भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने स्मार्ट शहरों के लिए मानकीकृत सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) सॉल्युशनों की जरूरत पर जोर दिया है।
नियामक का मानना है कि एक समान समाधान के अभाव से भविष्य में प्रॉप्राइटरी समस्याओं को बढ़ावा मिल सकता है और शहरी बुनियादी ढांचे में सहज डिजिटल क्रांति के लिए समन्वय और समेकन की रफ्तार प्रभावित हो सकती है। ट्राई के सचिव एस के गुप्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अपने श्वेत पत्र के जरिये हम शहरी बुनियादी ढांचे डेवलपरों को इसे लेकर सतर्क करने की कोशिश कर रहे हैं कि नियोजन के अभाव से भविष्य में चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। यदि हम भविष्य में स्मार्ट शहरों को समेकित करना चाहेंगे तो हमें प्रौद्योगिकी के लिए मानकीकृत दृष्टिकोण अपना होगा।’ नियामक ने कहा है कि गैर-मानकीकृत प्रॉप्राइटरी डिवाइस और सॉल्युशन बाजार में किसी नियमन या मानक के बगैर आए हैं।
शहरों में तेजी से बढ़ रही आबादी के प्रबंधन के प्रयास में, यह जरूरी है कि शहरों में बुनियादी ढांचे लंबे समय तक टिकाऊ बनाए जाने के लिए आईसीटी के इस्तेमाल के जरिये उन्नत और प्रबंधित हो। ट्राई के चेयरमैन आर एस शर्मा ने कहा कि यह इस श्वेत पत्र का सार है। नियामक का मानना है, ‘स्मार्ट सिटी का मकसद लोगों की जिंदगी की गुणवत्ता बढ़ाना और साझा बुनियादी ढांचा स्थापित कर और डिजिटल बुनियादी ढांचे के जरिये स्मार्ट सॉल्युशनों का इस्तेमाल कर स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल परिवेश मुहैया कराना है।’ सरकार की कुशलता में सुधार लाने, सेवाओं तक डिजिटली तोर पर लोगों की पहुंच के लिए सरकारी कार्यालयों के बीच सुरक्षित और भरोसेमंद कनेक्टिविटी के साथ मानकीकृत डिजिटल बुनियादी ढांचे का विकास जरूरी है। स्मार्ट बुनियादी ढांचे के लिए स्टैंडर्ड रिफरेंस संरचना से ‘स्मार्ट, सस्टेनेबल और सिक्योर सिटीज’ के उचित इस्तेमाल और बचत को बढ़ावा मिलेगा।