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बदतर होते जा रहे कोविड के हालात: पॉल

Last Updated- December 12, 2022 | 6:31 AM IST

भारत के कोविड-19 की दूसरी लहर की चपेट में आने की वजह से सरकार ने कहा है कि कुछ राज्यों में गंभीर चिंतापूर्ण स्थिति के कारण हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं, हालांकि सरकार को1 अप्रैल से टीकाकरण में इजाफा होने की उम्मीद है।
देश में कोविड की स्थिति पर साप्ताहिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने कहा ‘कोई भी राज्य और जिले का कोई भी हिस्सा लापरवाह नहीं होना चाहिए। रुझानों से पता चलता है कि यह वायरस अब भी काफी सक्रिय है और हमारी सुरक्षा को भेद सकता है। जब हम यह सोचते हैं कि हमने इसे नियंत्रित कर लिया है, तो यह फिर हमला कर देता है। हम सभी को इस संबंध में सावधान रहना चाहिए।’
स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश भर के 47 जिलों को प्रभावित मामलों की तेजी से पहचान और प्रभावी तौर पर निगरानी की कवायद करने के लिए आरटी-पीसीआर परीक्षण में इजाफा करने के लिए कहा है।
सर्वाधिक सक्रिय मामले वाले दस शीर्ष जिलों में से आठ महाराष्ट्र में हैं और अन्य दो जिले दिल्ली तथा बेंगलूरु में हैं। महाराष्ट्र में पिछले सप्ताह संक्रमण मामलों की दर 23 प्रतिशत का स्तर पार कर चुकी है, जो जांच में काफी इजाफा करने की जरूरत बता रही है। फरवरी के दूसरे सप्ताह में दैनिक मामलों का औसत 3,000 से कुछ ही ज्यादा था, महाराष्ट्र में मार्च के अंतिम सप्ताह के दौरान यह संख्या 34,000 से ज्यादा हो चुकी है। पॉल ने कहा ‘अगर यह वायरस हमारे देश में कहीं भी है, तो यह हर जगह है।’ पिछले सप्ताह के दौरान देश में कोविड के संक्रमण मामलों की औसत दर 5.65 प्रतिशत थी। इसके मुकाबले जांच में संक्रमित पाए जाने वाले मरीजों की दर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पंजाब में सात से नौ प्रतिशत के बीच है। सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को लिखे एक पत्र में स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने अतिसक्रिय और केंद्रित कार्रवाई करने का आह्वान किया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कम प्रसार वाले क्षेत्रों में संक्रमण न फैले। उन्होंने कहा है कि मामलों में मौजूदा वृद्धि चिंता का विषय है और अगर इसे अभी नहीं रोका जाता है, तो यह स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था को तबाह करने की क्षमता रखती है।
1 अप्रैल से 45 वर्ष से अधिक उम्र वाले सभी लोगों के लिए कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण शुरू किए जाने से सरकार टीकाकरण अभियान में तेजी आने की उम्मीद कर रही है। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस जनसंख्या समूह के आकार के अनुमान का खुलासा नहीं किया है, लेकिन यह पाया गया है कि कोविड से होने वाली 88 प्रतिशत मौतें 45 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों में हुई हैं।
भूषण ने कहा, ‘हमें दिल्ली में बैठकर और पूर्वानुमान देने के बजाय, जिले के भीतर सूक्ष्म पूर्वानुमान तैयार करना चाहिए। अब हमारे पास तेजी लाने के लिए आत्मविश्वास (टीकाकरण) है। लोगों को झिझक छोड़ देनी चाहिए और टीका लगवाना चाहिए।’
टीकाकरण में तेजी लाने के लिए राज्यों से यह भी कहा गया है कि वे निजी क्षेत्र की क्षमता का उपयोग करें। हरियाणा, मेघालय और उत्तराखंड जैसे कुछ राज्यों में कोविड के लिए कुल टीकाकरण में निजी सुविधा केंद्रों का योगदान 20 प्रतिशत से भी कम है।
अब तक इन बढ़ते मामलों के लिए शारीरिक दूरी, मास्क पहनने और कोविड संबंधी सभी एहतियात की कमी को जिम्मेदार ठहराया गया है। जहां तक नए प्रकार के वायरस की बात है, तो दिसंबर से 11,000 से अधिक नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग हुई है। इनमें से 807 ब्रिटेन वाले प्रकार, 47 दक्षिण अफ्रीका की वंशावली वाले और एक को ब्राजील स्वरूप वाला पाया गया है।

कोविशील्ड नौ माह तक उपयोग लायक
देश के औषधि नियामक ने एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 टीके के निर्माण से उसके इस्तेमाल तक की अवधि को बढ़ाकर नौ महीने कर दिया है जबकि इसके इस्तेमाल के लिए मूल छह महीने की अवधि ही अनुशंसित है। एक सूत्र तथा रॉयटर्स के हाथ लगे दस्तावेज से इस बात की पुष्टि होती है। माना जा रहा है कि इस मंजूरी के बाद सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा निर्मित और कई देशों को निर्यात की जाने वाले इस टीके की बरबादी कम होगी और टीकाकरण का कार्यक्रम बेहतर ढंग से चल सकेगा।
कुछ अफ्रीकी देशों के पास एसआईआई द्वारा निर्मित कोविशील्ड टीके की 10 लाख से अधिक खुराक के इस्तेमाल के लिए अगले महीने के मध्य तक का ही समय है। उन्हें इस अवधि को बढ़ाने का लाभ मिलेगा। भारतीय औषधि महानियंत्रक वीजी सोमानी ने गत माह एसआईआई के एक अनुरोध के जवाब में लिखा कि कंपनी टीके की उन खुराकों के इस्तेमाल की अवधि बढ़ाकर नौ महीने कर सकती है जिन पर अभी लेबल नहीं लगा है, यानी जो टीके अभी हाल में बने हैं। गत सप्ताह एस्ट्राजेनेका ने कहा था कि उसके टीके को छह महीने तक सामान्य रेफ्रिजरेशन में रखा जा सकता है और उसका भंडारण या परिवहन किया जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कोविशील्ड और दक्षिण कोरिया में बने ऐस्ट्राजेनेका टीके के लिए छह महीने की अवधि निर्धारित की है। अभी इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है कि भारतीय औषधि नियामक की अनुशंसा इस्तेमाल से बचे पुराने टीकों के लिए भी है या नहीं।

First Published - March 30, 2021 | 11:23 PM IST

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