सरकार हाल ही में प्रवासी श्रमिकों के लिए शुरू की गई ग्रामीण रोजगार योजना के विस्तार को लेकर अनिच्छुक नहीं है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस सूची में विस्तार करने की जरूरत को लेकर गहन मूल्यांकन किया गया है ताकि पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के जिलों को इस सूची में स्थान नहीं मिलने से उपजे विवाद को समाप्त किया जा सके।
उन्होंने कहा कि कुछ हफ्तों बाद योजना का मूल्यांकन किया जा सकता है जिसके बाद राज्यों से मांग के आधार पर इसमें नए जिलों को शामिल करने पर निर्णय लिया जाएगा।
बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा और झारखंड कुल छह राज्यों के 116 जिलों में 25 क्षेत्रों में 125 दिनों का रोजगार देने के लिए शनिवार को गरीब कल्याण रोजगार अभियान का शुभारंभ किया गया था।
इस योजना के लिए उन जिलों का चुनाव किया गया था जहां मार्च के अंत में केंद्र सरकार की ओर देशव्यापी लॉकडाउन किए जाने के बाद 25,000 से अधिक प्रवासी श्रमिक अपने घरों को लौटे हैं।
वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इसमें जिलों को शामिल करने के लिए कट ऑफ के निर्धारण के लिए 1 जून से पहले राज्यों की ओर से मुहैया कराए गए आंकड़ों को आधार बनाया गया था।
एक अधिकारी ने कहा, ‘किसी जिले में यदि वापस लौटे श्रमिकों की संख्या 1 जून के बाद 25,000 से अधिक हो जाती है तो हम उसे भी पीएम गरीब कल्याण रोजगार योजना के तहत शामिल करने पर विचार करेंगे।’
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में अम्फन तूफान के कारण कुछ समय के लिए विशेष ट्रेनों का परिचालन नहीं किया जा सका था। इसी कारण से उनकी वापसी में देरी हुई होगी। यही कारण है राज्य के जिले योजना की पहली सूची में अपना स्थान नहीं बना पाए। यही बात छत्तीसगढ़ जैसे कुछ अन्य राज्यों के साथ भी हो सकती है।
इसका मतलब यह नहीं है कि और भी जिलों में यदि प्रवासी श्रमिकों की संख्या 25,000 से अधिक हो जाती है तो उन्हें इस योजना में शामिल करने पर विचार नहीं किया जाएगा।
अधिकारी ने कहा, ‘सच्चाई है कि हम 30 जून के बाद जमीनी स्तर पर बदली परिस्थिति का मूल्यांकन कर इस बारे में फिर से विचार करेंगे कि क्या गरीब कल्याण रोजगार योजना के तहत शामिल जिलों की संख्या बढ़ाई जा सकती है।’
बिहार में कुल 38 जिले हैं। इनमें से 32 जिलों को इस योजना में शामिल किया गया है। राज्य में इसी वर्ष विधान सभा का चुनाव है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते बिहार के खगडिय़ा जिले से इस योजना की शुरुआत की थी।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक करीब 70,000 प्रवासी श्रमिक जिले में लौटे हैं। राज्य में और भी जिले हैं जहां इससे भी अधिक संख्या में श्रमिक लौटे हैं जैसे कि पूर्वी चंपारण में 1,53,022 श्रमिकों ने वापसी की है जो खगडिय़ा के मुकाबले दोगुने से भी अधिक है।
