केंद्र सरकार द्वारा जारी टेंडर के तहत एक प्रेशर स्विंग ऐडसॉप्र्शन (पीएसए) इकाई लगाने के लिए सिर्फ 75 लाख रुपये और कुछ कर की लागत आएगी। सरकार द्वारा यह टेंडर टाटा एडवांस सिस्टम और ट्राइडेंट न्यूमेटिक्स को दिया गया है। इनमें से, 450 पीएसए तैयार करने का ऑर्डर टाटा समूह की कंपनी को मिला तो वहीं शेष इकाइयों का निर्माण ट्राइडेंट द्वारा किया जाएगा। सरकार ने कुल 500 पीएसए या ऑन-साइट ऑक्सीजन जनरेटर इकाइयां विकसित करने का ऑर्डर दिया था और अगले कुछ दिनों में और ऑर्डर दिए जाएंगे। हालांकि, इन इकाइयों को बनने में कम से कम तीन महीने लगेंगे, लेकिन इनमें से प्रत्येक की कीमत बहुत अधिक नहीं होगी। इसका मतलब यह है कि पीएसए का लाभ कोविड-19 की वर्तमान दूसरी लहर के दौरान उपलब्ध नहीं होगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 150 जिला अस्पतालों के लिए अक्टूबर 2020 में पीएसए इकाई बनाने के लिए निविदाएं मंगाई थी लेकिन इनमें से अधिकांश इकाइयां स्थापित नहीं की गई। वर्तमान निविदा के लिए तीन महीने की समय सीमा को बेंचमार्क के रूप में मानते हुए ये पीएसए अब परिचालन शुरू कर सकते थे क्योंकि निविदाओं को नवंबर में दिया गया था। ये निविदाएं 21 अक्टूबर 2020 को जारी की गई थी और बोलियां 11 नवंबर, 2020 को खोली गई थीं।
18 अप्रैल के स्वास्थ्य मंत्रालय के एक ट्वीट के अनुसार, केंद्र द्वारा 162 पीएसए संयंत्र स्वीकृत किए गए थे। एक अधिकारी ने स्वीकार किया कि ‘मंत्रालय ने टेंडर को अंतिम रूप देने में देरी की’ और सरकार एवं चिकित्सा समुदाय में से किसी ने भी कोविड-19 के मामलों में इस तरह की उछाल की आशंका नहीं जताई थी। पीएसए इकाइयां वायुमंडलीय वायु से ऑक्सीजन प्राप्त करती हैं जिसे शुद्ध किया जाता है और रोगियों को पाइप के जरिये आपूर्ति की जाती है। ऐसी ऑक्सीजन के लिए 99.5 प्रतिशत शुद्धता होना आवश्यक है। साधारण वायु में 21 प्रति ऑक्सीजन, 78 प्रतिशत नाइट्रोजन, 0.9 प्रतिशत आर्गन और 0.1 प्रतिशत अन्य गैसें होती हैं। एक ऑक्सीजन जनरेटर एक अनूठी प्रक्रिया के माध्यम से इस ऑक्सीजन को संपीडि़त हवा से अलग करता है जिसे प्रेशर स्विंग ऐडसॉप्र्शन (पीएसए) कहा जाता है। हालांकि ये इकाइयां अस्पताल परिसर के भीतर स्थापित की जाती हैं और परिवहन आवश्यकताओं पर ध्यान देने में मदद करती हैं। इसी सिद्धांत के आधार पर इन्हें घर में भी लगाया जा सकता है। हालांकि, सभी रोगियों के इलाज के लिए इसका उपयोग नहीं किया जा सकता और रोगी की स्थिति की गंभीरता के आधार पर ऑक्सीजन की जरूरत का ध्यान दिया जाता है।
लिंडे इंडिया एवं प्रैक्सेयर इंडिया प्रा. लिमिटेड ने ऑक्सीजन आपूर्ति की चुनौतियों को कम करने के लिए सहयोगी अस्पतालों में इकाई स्थापना का काम शुरू कर दिया है। दूसरी कंपनियों की तरह ही, उन्होंने हाल ही में जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेज, जूनागढ़ (गुजरात) में 20 किलो लीटर का टैंक और संजय गांधी स्नातकोत्तर संस्थान, लखनऊ में एक और 20 किलो लीटर का टैंक स्थापित किया है।