कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक की अध्यक्षता की और उन्होंने पिछले कुछ समय से विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के बेहद खराब प्रदर्शन के बारे में कड़े और स्पष्ट तौर पर बात की। पार्टी नेता राहुल गांधी इस बैठक में मौजूद नहीं थे। कांग्रेस नेताओं के मुताबिक वह ‘अस्वस्थ’ हैं हालांकि वह सोशल मीडिया पर सक्रिय दिख रहे थे। उनकी बहिन और उत्तर प्रदेश की नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस बैठक में हिस्सा लिया। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इस बैठक में शामिल नहीं हुए। चुनावों में कांग्रेस को हुए नुकसान की सफाई में कांग्रेस के नेताओं के पास कहने के लिए कुछ भी नहीं था ऐसे में बैठक के दूसरे हिस्से में कोविड-19 महामारी के प्रबंधन पर चर्चा होने लगी। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सुझाव पर पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया है जिन्होंने इसकी वजह कोविड-19 बताई। पहले यह चुनाव 23 जून को होना था। उन्हें पार्टी नेता और राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद का समर्थन भी मिला।
सोनिया ने बैठक में कहा, ‘हमें इन गंभीर झटकों पर ध्यान देना होगा। यह कहना कम होगा कि हम बेहद निराश हैं। मैं इन असफलताओं हर उस पहलू पर गौर करने के लिए एक छोटे समूह का गठन करने का इरादा रखती हूं जो ऐसे झटकों का कारण बना और इसकी जल्द रिपोर्ट मिलनी चाहिए। ये परिणाम हमें स्पष्ट रूप से बता रहे हैं कि हमें अपनी चीजों को दुरुस्त करने की जरूरत है।’ पार्टी के कुछ शीर्ष नेताओं ने निजी तौर पर कहा कि वे राहुल के ठीक होने का इंतजार करेंगे और अपनी मांग को मजबूती से उठाएंगे कि एक मजबूत और अधिक लोकप्रिय व्यक्ति पार्टी का नेतृत्व करें। बैठक से इतर पार्टी के अधिकांश वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि किसी और नतीजे की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए थी क्योंकि किसी वरिष्ठ राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को चुनाव प्रचार के लिए आमंत्रित नहीं किया गया और राहुल तथा प्रियंका ही सुर्खियों में रहे। एक पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘विधायक कहते रहे कि दिल्ली से नेताओं को भेजा जाए लेकिन केवल प्रियंका और राहुल ही वहां गए।’
असंतुष्ट कांग्रेसी नेता संजय झा ने ट्वीट किया, ‘ममता बनर्जी और हेमंत विश्व शर्मा जो मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले रहे हैं, दोनों पूर्व कांग्रेसी नेता हैं। हमारे घमंड के कारण वे पार्टी से चले गए। हमने उनकी राय का अनादर किया। इस सूची में ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी जोड़ें। यह लंबी सूची है।’
पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान पार्टी प्रभारी जितिन प्रसाद का कहना है कि दिल्ली में यह गणित लगाया जा रहा था कि गठबंधन से पार्टी को मदद मिलेगी। लेकिन यह गलत गठबंधन निकला। मध्य प्रदेश के नेता दिग्विजय सिंह का कहना है कि वे असम के प्रभारी थे लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान पार्टी का ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल जैसे नेताओं के साथ गठबंधन नहीं था। तथाकथित राहुल ब्रिगेड के सदस्यों में से एक भंवर जितेंद्र सिंह असम के प्रभारी महासचिव थे।
बैठक के दूसरे हिस्से में कोरोना के प्रबंधन पर चर्चा हुई जिसमें छत्तीसगढ़ की तरफ से दावा किया गया कि चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी और अमित शाह की व्यस्तता के कारण कई लोगों की जान गई और महामारी ने विकराल रूप लिया। नेताओं का कहना था कि बिगड़ते सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के लिए केंद्र जिम्मेदार है।