केंद्र सरकार ने कहा है कि वह मोबाइल वर्चुअल नेटवर्क आपरेटर्स (एमवीएनओ) के संचालन के लिए तैयार है।
एमवीएनओ एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें कंपनियां, मोबाइल ऑपरेटरों से एयरटाइम लेती हैं और उसे अपने ब्रांड के नाम से बेचती हैं। संचार सचिव सिध्दार्थ बेहूरा ने एमटीएनएल की प्रेसवार्ता में कहा कि निश्चित रूप से हम एमवीएनओ को शुरू करेंगे। इस क्षेत्र में संभावनाएं हैं।
बेहूरा का वक्तव्य इसलिए और महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि टाटा और वर्जिन समूह के संयुक्त उद्यम से देश में आए वर्जिन मोबाइल सेवा को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है।
सेलुलर आपरेटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सीओएआई) जो जीएसएम मोबाइल आपरेटरों की लॉबी है, ने बेहूरा को पत्र लिखा था। पत्र में इस बात का जिक्र है कि पिछले दरवाजे से इस तरह से प्रवेश के मामलों पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
फ्रेंचाइजिंग ब्रांड समझौता बताते हुए टाटा ने इन आरोपों को एक सिरे से खारिज कर दिया था।
बेहूरा ने कहा कि सरकार पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है। उन्होंने इस अफवाह को खारिज कर दिया कि संचार विभाग में पकड़ के चलते इस समझौते को मंजूरी मिल गई है।
बेहूरा ने कहा कि हमने उनसे इस डील का विस्तृत स्पष्टीकरण मांगा है। हम उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं। अगर वे लाइसेंस पाने की किसी शर्त का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं तो समझौता कर सकते हैं।
बेहूरा ने कहा कि दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के नियमों के दायरे में पूरा मामला आता है। संचार विभाग भी उसी के मुताबिक कदम उठाएगा।
अगस्त 2007 में ट्राई ने विलय और अधिग्रहण को स्वीकृति दी थी। इसमें 10 प्रतिशत हिस्सेदारी को स्वत: स्वीकृति है जबकि 20 प्रतिशत से अधिक होने पर इसे कॉस्ट-टू-कॉस्ट आधार पर अनुमति मिलती है।
3-जी स्पेक्ट्रम केआबंटन के सिलसिले में बेहूरा ने कहा कि स्पेक्ट्रम की उपलब्धता के बारे में अध्ययन चल रहा है।