बैंकरों का कहना है कि अदाणी समूह द्वारा नकदी संकट से जूझ रहे जीवीके समूह से मुंबई इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (मायल) का अधिग्रहण किए जाने से रुकी हुई नवी मुंबई हवाई अड्डा परियोजना को अदाणी समूह की वित्तीय मदद से आगे बढ़ाने में मदद मिलगी।
पिछले 15 वर्षों से चल रही यह परियोजना वित्त पोषण के लिहाज से विफल रही है, क्योंकि जीवीके समूह पर वित्तीय दबाव बना हुआ है। बैंकरों का कहना है कि परियोजना स्थल पर निर्माण गतिविधि नहीं होने से परियोजना की लागत 5,000 करोड़ रुपये तक बढ़ गई है।
जीवीके समूह ने भूमि अधिग्रहण पूरा नहीं होने के लिए सिडको को जिम्मेदार ठहराया है, जिसकी नवी मुंबई हवाई अड्डे में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है। एक अधिकारी ने कहा कि परियोजना के करीब तीन प्रतिशत भूमि मालिकों ने अब तक भूमि नहीं सौंपी है जिससे विलंब बढ़ रहा है।
नवी मुंबई हवाई अड्डे का भविष्य अनिश्चित हो गया था, क्योंकि उसकी मूल कंपनी मायल के पास नकदी बैलेंस 1 अगस्त 2020 तक 110 करोड़ रुपये की गैर-इस्तेमाली वाली कार्यशील पूंजी के साथ महज 150 करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2019 में, क्रिसिल की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि मायल ने वर्ष 2019 में नवी मुंबई हवाई अड्डे में 905 करोड़ रुपये का अग्रिम निवेश किया था। लेकिन यह परियोजना शुरू करने के लिहाज से पर्याप्त नहीं था, क्योंकि येस बैंक (जिसने शुरू में परियोजना के वित्त पोषण पर सहमति जताई थी) पीछे हट गया।
जीवीके समूह ने फरवरी 2017 में नया हवाई अड्डा बनाने का अधिकार हासिल किया था। तब से समूह बैंकों से कोष जुटाने के प्रयास में लगा हुआ था। एलऐंडटी के एक अधिकारी ने नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ कहा कि हालांकि एलऐंडटी ने इस परियोजना का निर्माण अनुबंध हासिल किया था, लेकिन इस स्थल पर कोई कार्य शुरू नहीं किया गया। परियोजना स्थल पर सिर्फ सिडको द्वारा कार्य शुरू किया गया, जिसने भूमि को सपाट बनाने और पूरे भूखंड की ऊंचाई बढ़ाने का काम किया।
मौजूदा इक्विटी व्यवस्था के अनुसार, मायल में जीवीके एयरपोर्ट होल्डिंग्स की 50.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जबकि नवी मुंबई हवाई अड्डे में मायल की 74 प्रतिशत भागीदारी है। अदाणी समूह अब मायल को खरीदने की तैयारी कर रहा है जिससे वह जीवीके के मुकाबले ज्यादा प्रतिस्पर्धी दर पर कोष जुटाने में सक्षम होगा। जीवीके समूह पिछले कुछ वर्षों में बैंक ऋण चुकाने में विफल रहा है। मायल पर मौजूदा समय में करीब 10,000 करोड़ रुपये के बैंक ऋण और गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर के तौर पर अतिरिक्त कर्ज हैं।
मार्च 2019 में समाप्त वित्त वर्ष मेंमायल ने 3,847 करोड़ रुपये का राजस्व कमाया और 100 करोड़ रुपये का कर-पश्चात लाभ (पीएटी) दर्ज किया था। उसके पिछले वित्त वर्ष के वित्तीय आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। इस साल मई में परियोजना में विलंब से चिंतित सिडको (परियोजना को मिलकर विकसित कर रहा महाराष्ट्र के स्वामित्व वाला प्राधिकरण) ने जीवीके समूह से यह साबित करने को कहा था कि वह रेटिंग एजेंसियों द्वारा समूह कंपनियों की रेटिंग घटाए जाने के बाद परियोजना को पूरा करने में वित्तीय रूप से सक्षम है या नहीं।
