पिछले काफी दिनों से फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत और महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टी शिवसेना की बीच चल रही तनातनी बुधवार को चरम पर पहुंच गई। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) ने अवैध निर्माण बताकर कंगना का दफ्तर तोड़ दिया। बाद में अदालत ने इस कार्रवाई पर रोक लगा दी। बीएमसी की कार्रवाई की विपक्ष के साथ सरकार के सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने भी आलोचना की। हालांकि महाराष्ट्र सरकार और शिवसेना ने इस कार्रवाई को सही ठहराया है। विवाद के बीच भारी सुरक्षा में मुंबई पहुंचते ही कंगना ने महाराष्ट्र सरकार और शिवसेना पर हमला बोल दिया।
बीएमसी का दल सुबह ही कंगना के दफ्तर पहुंचा और वहां अवैध निर्माण बताकर बुलडोजर चला दिया। दफ्तर के बाहरी हिस्से से बालकनी और अंदर में बने निर्माण को बुरी तरह से तोड़ दिया गया। तोडफ़ोड़ की इस कार्रवाई की चारों तरफ जमकर आलोचना हो रही है। यहां तक कि शिवसेना के सहयोगी दल भी इसका विरोध कर रहे हैं। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने बुलडोजर चलने के बाद तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे बेहद गैरजरूरी कार्रवाई करार दिया। पवार ने कहा कि हर कोई जानता है कि मुंबई पुलिस सुरक्षा के लिए काम करती है। आपको इन लोगों को प्रचार नहीं देना चाहिए। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि कंगना पर कार्रवाई बदले की भावना से की गई है। फडणवीस ने कहा कि ऐसा इतिहास में कभी नहीं हुआ है। कांग्रेस नेता संजय निरुपम संजय ने ट्वीट करके कहा, ‘कंगना का दफ्तर अवैध था या उसे तोडऩे का तरीका? क्योंकि उच्च न्यायालय ने कार्रवाई को गलत माना और तत्काल रोक लगा दी।’ उन्होंने इस कार्रवाई को प्रतिशोध से ओतप्रोत बताया और कहा कि राजनीति की उम्र बहुत छोटी होती है। कहीं एक दफ्तर के चक्कर में शिवसेना का ढहना (डिमॉलिशन) न शुरू हो जाए। बीएमसी की कार्रवाई पर मचे कोहराम पर शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि हमने बदले की भावना से कोई कार्रवाई नहीं की है। शिवसेना कभी भी बदले की भावना से कोई कार्रवाई नहीं करती है। कंगना ने मुंबई के बारे में गलत कहा। शिवसेना कभी कठघरे में खड़ी नहीं होती है। वहीं घर पहुंचते ही कंगना ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चुनौती देते हुए एक वीडियो संदेश जारी किया। उसमें कहा गया, ‘मुझे पता तो था कि कश्मीरी पंडितों पर क्या बीती होगी। आज मुझे इस बात का एहसास हुआ है। आज मैं आपको एक वादा करती हूं कि मैं सिर्फ अयोध्या पर ही नहीं, कश्मीर पर भी एक फिल्म बनाऊंगी। अपने देश के लोगों को जगाऊंगी। ठाकरे, यह जो क्रूरता और आतंक मेरे साथ हुआ है, उसके कुछ मायने हैं। जय हिंद। जय भारत।’
बंबई उच्च न्यायालय ने कंगना के बंगले में बीएमसी द्वारा कथित अवैध निर्माण को तोडऩे पर रोक लगा दी और पूछा कि नगर निकाय के अधिकारी संपत्ति के भीतर क्यों गए जबकि उसकी मालिक वहां मौजूद नहीं थी? न्यायमूर्ति एस जे काठावाला और न्यायमूर्ति आर आई चागला के खंडपीठ ने कंगना की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की। याचिका में तोडफ़ोड़ की प्रक्रिया पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। अदालत ने बीएमसी से जानना चाहा कि उसने कैसे परिसर में प्रवेश किया तथा निर्देश दिया कि वह याचिका के जवाब में हलफनामा दायर करे। मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को होगी। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कंगना पर निशाना साधते हुए फिर एक बार आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल किया। कंगना के मुंबई की तुलना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से करने वाले बयान पर सामना में लिखा गया है कि मुंबई किसकी? यह सवाल कोई न पूछे। मुंबई महाराष्ट्र की राजधानी और देश का सबसे बड़ा आर्थिक लेन-देन का केंद्र भी है। इसी मुंबई के लिए 106 मराठी लोगों ने बलिदान दिया है। मुंबई ईमान से रहने वाले सब लोगों की है। मुंबई की तुलना ‘पाकिस्तान अधिकृत’ कश्मीर से करना और मुंबई पुलिस को माफिया बोलकर खाकी वर्दी का अपमान करना बिगड़ी हुई मानसिकता के लक्षण हैं।
