प्रत्येक देश में कोविड के 100 पुष्ट मामलों के बाद के 36 सप्ताह में इस महामारी से निपटने में प्र्रदर्शन के लिहाज से भारत को 98 देशों में 86वां स्थान मिला है। यह अध्ययन ऑस्ट्रेलिया के लोवी इंस्टीट््यूट ने किया है। इस अध्ययन में महामारी से निपटने में देशों के प्रदर्शन की तुलना छह मापदंडों पर की गई है, जिनमें पुष्ट मामले, मौत, प्रति 10 लाख लोगों में मामले एवं मौत, जांच के अनुपात में पुष्ट मामले और प्रति हजार जांच शामिल हैं। इस अध्ययन में शामिल देशों में न्यूजीलैंड का सबसे अधिक औसत स्कोर रहा है, जबकि अमेरिका सबसे नीचे के पांच देशों में शामिल है।
इसमें कहा गया है कि एक समय ज्यादातर यूरोपीय देश एशिया-प्रशांत के देशों के औसत प्रदर्शन से आगे थे। लेकिन वे वर्ष 2020 के आखिरी महीनों में महामारी की दूसरी और ज्यादा तगड़ी लहर के कारण नीचे आ गए। इस विश्लेषण में यह भी कहा गया है कि जब पहली बार वायरस उभरा तो इसने जल्द ही धनी देशों को अपने आगोश में ले लिया। लेकिन इस वैश्विक संकट के पैमाने और गंभीरता का पता चलने के बाद विकासशील देशों की बहुत सी सरकारों के पास रोकथाम के उपाय लागू करने का ज्यादा समय था। लोवी इंस्टीट््यूट ने कहा कि अब तक वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए बड़े पैमाने पर लॉकडाउन समेत तुलनात्मक रूप से कम तकनीक वाले स्वास्थ्य उपाय अपनाए गए हैं। शायद इनसे ही विकसित और विकासशील देशों के बीच कोविड-19 के प्रबंधन में बराबरी की स्थिति पैदा हुई है।
इस ऑस्ट्रेलियाई थिंक टैंक ने यह भी चेताया है कि कोविड-19 से निपटने के लिए पहले टीकों का वितरण असमान है। इससे धनी देशों को संकट से उबरने के प्रयासों में बढ़त मिल सकती है और गरीब देशों को महामारी से लंबे समय तक लडऩा पड़ सकता है। एक करोड़ से कम आबादी वाले छोटे देशों ने पूरे वर्ष 2020 में बड़े देशों के मुकाबले लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है। हालांकि यह बढ़त अध्ययन की अवधि के आखिरी समय में थोड़ी कम हो गई।