facebookmetapixel
व्यापार घाटा घटने से भी रुपये को नहीं मिला सहारा, डॉलर के मुकाबले 90.87 के रिकॉर्ड निचले स्तर परइंडसइंड बैंक में 9.5% तक हिस्सेदारी खरीदेगा HDFC Bank, रिजर्व बैंक से मिली मंजूरीICICI Pru AMC IPO: अप्लाई करने का आखिरी मौका, अब तक कितना हुआ सब्सक्राइब; GMP क्या दे रहा इशारा ?क्या ₹3 लाख प्रति किलो पहुंचेगी चांदी? एक्सपर्ट्स ने बताया- निवेशकों को क्या सावधानी बरतनी चाहिएGold silver price today: सोने-चांदी की कीमतों में गिरावट, MCX पर देखें आज का भावडॉनल्ड ट्रंप ने BBC पर 40,000 करोड़ रुपये का मानहानि मुकदमा दायर कियाबायोकॉन ने नीदरलैंड में उतारी मोटोपे और डायबिटीज के इलाज की दवाजियोस्टार को मिला नया सीएफओ, जानिए कौन हैं जीआर अरुण कुमारकाम के बाद भी काम? ‘राइट टू डिसकनेक्ट बिल’ ने छेड़ी नई बहसलिशस ने रचा इतिहास, पहली बार 100 करोड़ रुपये का मासिक कारोबार

रेलवे बोर्ड में बदलाव को हरी झंडी

Last Updated- December 15, 2022 | 2:34 AM IST

सरकार द्वारा पुनर्गठन को मंजूरी देने के बाद रेलवे बोड को पहला सीईओ मिल गया है। चेयरमैन विनोद कुमार यादव को पद के साथ अतिरिक्त जिम्मेदारियां दी गई हैं।

कॉर्पोरेटीकरण की योजना केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 2019 में स्वीकृत योजना का हिस्सा है, जिसमें 115 साल पुराने बोर्ड को छोटा कर उसकी ताकत 8 से घटाकर 5 करना शामिल था।

पुनर्गठन के बाद अब विनोद कुमार यादव को बोर्ड का चेयरमैन और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) बनाया गया है। इसके साथ ही सीईओ प्रदीप कुमार को सदस्य, बुनियादी ढांचा, पीसी शर्मा को सदस्य, ट्रैक् शन और रोलिंग स्टॉक, पीएस मिश्रा को सदस्य, ऑपरेशन और बिजनेस डेवलपमेंट और मंजुला रंगराजन को सदस्य, वित्त बनाया गया है।  नियुक्तियों को कैबिनेट की नियुक्त समिति (एसीसी) ने हरी झंडी दी थी। इसके पहले रेलवे की सेवाएं विभिन्न विभागों जैसे ट्रैफिक, सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, सिगनल और टेलीकॉम, स्टोर, पर्सनल और अकाउंट द्वारा संचालित होती थीं। यह विभाग ऊपर से नीचे तक अलग अलग होते थे और इनके प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी होते थे, जिन्हें रेलवे बोर्ड का सदस्य कहा जाता था।

पिछले 25 साल के दौरान प्रकाश टंडल समिति (1994), राकेश मोहन समिति (2001), सैम पित्रोदा समिति (2012) और विवेक देवरॉय समिति (2015) ने इन सुधारों की सिफारिश की थी।

मौजूदा पुनर्गठन शून्य लागत की कवायद है और बोर्ड में पद कम होने व काम का दोहराव रोकने से पैसे भी बचेंगे। रेलवे बोर्ड ने मौजूदा समूह ए की सेवाोंं के एकीकरण का भी फैसला किया है, इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विसेज (आईआरएमएस) के तहत केंद्रीय सेवा होगी। उम्मीद है कि निम्न स्तर पर, तकनीकी कर्मचारी विभ्नि तरह के काम करेंगे, जिन्हें कौशल व सेवाओं में सुधार के आधार पर पदोन्नत किया जा सकता है।

सरकार ने अगले 12 साल में रेलवे के आधुनिकीकरण पर 50 लाख करोड़ रुपये खर्च कर बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के विकास की योजना बनाई है। इसमें सुरक्षा, रफ्तार व सेवाओं में सुधार शाीमिल है। इसके लिए विभिन्न विभागों द्वारा त्वरित फैसले की जरूरत होगी। रेलवे में विभागीकरण की वजह से कार्य में अकुशलता होती थी और काम पर नियंत्रण को लेकर विवाद होते थे। सरकार के मुताबिक इससे फैसले करने में देरी होती थी।

कामकाज में आसानी हेतु बनेगा कार्यदल

रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कोविड-19 महामारी के कारण यात्री सेवा खंड में भारी नुकसान के बीच, माल ढुलाई के जरिए आय बढ़ाने के लिए लॉजिस्टिक्स क्षेत्र की प्रमुख हस्तियों से मुलाकात की। बैठक के दौरान लॉजिस्टिक्स और कूरियर कंपनियों को भरोसा दिया गया कि रेलवे पार्सल सेवाओं को संभालने के लिए विश्वसनीय, तेज, सस्ती और सुविधाजनक सेवाएं मुहैया कराएगा। कारोबारी सुगमता के लिए सर्वोत्तम दिशानिर्देश तैयार करने के लिए एक संयुक्त कार्यबल का गठन किया जाएगा। भाषा

First Published - September 4, 2020 | 12:32 AM IST

संबंधित पोस्ट