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विशिष्टता न होने से निजी रेल ऑपरेटरों को चुनौतियां संभव

Last Updated- December 14, 2022 | 10:31 PM IST

निजी रेलगाडिय़ों के लिए रेलवे कॉन्ट्रैक्ट  में गैर प्रतिस्पर्धी प्रावधान न होने की वजह से निवेशकों के नकदी प्रवाह का जोखिम बढ़ सकता है। भारतीय रेल ने 2023 तक 109 मार्गों पर 151 प्राइवेट ट्रेन चलाने की योजना बनाई है।
इंडिया रेटिंग ऐंड रिसर्च ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘अन्य क्षेत्रों में भी जहां मांग का जोखिम होता है, प्रतिस्पर्धा की वजह से इस मॉडल में जोखिम बढ़ता है। रेलवे को उम्मीद है कि इन ट्रेनों में 30,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। अन्य क्षेत्रों में कुछ विशिष्ट प्रावधान होते हैं, जो प्रतिस्पर्धा को रोकते हैं। इस तरह के प्रावधान न होने के कारण राजस्व को लेकर अनिश्चितता बहुत ज्यादा रहेगी।’
मौजूदा मॉडल में ट्रेन शुरू होने के स्थान पर 30 मिनट की विशिष्टता होगी, जिसका मजलब यह है कि ट्रेन के परिचालन में इतना अंतर होगा। इसमें कहा गया है, ‘हालांकि समयबद्धता का पालन, जैसे समय पर पहुंचने पर जोर और प्रदर्शन संकेतक कंसेसन ढांचे को बेहतर बनाते हैं।’
इंडिया रेटिंग के मुताबिक पहले के सार्वजनिक निजी हिस्सेदारी मॉडल से सीख लेते हुए सरकार ने नए कंसेसन ढांचे को आकार दिया है, जो निजी रेलवे ट्रेन ऑपरेटरों को चुनना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि राजस्व में बंदरगाहों या हवाईअड्डोंं की तरह साझेदारी का कंसेसन मॉडल अपनाया गया है, जहां मिला जुला अनुभव रहा है। ऑपरेटरों को ट्रैक के रखरखाव, सिगनलिंग, टर्मिनल लागत व अन्य खर्च का भुगतान 16 कोच के ट्रेन के लिए प्रति किलोमीटर के हिसाब से करना होगा।  इसमें कहा गया है, ‘एयरपोर्ट मॉडल में रिटर्न की गारंटी है, जिसमें डेलवपरोंं का वित्तीय जोखिम कम हो जाता है। बंदरगाहों और टर्मिनल पर कार्गो संबंधी जोखिम कंसेसन का अलग प्रारूप है। रेलवे कंसेसन ढांचे में न सिर्फ कंसेसन की 35 साल की लंबी अवधि है, बल्कि मांग का जोखिम भी है।’

First Published - October 17, 2020 | 12:18 AM IST

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