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कोविड-19 डेटा पर हैकर्स की नजर

Last Updated- December 12, 2022 | 7:46 AM IST

रूस, चीन, कोरिया और पश्चिमी एशिया के साइबर अपराधियों ने कोविड-19 से संबंधित डेटा चुराने के लिए भारत में फार्मास्यूटिकल कंपनियों, अस्पतालों और सरकारी स्वास्थ्य विभागों को निशाना बनाया है। खतरे की खोज और साइबर इंटेलिजेंट कंपनी सिंगापुर स्थित साइफर्मा ने कहा कि रूस के सात समूहों, चीन के चार समूहों और ईरान के एक समूह द्वारा हैकिंग की सक्रिय 15 मुहिम चलाई जा रही है।
भारत के अलावा ये समूह अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, इटली, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, स्पेन, ब्राजील और मैक्सिको जैसे देशों को अपना निशाना बना रहे हैं।
कैलेंडर वर्ष 2020 से कंपनियों के खिलाफ साइबर हमलों में सामान्य रूप से इजाफा हुआ है, क्योंकि कार्य की प्रकृति में परिवर्तन (घर से काम करने से) कंपनियों की सुरक्षा प्रणालियों की कमजोरियों में वृद्धि हुई है। साइफर्मा के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी कुमार रितेश ने कहा कि पिछले छह महीनों में हमने स्वास्थ्य देखभाल खंड की ओर काफी ध्यान दिया जाता देखा है। हालांकि अब हमें सरकार द्वारा प्रायोजित हैकिंग समूहों की स्पष्ट प्रवृत्ति नजर आ रही है, जो अस्पतालों, आपूर्ति शृंखलाओं और फार्मा कंपनियों को क्लीनिकल परीक्षणों और कोविड-19 से संबंधित किसी भी तरह का डेटा चुराने के लिए निशाना बना रहे हैं। हैकिंग करने वाले कुछ समूहों में रूस का एपीटी29 भी शामिल है। उनके द्वारा चलाई जा रही एक मुहिम को कोल्ड अनसेको33 कहा जाता है, जो अक्टूबर 2020 से सक्रिय है और कोविड-19 पर काम करने वाले अस्पतालों, वैश्विक फार्मा कंपनियों तथा अमेरिका, ब्रिटेन, भारत, जापान, कोरिया, स्पेन और ब्राजील में अनुमति प्रदान करने वाले विभागों को निशाना बना रहा है।
रितेश ने कहा कि इसके पीछे अभिप्राय निजी संवेदनशील और क्लीनिकल ​​परीक्षण की जानकारी, स्वास्थ्य देखभाल की रिपोर्ट, ग्राहकों की जानकारी, भू-राजनीतिक और आर्थिक लाभ के लिए चिकित्सा उत्पाद की जानकारी चुराना और प्रतिष्ठा को क्षति पहुंचाना है। ध्यान देने वाली दिलचस्प बात है यह है कि हम देख रहे हैं कि निशाना बनाए जाने वाले नामों की चर्चा डार्क वेब पर खुले तौर पर की जा रही है।
जो कुछ फार्मा कंपनियां और अस्पताल निशाना बनाए जाने वाली सूची में हैं, उनमें शामिल हैं डिवीज लैब्स, सनोफी, डॉ. रेड्डीज लैब्स, ऐबट इंडिया, टॉरंट फार्मा, ऑल इंडिया मेडिकल साइंसेज आदि। जून 2020 से सक्रिय रहने वाला चीनी हैकिंग समूह एपीटी10 हाल के कुछ समय से बहुत ज्यादा सक्रिय हो चुका है। रितेश ने कहा कि हम जो प्रवृत्ति देख रहे हैं, वह यह है कि पहले हैकिंग आर्थिक लाभ के लिए थी, हालांकि ऐसा अब भी है, लेकिन कुछ इरादा टीका विनिर्माण और वितरण में भारत के प्रयासों को नुकसान पहुंचाने का है। चीनी हैकिंग समूह वैश्विक स्तर पर भारतीय फार्मा कंपनियों की प्रतिष्ठा और दुनिया को टीका प्रदाता के रूप में भारत ने जो वैश्विक समर्थन प्राप्त किया है, उसे  कलंकित करने में ज्यादा ही जुटे हुए हैं।
डॉ. रेड्डीज लैब्स और ल्यूपिन जैसी भारतीय फार्मा कंपनियों ने पिछले साल साइबर हमलों की घटनाओं के बारे में सूचित किया था, बल्कि डॉ. रेड्डीज लैब्स को साइबर हमलों के निशाने पर आने के बाद अपने डेटा केंद्रों को अलग करना पड़ा था।
साइफर्मा कंपनियों को सलाह दे रही है कि खतरे का परिदृश्य बदलने की वजह से कंपनियों को अपनी सुरक्षा प्रणालियों का आकलन करने की जरूरत है। रितेश ने कहा कि मैं कंपनियों को यह सुझाव दूंगा कि वे पीछे जाएं और हमले के प्लेटफॉर्मों को देखें तथा यह आकलन करें कि वे कितनी असुरक्षित हैं। दूसरी बात यह कि वे अपनी प्रणाली में साइबर इंटेलिजेंस सुरक्षा अंत:स्थापित करें और अपने निगरानी उपायों को बढ़ाएं तथा सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि सभी क्लीनिकल ​​परीक्षणों और टीका संबंधी दस्तावेजों को एन्क्रिप्टेड किया जाना चाहिए।

First Published - February 26, 2021 | 11:12 PM IST

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