प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को पर्वतीय पर्यटन स्थलों और बाजारों में बढ़ती भीड़ को लेकर चिंता जताई जहां लोग बिना मास्क पहने नजर आ रहे हैं और एक-दूसरे से दूरी बनाए रखने के नियमों का भी उल्लंघन कर रहे हैं। पूर्वोत्तर के आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में मोदी ने कहा कि तीसरी लहर कब आएगी यह पूछने के बजाय देश को यह सवाल करने की जरूरत है कि महामारी की तीसरी लहर कैसे रोकी जा सकती है। इन राज्यों में संक्रमण ज्यादा देखा जा रहा है। मोदी ने कहा, ‘कोरोनावायरस की वजह से पर्यटन और कारोबार काफी प्रभावित हुआ है लेकिन हिल स्टेशनों में काफी भीड़ और बाजारों में बिना मास्क पहने लोगों का नजर आना ठीक नहीं है।’
उन्होंने कहा कि तीसरी लहर आने से पहले लोग आनंद लेना चाहते हैं लेकिन यह समझना जरूरी है कि तीसरी लहर खुद-ब-खुद नहीं आएगी बल्कि हमें यह पूछना होगा कि तीसरी लहर को आने से कैसे रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि संक्रमण के रोजाना के मामले में कमी आने का यह मतलब नहीं होना चाहिए कि हम लापरवाह हो जाएं और सभी तरह के एहतियात बरतना ही छोड़ दें।
प्रधानमंत्री मोदी 16 जुलाई को तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल जैसे राज्यों के मुख्यमंत्रियों से इन राज्यों में कोविड-19 की स्थिति के बारे में चर्चा करेंगे। प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए कहा कि ज्यादा भीड़ वाले इवेंट के आयोजन से बचना है। उन्होंने राज्यों को सामाजिक, शैक्षणिक संस्थानों, सेलेब्रिटी और धार्मिक संगठन के प्रमुखों की सूची तैयार कर उनसे उन क्षेत्रों में टीकाकरण अभियान को प्रोत्साहित करने में मदद मांगने का सुझाव दिया जहां वायरस का संक्रमण फैलने की आशंका है।
मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि पिछले एक-डेढ़ सालों में वायरस को नियंत्रित करने से जुड़े बेहतर कदमों और अनुभवों के आधार पर संक्रमण फैलने वाले क्षेत्रों में माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाया जाए। उन्होंने कहा, ‘हम सावधानी बरतेंगे तभी वायरस के प्रसार को रोक सकेंगे। विशेषज्ञ भी बार-बार यह चेतावनी दे रहे हैं कि आप लापरवाही न करें और भीड़ से बचें क्योंकि इससे संक्रमण और बढ़ेगा।’
प्रधानमंत्री ने आठ राज्यों असम, मणिपुर, नगालैंड, त्रिपुरा, सिक्किम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा की। मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए अस्थायी अस्पताल बनाने की जरूरत थी। उन्होंने कहा, ‘सामूहिक कोशिशों और नागरिकों के सहयोग से हम वायरस के प्रसार को सीमित कर सकते हैं।’
इस बैठक के दौरान मुख्यमंत्रियों के अलावा, केंद्रीय गृहमंत्री, रक्षा मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और अन्य मंत्री मौजूद थे।