लोग तुरंत टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहित होंगे। इस सर्वेक्षण में करीब 26 प्रतिशत नागरिकों ने कहा कि वे अब भी तीन महीने तक इंतजार करना चाहेंगे। इसके अलावा 16 फीसदी नागरिकों ने कहा कि वे तीन से छह महीने तक इंतजार करेंगे। वहीं 9 फीसदी लोगों ने कहा कि 6-12 महीने इंतजार करेंगे जबकि पांच प्रतिशत लोगों ने 12 महीने से अधिक इंतजार करने और फिर फैसला लेने की बात कही। लोकल सर्कल्स के मुताबिक पांच प्रतिशत नागरिकों ने कहा कि वे टीका बिल्कुल नहीं लगवाएंगे।
देश अब करीब 50 लाख स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगाने के कगार पर पहुंच चुका है और 2,000 से भी कम प्रतिकूल घटनाओं की सूचना मिली है। अक्टूबर 2020 के बाद से, लोकल सर्कल्स नागरिकों से प्रतिक्रियाएं ले रहा था ताकि कोविड-19 टीका लगवाने के प्रति उनके नजरिये का जायजा लिया जा सके और यह समझा जा सके कि टीका लगवाने के प्रति उनकी हिचकिचाहट कम हुई है या बढ़ी है और इस अनिच्छा की क्या वजह है।
25 जनवरी को लोकल सर्कल्स ने टीका लेने की अनिच्छा जताने वालों का सर्वेक्षण किया था जिससे यह संकेत मिला कि करीब 60 फीसदी नागरिक तुरंत टीका लगवाने में संकोच कर रहे थे। इस सर्वेक्षण में जवाब देने वाले ज्यादातर लोगों का मानना था कि वे इसके विपरीत असर को लेकर चिंतित हैं जबकि बेहद कम लोगों को प्रभाव का कोई अंदाजा नहीं था।
लोकल सर्कल्स ने कहा, ‘इस हफ्ते टीके के प्रति अनिच्छा जताने वालों की तादाद 58 फीसदी है। एक महीने पहले यानी जनवरी की शुरुआत में टीके के प्रति हिचकिचाहट जताने वाले नागरिकों की तादाद 69 फीसदी थी जो कम होकर टीकाकरण के दूसरे हफ्ते के अंत में 62 फीसदी तक हो गई। वहीं जनवरी के तीसरे सप्ताह में यह तादाद 60 फीसदी तक हो गई और अब इस हफ्ते यह आंकड़ा 58 फीसदी तक पहुंच गया। इसका मतलब यह है कि नागरिकों के बीच टीका लगवाने  की अनिच्छा की दर में एक महीने के भीतर 16 फीसदी की कमी आई है।’

First Published - February 4, 2021 | 11:13 PM IST

संबंधित पोस्ट