पूरी दुनिया में आज अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस (International equal pay day) मनाया जा रहा है। 2020 के बाद से यह प्रत्येक वर्ष 18 सितंबर को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य समाज के सभी वर्गो के लिए समान वेतन तथा लोगों को इसके प्रति जागरूक करना है। दुनिया के अधिकतर देशों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को कम वेतन मिलता है। अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस मनाने का उद्देश्य इसे खत्म करना है।
क्या है अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 नवंबर 2019 को पहली बार 18 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस मनाने की घोषणा की थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र के दौरान यह फैसला लिया गया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में यह प्रस्ताव 105 सदस्य देशों द्वारा सह-प्रायोजित था। उसके बाद सदस्य देशों की सर्वसम्मति के बाद इसे मनाने का यह फैसला लिया गया। उसके बाद से यह हर साल 18 सितंबर को मनाया जाने लगा।
पुरुषों और महिलाओं के वेतन में भारी अंतर
पूरी दुनिया में पुरुषों और महिलाओं के वेतन में भारी अंतर देखने को मिलता है। आज भी कामकाजी महिलाएं अत्यंत लैगिंक भेदभाव का शिकार है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक आज भी पुरुषों और महिलाओं के बीच भेदभाव को पूरी तरह खत्म करने में 257 साल लग सकते हैं। विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने कहा था कि महिलाओं को पुरुषों के बराबर भुगतान मिलने में अभी भी 100 साल लगेंगे।
अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस का महत्व
दुनिया के अधिकतर देश अभी भी पुरुष प्रधान है जहां महिलाओं को वो अधिकार प्राप्त नहीं है जो एक पुरुषों को प्राप्त है। समाज में हमेशा महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कमतर आंका गया है। जबकि आज के समय में महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों न सिर्फ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है बल्कि आगे भी है। इन्हीं बातों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने हर साल 18 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस मनाने का फैसला लिया ताकि समाज में व्याप्त लैंगिक अंतर कम हो सके और लोगों के अंदर इसके प्रति जागरूकता बढ़े।