भारतीय रेलवे बंदरगाह संपर्क परियोजनाओं पर जोर आजमाइश कर रहा है। आधिकारिक अनुमानों के मुताबिक रेल नेटवर्क बड़े बंदरगाह यातायात का 25-27 फीसदी माल ढोता है। रेलवे का लक्ष्य इस हिस्सेदारी को बढ़ाकर 2026 तक 92.5 करोड़ टन के 32-35 फीसदी और 2030 तक 120 करोड़ टन के 40 से 45 फीसदी करना है।
रेलवे कांडला, मुंद्रा, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी), विशाखापत्तनम सहित विभिन्न बड़े बंदरगाहों को जोडऩे पर पूरा जोर लगा रहा है। कुल मिलाकर रेलवे 30 बंदरगाह संपर्क परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इन परियोजनाओं के तहत 43,682 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 4,145 किलोमीटर की लंबाई कवर की जाएगी। इनमें से अब तक आधे से कम शुरू किए जा चुके हैं।
रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘परिकल्पना 2024 के तहत परियोजनाएं इस कार्यक्रम के पहले चरण का हिस्सा हैं। दो समर्पित मालवहन गलियारों (डीएफसी) को 2026 से पहले शुरू किया जाएगा जिससे यातायात कुल माल हिस्सेदारी का 32 से 35 फीसदी पर पहुंच जाएगा जो फिलहाल 27 फीसदी पर है। दूसरे चरण में रेलवे का लक्ष्य 2030 से पहले तीन नए डीएफसी को विकसित करना है जिससे कुछ माल हिस्सेदारी में 45 फीसदी हासिल किया जा सके।’
भारत की तटरेखा 7,516.6 किलोमीटर लंबी है जिसके कारण यह दुनिया के सबसे बड़े प्रायदीपों में से एक है। इनके किनारे 14 बड़े बंदरगाह और 205 अधिसूचित छोटे और मध्यम आकार के बंदरगाह हैं। अधिकांश बंदरगाह महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक में हैं।
जहाजरानी मंत्रालय के मुताबिक भारतीय व्यापार का मात्रा के लिहाज से 95 फीसदी और मूल्य के लिहाज से 70 फीसदी व्यापार समुद्री मांर्गों से किया जाता है। भारतीय बंदरगाहों से 120 करोड़ टन यातायात का प्रबंधन किया जाता है जिसमें से करीब 70 करोड़ टन का प्रबंधन 14 बड़े बंदरगाहों से से होता है। बाकी 50 करोड़ टन का प्रबंधन छोटे बंदरगाहों से होता है।
रेल मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, ‘चूंकि सभी बंदरगाह यातायात का 60 फीसदी 14 बड़े बंदरगाहों पर केंद्रित है ऐसे में बंदरगाहों के भीतर और बाहर यातायात का निरंतर प्रवाह मुहैया कराने के लिए उपयुक्त मल्टीमोडल संपर्क की व्यवस्था होनी चाहिए। राष्ट्रीय रेल योजना के मुताबिक बड़े बंदरगाहों पर प्रबंधित किए जाने वाला यातायात मौजूदा 70 करोड़ टन से बढ़कर 2026 तक 92.5 करोड़ टन और 2030 तक बढ़कर 140 करोड़ टन पर पहुंचने के आसार हैं।’
मांग में परियोजना वृद्घि को पूरा करने के लिए भारतीय रेलवे ने कुछ कार्यों की प्रमुखता के आधार पर पहचान की है जिनको पूरा करने का लक्ष्य वर्ष 2024 रखा गया है। इनमें दोहरीकरण, तिहरीकरण और कुछ मामलों में चौथी लाइन को जोडऩा शामिल है।
अधिकारी ने कहा, ‘गुजरात के पश्चिमी बंदरगाहों और महाराष्ट्र में जेएनपीटी को उत्तर भारत के भीतरी क्षेत्र हरियाणा में रेवाड़ी से जोड़ा जाएगा और इसके साथ ही पंजाब में लुधियाना को फीडर मार्गों के साथ पश्चिमी डीएफसी से जोड़ा जाएगा। कोलकाता और हल्दिया बंदरगाहों का पूर्वी डीएफसी के साथ संपर्क पूर्वी गलियारे के सोननगर से दनकुनी खंड के जरिये स्थापित किया जाएगा।’
टेलीफोन उपकरणों पर बढ़ा आयात शुल्क वापस लेने की मांग
उद्योग निकाय ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (बीआईएफ) ने दूरसंचार विभाग और वित्त मंत्रालय से दूरसंचार कल पुर्जो और पीसीबीए पर हालिया बजट में आयात शुल्क में की गई वृद्धि को वापस लेने की मांग की है। बीआईएफ का कहना है कि इस पहल से दूरसंचार उत्पादों को बनाने की लागत बढ़ेगी और इससे पीएलआई योजना के तहत मिलने वाले लाभ निष्प्रभावी हो जाएंगे। बीआईएफ ने सरकार से उक्त शुल्कों को वापस लेने का आग्रह किया है और दूरसंचार कल पुर्जो पर शुल्क में छूट जारी रखने पर जोर दिया है। बीआईएफ के अध्यक्ष, टी वी रामचन्द्रन ने बताया, ‘वर्ष 2017 से विभिन्न मदों को कवर करते हुए सीमा शुल्क अधिसूचना के तहत कुछ छूट दी गई थी। लेकिन एक फरवरी को विभिन्न कलपुर्जों पर सीमा शुल्क संबंधी कुछ छूट वापस ले ली गई। इस वजह से, अनुमान लगाया गया है कि मेक-इन-इंडिया उत्पादों की लागत 5-6 प्रतिशत बढ़ जाएगी।’ भाषा