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दाम गिरने के बावजूद गैस आधारित बिजली उत्पादन कम

Last Updated- December 14, 2022 | 10:12 PM IST

ब्रिटिश पेट्रोलियम के बर्नार्ड लूनी ने प्राकृतिक गैस पर कर व्यवस्था में बदलाव की वकालत ऐसे समय में की है, जब वैश्विक दाम कम होने के बावजूद भारत गैस आधारित अर्थव्यवस्था में बदलने में सक्षम नहीं हो पा रहा है।
भारत ने ऊर्जा बास्केट में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी 2030 तक बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है, जो अभी 6.72 प्रतिशत है। लेकिन अलग अलग राज्यों में अलग और ज्यादा करके साथ इनपुट क्रेडिट न होना इसकी राह में व्यवधान बना हुआ है।   प्राकृतिक गैस पर जोर देना पर्यावरण से जुड़ा हुआ है क्योंकि कोयला आधारित बिजली उत्पादन से ज्यादा प्रदूषण होता है। ऐसे में भारत गैस से बिजली उत्पादन और पनबिजली पर ज्यादा जोर दे रहा है। एसोसिएशन आफ पावर प्रोड्यूसर्स के मुताबिक देश में स्थापित गैस आधारित बिजली संयंत्रों की क्षमता  24 गीगावॉट है, जिसमें से 8.5 गीगावॉट क्षमता के संयंत्र घरेलू गैस आपूर्ति न होने की वजह से बेकार पड़े हैं और शेष क्षमता भी दबाव में है क्योंकि इनमें से ज्यादातर संयंत्र क्षमता के मुताबिक नहीं चल रहे हैं। बिजली की मांग स्थिर हो गई है और अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल अधिक हो रहा है, ऐसे में कोयला आधारित बिजली उत्पादन संयंत्रों का प्लांट लोड फैक्टर (पीएलएफ) भी कम है। उद्योग के एक  जानकार ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, ‘लेकिन कोयला आधारित बिजली संयंत्रों की पूंजी लागत की तुलना में शुल्क की स्थिर दरें गैस इकाइयों की तुलना में ज्यादा है, ऐसे में वितरण कंपनियों को उस स्थिति में भी बिजली के दाम का भुगतान करना पड़ता है, जब वे इस्तेमाल न कर रही हों।’
गैस आधारित बिजली उत्पादन में निवेश रुक गया है क्योंकि इससे बिजली उत्पादन पहले महंगा था। उद्योग के दिग्गजों का कहना है कि गैस की लागत की वजह से नहीं बल्कि कराधान की वजह से प्राकृतिक गैस खर्चीली है, चाहे घरेलू गैस का इस्तेमाल किया जाए तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के रूप में इसका आयात किया जाए।
इस समय प्राकृतिक गैस पर विभिन्न राज्यों में 3 प्रतिशत से लेकर 25 प्रतिशत तक मूल्यवर्धित कर (वैट) लगता है। इसके प्रतिस्पर्धी ईंधन कोयले पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगता है।
इस समय एलएनजी का आयात मूल्य 3.25 मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमबीटीयू) है और 14.5 प्रतिशत वैट लगने के बाद इसकी कीमत 4.94 डॉलर और 24.5 प्रतिशत वैट लगने के बाद 5.27 डॉलर हो जाती है।
केंद्र सरकार को हाल मेंं लिखे पत्र में अशोक खुराना ने कहा, ‘अगर प्राकृतिक गैस को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है और वैट के दायरे से बाहर किया जाता है तो आंध्र प्रदेश में स्थित बिजली संयंत्रों, जो आरआईएल की गहरे पानी की गैस का इस्तेमाल करते हैं, के लिए गैस की कीमत 16 प्रतिशत कम हो जाएगी और बिजली का शुल्क 10 से 12 प्रतिशत कम हो जाएगा।’  
अशोक खुराना ने कहा कि गैस के वैश्विक दाम कम होने के बावजूद एलएनजी टर्मिनल का इस्तेमाल कम है। आईडीएफसी सिक्योरिटीज के मुताबिक महाराष्ट्र के दाभोल और केरल के कोच्चि टर्मिनल 5 साल से ज्यादा समय  से चल रहे हैं लेकिन क्षमता के अधिकतम इस्तेमाल के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

First Published - October 27, 2020 | 12:52 AM IST

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