facebookmetapixel
सावधान! AI कैमरे अब ट्रैफिक उल्लंघन पर रख रहे हैं नजर, कहीं आपका ई-चालान तो नहीं कटा? ऐसे देखें स्टेटसचीन ने बना लिया सोने का साम्राज्य, अब भारत को भी चाहिए अपनी गोल्ड पॉलिसी: SBI रिसर्चQ2 नतीजों के बाद Tata Group के इस शेयर पर ब्रोकरेज की नई रेटिंग, जानें कितना रखा टारगेट प्राइससोना हुआ सुस्त! दाम एक महीने के निचले स्तर पर, एक्सपर्ट बोले – अब बढ़त तभी जब बाजार में डर बढ़ेमॉर्गन स्टैनली का बड़ा दावा, सेंसेक्स जून 2026 तक 1 लाख तक पहुंच सकता है!SBI का शेयर जाएगा ₹1,150 तक! बढ़िया नतीजों के बाद ब्रोकरेज ने बनाया टॉप ‘BUY’ स्टॉकEPFO New Scheme: सरकार ने शुरू की नई PF स्कीम, इन कर्मचारियों को होगा फायदा; जानें पूरी प्रक्रियाNavratna Railway कंपनी फिर दे सकती है मोटा रिवॉर्ड! अगले हफ्ते डिविडेंड पर होगा बड़ा फैसलाक्रिस कैपिटल ने 2.2 अरब डॉलर जुटाए, बना अब तक का सबसे बड़ा इंडिया फोक्स्ड प्राइवेट इक्विटी फंडStock Market Holiday: गुरु नानक जयंती के मौके पर NSE-BSE में आज नहीं होगी ट्रेडिंग; देखें अगली छुट्टी कब है

मैन्युफैक्चरिंग PMI अक्टूबर में बढ़कर 59.2 पर, GST राहत और इनपुट लागत में कमी से मिली रफ्तार

S&P ग्लोबल के आंकड़ों के मुताबिक, मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) सितंबर के 57.7 से बढ़कर अक्टूबर में 59.2 पर पहुंच गया

Last Updated- November 03, 2025 | 11:32 AM IST
India's Manufacturing PMI
Representational Image

Manufacturing PMI: भारत की मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में अक्टूबर महीने में मजबूती दर्ज की गई है। S&P ग्लोबल के आंकड़ों के मुताबिक, मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) सितंबर के 57.7 से बढ़कर अक्टूबर में 59.2 पर पहुंच गया। यह उछाल घरेलू मांग में तेजी, GST राहत उपायों, प्रोडक्शन में सुधार और तकनीकी निवेश में बढ़ोतरी की वजह से आया है।

मजबूत मांग, कम इनपुट लागत ने दी रफ्तार

HSBC की मुख्य भारत अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा, “भारत का मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई अक्टूबर में 59.2 तक पहुंच गया है, जो सितंबर के 57.7 से ज्यादा है। मजबूत घरेलू मांग ने आउटपुट, नए ऑर्डर और जॉब जेनरेशन में तेजी लाई। वहीं, इनपुट लागत में गिरावट आई जबकि औसत बिक्री मूल्य में हल्की बढ़ोतरी हुई क्योंकि कुछ निर्माताओं ने लागत का बोझ उपभोक्ताओं पर डाला।”

नए ऑर्डर बढ़े, निर्यात धीमा

आंकड़ों के अनुसार, तीसरी तिमाही की शुरुआत में नए ऑर्डर में वृद्धि हुई, जिसे मजबूत मांग, बेहतर विज्ञापन और हालिया जीएसटी सुधारों ने समर्थन दिया। यह वृद्धि पिछले पांच वर्षों में सबसे तेज़ रफ्तार में से एक रही। हालांकि, विदेशी ऑर्डर में वृद्धि इस साल अब तक की सबसे कमजोर रही। 50 से ऊपर का आंकड़ा आर्थिक विस्तार को दर्शाता है, जबकि 50 से नीचे का स्तर सुस्त रफ्तार की ओर इशारा करता है।

जॉब जेनरेशन स्थिर रहा

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में जॉब जेनरेशन का सिलसिला अक्टूबर में लगातार 20वें महीने जारी रहा। हालांकि, हायरिंग की रफ्तार मध्यम रही और सितंबर जैसी ही बनी रही।

मैन्युफैक्चरर भविष्य को लेकर पॉजिटिव हैं। वे जीएसटी सुधारों, क्षमता विस्तार और बेहतर मार्केटिंग प्रयासों को अपनी उम्मीदों का आधार मान रहे हैं। कंपनियों को उम्मीद है कि मांग मजबूत बनी रहेगी और लंबित कॉन्ट्रैक्ट्स जल्द निपटाए जाएंगे।

First Published - November 3, 2025 | 11:32 AM IST

संबंधित पोस्ट