► इस वित्त वर्ष आवंटित सब्सिडी का आधे से भी कम मिल रहा है
► अगले वित्त वर्ष के लिए इस सरकारी मदद में भारी कटौती
► एमएसएमई को तकनीक उन्नयन के लिए 1 करोड़ रुपये तक के
► वित्त पोषण पर मिलती है 15 फीसदी सब्सिडी
सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्यमियों यानी एमएसएमई को तकनीक उन्नयन के लिए मिलने वाली सरकारी मदद सुस्त पड़ती दिख रही है। एमएसएमई मंत्रालय क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी ऐंड टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन स्कीम के माध्यम से प्लांट और मशीनरी को अत्याधुनिक तकनीक से उन्नयन के लिए एक करोड़ रुपये तक के वित्त पोषण पर 15 फीसदी या अधिकतम 15 लाख रुपये की सब्सिडी प्रदान करता है। बीते दो—तीन साल से इस स्कीम के तहत एमएसएमई को सरकारी मदद में सुस्ती देखी जा रही है।
चालू वित्त वर्ष में बजट में आवंटित सब्सिडी राशि की तुलना में आधी से भी कम सब्सिडी उद्योगों को दी गई। आगामी वित्त वर्ष में सब्सिडी राशि का आवंटन और भी घटा दिया गया है जिससे एमएसएमई को तकनीक उन्नयन के लिए सरकारी मदद और कम मिलेगी।
एमएसएमई मंत्रालय से प्राप्त आंकडों के अनुसार वर्ष 2018—19 में 14,155 एमएसएमई को करीब 9,80 करोड रुपये की आर्थिक सहायता तकनीक उन्नयन के लिए मिली थी। वर्ष 2019—20 में यह मदद घटकर करीब 5,40 करोड रुपये रह गई और इस मदद से 7,779 एमएसएमई को ही फायदा मिला। मौजूदा वित्त वर्ष इस मदद के लिए 1,080 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे लेकिन ताजा आंकडों के अनुसार 4,38 करोड़ रुपये से 6,150 एमएसएमई को ही तकनीक उन्नयन के लिए मदद दी गई है। अगले वित्त वर्ष में एमएसएमई को तकनीक उन्नयन के लिए आर्थिक मदद और कम मिलने वाली है, क्योंकि इस मदद के लिए वित्त वर्ष 2021—22 में 315 करोड़ रुपये ही आवंटित किए गए हैं।
चैंबर आफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल ऐंड मीडियम इंटरप्राइजेज के अध्यक्ष मुकेश मोहन गुप्ता कहते हैं कि इस वित्त वर्ष सरकार ने तकनीक उन्नयन के लिए पैसा तो बीते वर्षों के मुकाबले सबसे ज्यादा आवंटित किया था, लेकिन आवेदन करने वालों को यह सब्सिडी नहीं दी जा रही है। अगले वित्त वर्ष के लिए तो आवंटन की एक तिहाई से कम भी कर दिया है। इससे जाहिर होता है कि सरकार एमएसएमई को तकनीक उन्नयन के लिए मदद करने में बेरूखी दिखा रही है, जबकि छोटे उदयोगों को बदलते तकनीक के दौर में अत्याधुनिक तकनीक अपनाने के लिए सरकारी मदद की दरकार है।