एक करियर को छोड़कर दूसरे करियर को चुनने के बारे में कई लोग सोच भी नहीं सकते।
लेकिन हैदराबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) के छात्रों की राय इसके बिल्कुल उलट है। यहां कई छात्र ऐसे हैं, जो पहले विभिन्न क्षेत्रों में काम कर चुके हैं। अब वे इस डिग्री का इस्तेमाल नए क्षेत्र में करना चाहते हैं। इसकी एक बानगी देखिए नीरज मेहता के रूप में। नीरज यहां दाखिला लेने से पहले डेंटिस्ट का काम कर थे। मैनेजमेंट का कोर्स करने के बाद उनका अपने पुराने पेशे में लौटने का कोई इरादा नहीं है। वह अब बाजार की गुत्थियां सुलझाएंगे और दिल्ली स्थित संस्थान ग्रेल रिसर्च के साथ मिलकर काम करेंगे।
यह पूछे जाने पर उन्होंने अपना पहला करियर क्यों छोड़ने का फैसला किया, नीरज का कहना था कि जिंदगी में अपनी छाप छोड़ना काफी मायने रखता है। वह कहते हैं कि इसकी वजह पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों थी। नीरज ने बताया, ‘ मैंने महसूस किया कि सिर्फ मरीजों का इलाज करना मेरे करियर के लिए पर्याप्त नहीं है। मैं अक्सर इस बात पर सोचा करता था कि उनका क्या होगा जो इस इलाज का खर्च वहन करने में सक्षम नहीं हैं।’
उनका कहना है कि अपनी नई भूमिका में वह अपने पुराने पेशे से जरूर दूर हो जाएंगे, लेकिन अपनी दिलचस्पी के क्षेत्र लाइफसाइंस के साथ जुड़े रहेंगे।
नीरज के मुताबिक, भारत में सस्ती और सक्षम स्वास्थ्य सेवा की सख्त जरूरत है और पब्लिक प्राइवेट साझीदारी के जरिये आधारभूत स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत बनाया जा सकता है। उन्हें अपना पुराना पेशा छोड़ने का कोई अफसोस नहीं है। वह कहते हैं कि अगर वह अपने पुराने पेशे में टिका रहते तो बदलाव की प्रक्रिया में उनकी भूमिका काफी सीमित होती। हैदराबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में एक साल के दौरान उन्होंने अपना कंप्यूटर और रिसर्च ज्ञान जमकर बढ़ाया।
इसी तरह सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रकृति सिंह ने इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में दाखिला लेने के लिए टीसीएस की अपनी नौकरी छोड़ने मे तनिक भी हिचकिचाहट नहीं दिखाई। हाल में संपन्न हुई नियुक्ति प्रक्रिया में उन्होंने कंस्लटेंट बनने का फैसला किया। वह कहती हैं कि उनका यह कदम लंबी रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह अलग-अलग प्रोफाइल का अनुभव प्राप्त करना चाहती हैं। उनके मुताबिक, जिंदगी में इंसान को हमेशा कुछ न कुछ सीखते रहना चाहिए।
यही वजह है कि उन्होंने सॉफ्टवेयर सेक्टर में कुछ समय तक काम करने के बाद दूसरे क्षेत्र चुना। यहां कई लोग ऐसे हैं, जो पेशेवर जिंदगी में नीरसता को खत्म करने के लिए करियर बदलना पसंद करते हैं। रायपुर के जितेश शाह की शख्सियत कुछ ऐसी ही है। उन्होंने आईआईटी गुवाहाटी से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी।
कुछ दिनों तक काम करने के बाद उन्हें लगने लगा कि उनके जीवन में एकरसता आ गई है। वह पहले चिप डिजाइनिंग, कोडिंग और टेस्टिंग का काम करते थे। इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस से डिग्री लेने के बाद अब वह नामीगिरामी फर्म में कंस्लटेंट का काम करेंगे। जितेश कहते हैं कि आईटी सेक्टर में 2-3 साल तक काम करने के बाद आप इस सेक्टर से बोर होने लगते हैं।
इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) के जीन डीन एम. राममोहन राव का कहना है कि करियर में बदलाव संस्थान में काफी आम बात है। यह ट्रेंड 2001 में शुरू हुआ था, जब संस्थान की स्थापना हुई थी। शुरू में यह इतना आसान नहीं थी, क्योंकि कंपनियां ऐसे लोगों को लेने में हिचकिचाती थीं। हालांकि पिछले कुछ साल में कंपनियों के रवैये में काफी बदलाव देखने को मिला है।
इस साल संस्थान में 10 डॉक्टर आए, जिन्होंने अपना क्षेत्र बदल लिया। आईएसबी के निदेशक (कम्यूनिकेशंस) भुवन रामालिंगम के मुताबिक, कुल 422 छात्रों में 80 फीसदी ने अपने पुराने करियर को अलविदा कह दिया।
यहां सवाल यह पैदा होता है कि उद्योग जगत इस ट्रेंड को कैसे देखता है? विज्ञापन एजेंसी एवरेस्ट ब्रांड सल्यूशंस के अध्यक्ष डी. राजप्पा कहते हैं कि विज्ञापन की सफलता दूर की सोच और नए प्रयोग पर निर्भर करती है। करियर शिफ्टिंग के जरिये अवसरों में बढ़ोतरी होती है। ईमेल के जरिये दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि एवरेस्ट में कई ऐसे लोग मौजूद हैं, जिन्होंने सर्विस से क्रिएटिव सेक्टर में शिफ्ट किया है या फिर क्रिएटिव से प्लानिंग में।
विभिन्न भाषाओं में अपनी वेबासाइट चलाने वाली कंपनी वेब-दुनिया के निदेशक विजय छजलानी का मानना है कि कंपनियां भी ऐसे बदलाव को काफी बढ़ावा देती हैं, क्योंकि इसके जरिये उन्हें चीजों को देखने को नया नजरिया प्राप्त होता है।