किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुनिश्चित करने के कार्यकारी आदेश के लिए केंद्र सरकार कैबिनेट से मंजूरी की मांग कर सकती है, जिससे 3 कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध खत्म किया जा सके। इसके अलावा नियमन के दायरे में आने वाली एपीएमसी और मंडी के बाहर अनाज की खरीद पर कर और उपकर एक समान करने के लिए नियमों में बदलाव पर भी विचार किया जा सकता है, जैसा कि विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ समझौते के फार्मूले में पेशकश की गई थी। वरिष्ठ सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
सूत्रों ने कहा कि मंडी के बाहर सभी लेन-देन के लिए पंजीकरण की इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था की जा सकती है, जिसके आधार पर इस तरह की खरीद फरोख्त की कुल मात्रा पर करीब एक प्रतिशत का मामूली शुल्क लगाया जा सकता है। इस शुल्क को ‘कारोबार सुविधा शुल्क’ या कुछ और कहा जा सकता है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘इसे किस तरीके से लगाया जा सकता है और क्या राज्य सरकारों को मंदी कर नीचे लाने की जरूरत है, इस ब्योरे पर भी काम किया जाएगा, जब इसे संसद की मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा।’
एमएसपी के बारे में अधिकारी ने कहा कि एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए कैबिनेट की मंजूरी अन्य सभी कैबिनेट के फैसलों की तर्ज पर होगा, जिसमें कुछ योजनाएं व कार्यक्रम शामिल होते हैं, जिनके लिए सिर्फ केंद्री मंत्रिमंडल से औपचारिक मंजूरी लेने की जरूरत होती है और उसे केंद्र की नीतियों के तहत बनाया जाता है।
केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए समझौता फॉर्मूले में एमएसपी के आश्वासन के साथ तमाम अन्य बदलाव की पेशकश की गई है, जिसे पहले ही कृषि अधिनियम में पारित कर दिया गया है।
इनमें राज्यों को नए कारोबारियों के पंजीकरण के नियम बनाने का अधिकार दिया जाना शामिल है, जो एपीएमसी के बाहर खरीद करेंगे और उन्हें सिर्फ पैन कार्ड के आधार पर खरीद की अनुमति नहीं होगी, जैसा कि व्यापार अधिनियम के मौजूदा प्रारूप में प्रावधान है। इसके अलावा राज्यों को मौजूदा एपीएमसी की तर्ज पर निजी मंडियों पर शुल्क या कर लगाने का अधिकार दिया जाना शामिल है। विवाद समाधान व्यवस्था पर प्रस्तावित बदलाव में किसानों को किसी भी दीवानी न्यायालय में अपील करने का अधिकार दिया जाना शामिल है, अगर वे सब डिविजनल मजिस्ट्रेट के फैसले से संतुष्ट नहीं होते हैं।
बहरहाल कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि सरकार बातचीत की अगली तिथि तय करने के लिए लगातार किसानों के संपर्क में है। तोमर ने कहा, ‘निश्चित रूप से बैठक होगी। हम किसानों के साथ लगातार संपर्क में हैं।’
आज सुबह उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह और सरकार के अन्य वरिष्ठ लोगों से मुलाकात कर खेती, अधिनियम और किसानों के विरोध सहित विभिन्न मसलों पर चर्चा की। तोमर ने हरियाणा व कुछ अन्य राज्यों के किसानों के प्रतिनिधिमंडल से भी मुलाकात की, जिन्होंने बदलाव के बाद विधेयक का समर्थन करने की बात कही। बहरहाल तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने दिल्ली सीमा पर एक दिन की भूख हड़ताल की। हर विरोध प्रदर्शन देश के कई इलाकों में फैल गया है और किसान संगठन कई जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
बहरहाल विरोध प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे सबसे बड़े किसान समूह भाकियू (एकता-उग्रहन)ने भूख हड़ताल में हिस्सा नहीं लिया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी लोगों से किसानों के समर्थन में व्रत रहने कीअपील की और कहा कि आखिर में किसानों की जीत होगी।
उधर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पंजाब से आए भाजपा के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की और किसानों के मसले पर उनकी राय ली।